“अल्लाह तआला अद्ल व इंसाफ और अच्छा सुलूक करने काऔर रिश्तेदारों को माली मदद करने का हुक्म देता हैऔर बेहयाई, नापसन्द कामों और जुल्म व ज़ियादती से मना करता है,वह तुम्हें ऐसी बातों की नसीहत करता है,ताके तुम याद रखो।”
अपनी जानों पर जुल्म ना करो: कुरआन अपनी जानों पर ज़ुल्म न करो: अल्लाह ताला ज़ुल्म से बचने के बारे में इरशाद फरमाता है: और अपने आप को क़त्ल न करो। और जो शख्स जोरो ज़ुल्म से नाहक़ ऐसा करेगा (ख़ुदकुशी करेगा) तो (याद रहे कि) हम बहुत जल्द उसको जहन्नुम की आग में झोंक देंगे यह ख़ुदा के लिये आसान है। सूरह निसा 4:29-30 और अल्लाह की राह में ख़र्च करो और अपने हाथ जान हलाकत मे न डालो और नेकी करो बेशक अल्लाह नेकी करने वालों को दोस्त रखता है। सूरह बकराह 2:195 अल्लाह ने ज़ुल्म को हराम कर दिया: (ऐ रसूल) तुम साफ कह…
बीमारी की शिकायत न करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला फर्माता है के मै जब अपने मोमिन बंदे को (बीमारी में) मुबतला करता हूँ और वह अपनी इयादत करने वालों से मेरी शिकायत नहीं करता, तो मैं उस को अपनी कैद (यानी बीमारी) से नजात दे देता हूँ, और फिर उस के गोश्त को उससे उम्दा गोश्त और उसके खून को उम्दा खून से बदल देता हूँ ताके नए सिरे से अमल करे।" 📕 मुस्तरदक १२९०, अन अबी हुरैरह (र.अ) खुलासा: अगर कोइ बिमार हो जाए, तो सब्र करना चाहिए, किसी से शिकायत नही करनी चाहिए, उस पर इसे अल्लाह तआला इन्आमात से…
नमाज़ छोड़ने का गुनाह रसलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "जो शख्स जान बूझकर नमाज़ छोड़ देता है, अल्लाह तआला उसके सारे आमाल बेकार कर देता है और अल्लाह का ज़िम्मा उस से बरी हो जाता है जब तक के वह अल्लाह से तौबा न कर ले।" 📕 तरगीव वतरहीब: ७८३
तकब्बुर का अंजाम: दिल पर मुहर लग जाती है कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “जो लोग बगैर किसी दलील के अल्लाह तआला की आयात में झगड़े निकाला करते है, अल्लाह तआला और अहले ईमान के नज़दीक यह बात बड़ी काबिले नफरत है, इसी तरह अल्लाह तआला हर मुतकब्बिर सरकश के दिल पर मुहर लगा देता है।” 📕 सूरह मोमिन : ३५
सिला रहमी करना कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "जो लोग अल्लाह के अहद को तोड़ते हैं, उस को मजबूत कर लेने के बाद और उन तअल्लुक़ात को तोड़ते हैं, जिन के जोड़ने का अल्लाह तआला ने हुक्म दिया है और जमीन में फसाद मचाते हैं, यही लोग नुकसान उठाने वाले हैं।" 📕 सूरह बकरा : २७ फायदा: रिश्ते, नाते और तअल्लुक़ात को बरकरार (सिला रहमी करना) रखना और उस को खत्म न करना बहुत जरूरी है।
कुरआन की कोई सूरत पढ कर सोना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “जब मुसलमान बिस्तर पर (सोते वक्त) कुरआन की कोई भी सूरत पढ लेता है, तो अल्लाह तआला उस की हिफाजत के लिए एक फरिश्ता मुकर्रर फरमा देता है और उसके जागने तक कोई तकलीफ़ देह चीज उसके करीब भी नहीं आती।” 📕 तिर्मिज़ी: ३४०७ फायदा: जो शख्स शव्वाल के पूरे महीने में कभी भी इन 6 रोजों को रखेगा तो वह इस फजीलत का मुस्तहिक होगा।
अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "बिलाशुबा अल्लाह तआला शिर्क को मुआफ नहीं करेगा। शिर्क के अलावा जिस गुनाह को चाहेगा, माफ कर देगा और जिसने अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक किया, तो उसने अल्लाह के खिलाफ बहुत बड़ा झूट बोला।" 📕 सूरह निसा: ४४
अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "आप अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म करते रहो और खुद भी नमाज़ के पाबन्द रहिये, हम आपसे रोजी तलब नहीं करते, रोजी तो आप को हम देंगे आर अच्छा अंजाम तो परहेजगारों का है।" 📕 सूरह ताहा: १३२
इंसाफ न करने का वबाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो शख्स मेरी उम्मत की किसी छोटी या बड़ी जमात का जिम्मेदार बने फिर उनके दर्मियान अदल व इन्साफ न करे तो अल्लाह तआला उसको औंधे मुंह जहन्नम में डाल देगा।" 📕 तबरानी कबीर : १६९११
पूरी कायनात का मालिक कौन है ? अल्लाह तआला पूरी कायनात का रब है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “सुन लो ! अल्लाह तआला ही का काम है पैदा करना और हुक्म चलाना, वह बड़े कमालात वाला अल्लाह है, जो तमाम आलम का पर्वरदिगार है।” 📕 सूर-ए-आराफ़ : ५४ खुलासा: पूरी दुनिया का रब अल्लाह तआला के अलावा कोई नहीं है। लिहाजा हमारे लिए जरूरी है के हम उस पर ईमान लाएँ और उस का हुक्म मानें।
वसिय्यत के लिए दो इंसाफ पसंद लोग गवाह हो कूरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "ऐ ईमान वालो ! जब तुम में से किसी को मौत आने लगे वसीय्यत के वक्त शहादत के लिये तूम (मुसलमानों) में से दो इन्साफ पसन्द आदमी गवाह होने चाहिये या फिर तुम्हारे अलावा दूसरी कौम के लोग गवाह होने चाहिये। जैसे तुम सफर में गए हो, फिर तुम्हें मौत का हादसा आ जाए।" 📕 सूरह मायेदा: १०६
अल्लाह और रसूल की नाफरमानी का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : “जो शख्स अल्लाह और उस के रसूल की नाफर्मानी करेगा, और उसकी (मुकर्रर की हुई) हदों से आगे बढ़ेगा तो अल्लाह तआला उस को आग में दाखिल करेगा, जिसमें वह हमेशा रहेगा, और उसको जलील व रुस्वा करने वाला अजाब होगा।” 📕 सूरह निसा १४ "जो शख्स अल्लाह और उसके रसूल का कहना न माने वह खुली हुई गुमराही में है।" 📕 सूर-ए-अहजाब: ३६ "बिला शुबा जो लोग अल्लाह और उस के रसूल को (उन का हुक्म न मान कर) तकलीफ देते हैं, अल्लाह तआला उन पर दुनिया व आखिरत में लानत करता…
अच्छे और बुरे अख़्लाक़ की मिसाल हदीस: रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "अच्छे अख्लाक बुराइयों को इस तरह खत्म कर देते हैं जिस तरह पानी बरफ को पिघला देता है और बुरे अख्लाक अच्छे कामों को इस तरह खत्म कर देते हैं जिस तरह सरका शहद को खराब कर देता है।" 📕 तबरानी कबीर: १०६२६
दुनिया में लगे रहने का वबाल दुनिया में लगे रहने का वबाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो शख्स अल्लाह का हो जाता है तो अल्लाह तआला उस की हर जरूरत पूरी करता हैं और उस को ऐसी जगह से रिज्क देता हैं के उस को गुमान भी नहीं होता। और जो शख्स पूरे तौर पर दुनिया की तरफ लग जाता है, तो अल्लाह तआला उस को दुनिया के हवाले कर देते हैं।" 📕 कन्जुल उम्माल: ६२७०
MD. Salim Shaikh
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