नेकियों का हुक्म देना और बुराइयों से रोकना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "कसम है उस जात की जिस के कब्जे में मेरी जान है तुम जरूर बिज जरूर भलाइयों का हुक्म करो और बुराइयों से रोको; वरना करीब है के अल्लाह तआला गुनहगारों के साथ तुम सब पर अपना अजाब भेज दे, और उस वक्त तुम अल्लाह तआला से दूआ मांगोगे तो वो भी कबूल ना होगी।” 📕 तिर्मिजी: २११९ वजाहत: नेकियों का हुक्म देना और बुराइयों से रोकना उम्मत के हर फर्द पर अपनी हैसियत और ताकत के मुताबिक़ लाज़िम और जरूरी है।
गुनाहों को छोड़ देना बेहतरीन हिजरत है हज़रत अनस की वालिदा ने सरकारे दो आलम (ﷺ) कीखिदमत में हाज़िर हो कर अर्ज किया: मुझे कुछ वसिय्यत फर्माइये। आप (ﷺ) ने इर्शाद फ़ाया : "गुनाहों को छोड़ देना बेहतरीन हिजरत है, फ़राइज़ की हिफ़ाज़त करना बेहतरीन जिहाद है और ज़िक्रे इलाही ब कसरत करती रहो, इस लिए के तुम अल्लाह के यहाँ इस से जियादा महबूब चीज़ लेकर नहीं आ सकती हो।" 📕 तबरानी कबीर : २०८२१
फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ फितना व फसाद करने वालों पर गलबा पाने के लिये क़ुरआन की इस दुआ का एहतेमाम करना चाहिये: ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ قَالَ رَبِّ انصُرْنِي عَلَى الْقَوْمِ الْمُفْسِدِينَ "Rabbi onsurnee AAala alqawmi almufsideena" तर्जुमा: ऐ मेरे परवरदिगार ! मुझे फसाद करने वाली कौम पर गलबा अता फर्मा। 📕 सूरह अंकबूत 29:30
18. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा तारीख: हजरत इब्राहीम (अ.स), मुअजिजा : अबू तालिब का सेहतयाब होना, एक फ़र्ज़ : जमात के साथ नमाज़ अदा करना, अहेम अमल : नुक्सान से हिफाज़त, फुजूल कामों में माल खर्च करने का गुनाह, माल व औलाद अल्लाह के क़ुर्ब का जरिया नहीं ...
अज़ाबे कब्र से बचने की दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ कसरत से फ़रमाते थे: तर्जमा: ऐ अल्लाह ! मैं अज़ाबे कब्र, अज़ाबे दोजख, ज़िंदगी और मौत के फितने और दज्जाल के फितने से तेरी पनाह चाहता हूँ। 📕 बुखारी: १३७७. अन अबी हुरैरह रज़ि०
बदअख़्लाक़ी से बचने की दुआ ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थे : اللَّهمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِن منْكَرَاتِ الأَخلاقِ، والأعْمَالِ، والأَهْواءِ ( Allahumma Inni A’udhu Bika Min Munkaratil-Akhlaqi Wal-Amali Wal-Ahwa ) तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! मै बुरे अख्लाक और ख्वाहिशात से तेरी पनाह चाहता हु। 📕 तिर्मिज़ी : ३५९१
गम के वक्त यह दुआ पढ़े रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ग़म व मुसीबत के वक्त इस दुआ को पढ़ने के लिये फर्मायाः إِنَّا لِلَّهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ اللَّهُمَّ أْجُرْنِي فِي مُصِيبَتِي وَأَخْلِفْ لِي خَيْرًا مِنْهَا ( inna Lillahi Wa inna ilaihi rajeuun , Allahumma Ajurni fi Musibati Wa Akhlifli Khairam Minha ) तर्जमा : हम सब अल्लाह की मिलकियत में हैं और उसी की तरफ जाने वाले हैं, या अल्लाह ! तू मुझे मेरी इस मुसीबत में सवाब दे और मुझे इससे बेहतर बदला इनायत फ़र्मा। 📕 मुस्लिम २१२६
तलबीना से इलाज हजरत आयशा (र.अ) बीमार के लिये तलबीना तय्यार करने का हुकम देती थीं और फर्माती थीं के मैंने हुजूर (ﷺ) को फ़र्माते हुए सुना के: "तलबीना बीमार के दिल को सुकून पहुँचाता है और रंज व ग़म को दूर करता है।” 📕 बुखारी: ५६८९ फायदा: जौ (बरली) को कट कर दूध में पकाने के बाद मिठास के लिए इस में शहद डाला जाता है; इस को तलबीना कहते हैं।
गुनाहों से माफी की दुआ | रब्बना ज़लमना अन्फुसना वईल लम तग्फिर लना वतर हमना लनकूनन्ना मिनल खासिरीन “अपने गुनाहों से माफी मांगने और अल्लाह तआला से रहम व करम तलब करने के लिए यह दुआ करनी चाहिए”– رَبَّنَا ظَلَمْنَا أَنفُسَنَا وَإِن لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِينَ रब्बना ज़लमना अन्फुसना वईल लम तग्फिर लना वतर हमना लनकूनन्ना मिनल खासिरीन तर्जमा: ऐ हमारे रब ! हम ने अपनी जानों पर बड़ा जुल्म किया (अब) अगर आप हमारी मगफिरत नहीं फर्माएंगे और रहम नहीं करेंगे तो हमारा बड़ा नुकसान हो जाएगा। 📕 सूरह आराफ़ : 23 वजाहत: यह हज़रत आदम व हव्वा (अ.स) की दुआ है, जो उन्होंने अपनी माफी के लिए अल्लाह तआला से की थी।
मांगने वाले के साथ नर्मी से पेश आना कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : “मांगने वाले को, नर्मी से जवाब दे देना और उस को माफ़ कर देना उस सदका व खैरात से बेहतर है जिस के बाद तकलीफ़ पहुंचाई जाए। अल्लाह तआला बड़ा बेनियाज़ और गैरतमंद है।” 📕 सूरह बकरह : २६३
इस्लाम की बुनियाद 5 चीज़ों पर है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : इस्लाम की बुनियाद पांच चीज़ों पर है : (१) इस बात की गवाही देना के अल्लाह के अलावा कोई माबूद नहीं और मोहम्मद (ﷺ) अल्लाह के रसूल है। (२) नमाज़ अदा करना। (३) ज़कात देना। (४) हज करना। (५) रमज़ान के रोजे रखना। 📕 बुखारी: ८, अन इने उमर (र.अ)
अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "आप अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म करते रहो और खुद भी नमाज़ के पाबन्द रहिये, हम आपसे रोजी तलब नहीं करते, रोजी तो आप को हम देंगे आर अच्छा अंजाम तो परहेजगारों का है।" 📕 सूरह ताहा: १३२
अल्लाह के रास्ते में जाने वाले को दुआ देना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक जमात को अल्लाह के रास्ते में रवाना करते हुए फ़रमाया : “अल्लाह के नाम पर सफर शुरू करो और यह दुआ दी: तर्जमा: ऐ अल्लाह! इनकी मदद फ़र्मा। 📕 तबरानी कबीर: ११३८९
बीमार पुरसी के वक़्त की दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी बीमार की इयादत के लिये जाते या आप (ﷺ) की खिदमत में बीमार को हाज़िर किया जाता तो आप यह दुआ पढ़ते: اَللَّهُمَّ رَبَّ النَّاسِ مُذْهِبَ الْبَاسِ اشْفِ أَنْتَ الشَّافِيْ لَا شَافِيَ إِلَّا أَنْتَ شِفَاءً لَا يُغَادِرُ سَقَمًا ALLAHumma Rabbannasi Muzhibal-baasi-shfee Antashhaafi La Shaafi Illa Anta Shifa-an La Yughaadiru Saqama तर्जमा : “ऐ अल्लाह! लोगों के रब्ब! बीमारी को दूर करने वाले! शिफ़ा ‘अता फरमाए| तू ही शिफ़ा देने वाला है। तेरे सिवा कोई शिफ़ा देने वाला नहीं। ऐसी शिफ़ा ‘अता फरमा के जिसके बाद बीमारी बाक़ी न बचे।” 📕 बुखारी: ५६७५, अन आयशा (र.अ)
MD. Salim Shaikh
Assalamu Alaikum – I am Mohammad Salim Shaikh, founder of Ummat-e-Nabi.com, sharing authentic Islamic knowledge since 2010. My mission is to present the beauty of Islam in a simple and clear way through Qur’an and Hadith. Alhamdulillah, our Facebook page fb.com/UENofficial
with 900,000+ followers continues to spread Islamic teachings, building a strong global community of learning and faith.