6. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

6 Safar | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

6. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
6 Safar | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत शुऐब (अ.स) की दावत और कौम की हलाकत

अल्लाह तआला ने हजरत शुऐब (अ.स) को “अहले मदयन” और “असहाबे ऐका” के पास हिदायत के लिये भेजा, यह कौम शिर्क व बुतपरस्ती में मुब्तला होने के अलावा तिजारती लेनदेन में धोकेबाजी, नाप तौल में कमी, लूट खसूट और डाका जनी में हद से बढ़ गई थी। 

हजरत शुऐब (अ.स) ने उन तमाम बुराइयों से बाज रहने और ईमान व तौहीद कबूल करने की दावत दी, मगर इस नाफ़रमान और मुख्तलिफ गुनाहों में मुब्तेला कौम पर आप की नसीहत का कोई असर नहीं हुआ और पूरी कौम आप को शहर बदर करने और संगसार करने की धमकियों देने लगी और आपकी इबादत व नमाज़ का मजाक उड़ाने लगी। 

फिर भी हजरत शुऐब (अ.स) बराबर उन को समझाते रहे, कौमे लूत और दूसरी नाफर्मान कौमों के बुरे अन्जाम का तजकेरा कर के डराते रहे, मगर यह बदबख्त और नाफरमान कौम ज़िद और हटधर्मी में बढ़ती ही चली गई। 

बिलआखिर अल्लाह तआला ने उनको आसमानी आग और जमीनी जलजले से तबाह व बरबाद कर दिया। 
हजरत शुऐब (अ.स) अहले ईमान को लेकर “हजर मौत” चले गए। और १४० साल की उम्र में वफात पाई।

तफ्सील में पढ़े: हजरत शुऐब अलैहि सलाम | क़सस उल अँबियाँ

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

कहतसाली दूर होना और बारिश का बरसना

हजरत अनस (र.अ) फर्माते हैं :

एक शख्स आहज़रत (ﷺ) के पास आया और कहने लगा : (बारिश न होने की वजह से) जान्वर मर गए और रास्ते बंद हो गए, तो आप (ﷺ) ने दुआ फर्माई : जिस की वजह से मुसलसल एक हफ्ते बारिश होती रही।

वह आदमी अगले जुमा को आकर कहने लगा: या रसूलल्लाह (ﷺ) ! (बारिश ज्यादा होने की वजह से) मकानात गिर गए और रास्ते बंद हो गए और जान्वर मर गए। तो आप (ﷺ) ने मिम्बर पर खड़े हो कर दुआ फर्माई : “ऐ अल्लाह ! टीलों और पहाड़ियों और नालों और दरख्त उगने की जगहों में बरसा।” दुआ करते ही मदीना से बादल छट गया।

📕 बुखारी : १०१६, अन अनस (र.अ)


3. एक फर्ज के बारे में

अल्लाह ही मदद करने वाला हैं

कुरआन मे अल्लाह तआला फर्माता है :

“अल्लाह तआला ही ज़िन्दगी व मौत देता है, अल्लाह तआला के अलावा कोई काम बनाने वाला और मदद करने वाला नहीं है।”

📕 सूरह तौबा :११६

खुलासा: इन बातों पर ईमान लाना और इस का यकीन करना हर एक मुसलमान पर फर्ज है।


4. एक सुन्नत के बारे में

मय्यित को कब्र में रखने की दुआ

रसूलल्लाह (ﷺ) जब मय्यित को कब्र में उतारते तो यह दुआ पढ़ते:

اللہ عزوجل کے نام سے اور رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے طریقہ پر (اسے دفن کرتا ہوں)۔

तर्जमा: अल्लाह के नाम से और अल्लाह के रसूल की मिल्लत पर (हम दफन करते हैं)।

📕 इब्ने माजा : १५५०, अन इब्ने उमर (र.अ)


5. एक अहेम अमल की फजीलत

अच्छे काम करने पर सद्के का सवाब

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“इन्सान के हर जोड़ पर रोज़ाना एक सदका लाजिम है।
दो शख्सों के दरमियाँन इन्साफ कर देना भी सदक़ा है।

किसी शख्स को जानवर पर सवार करने में या उसके सामान के रखने में मदद कर देना भी सद्का है और अच्छी बात (किसी को बता देना) भी सद्का है।

नमाज़ के लिये उठने वाला हर क़दम भी सद्क़ा है।
रास्ते से तकलीफ देने वाली चीज हटा देना भी सद्का है।”

📕 बुखारी : २९८९, अन अबी हुरैरह (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

कुफ्र की सज़ा जहन्नम है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो लोग कुफ्र करते हैं, तो अलाह तआला के मुकाबले में उनका माल व औलाद कुछ काम नहीं आएगा और ऐसे लोग ही जहन्नम के इंधन होंगे।”

📕 सूरह आले इमरान : १०


7. दुनिया के बारे में

मौत का आना यक़ीनी है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“तुम जहाँ कहीं भी होंगे, तुम को हर हाल में मौत आ पकड़ेगी, चाहे तुम मज़बूत क़िलों में महफूज़ रहो।”

📕 सूरह निसा: ७८


8. आख़िरत के बारे में

कब्र क्या कहती है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 

“कब्र रोजाना पुकार कर कहती है : मैं गुर्बत वहशत और कीड़ों का घर हूँ, मैं आग का तन्नूर या जन्नत का बाग़ हूँ।”

📕 बैहकी फी शुअबिल ईमान: ४३०, अन बिलाल बिन सअद (र.अ)


9. तिब्बे नबवी से इलाज

तलबीना से इलाज

हज़रत आयशा (र.अ) बीमार के लिए तलबीना तय्यार करने का हुक्म देती थीं
और फर्माती थीं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फ़र्माते हुए सुना :

“तलबीना बीमार के दिल को सुकून पहुँचाता है और रंज व गम को दूर करता है।”

📕 बुखारी: ५६८९, अन आयशा (र.अ)

फायदा: जौ (Barley) को कूट कर दूध में पकाने के बाद मिठास के लिए उस में शहद डाला जाता है, जिसे तलबीना कहते हैं।


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

जब सालन पकाओ तो पड़ोसियों में भी तकसीम करो

हज़रत अबू ज़र (र.अ) फर्माते हैं,
मुझ से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“ऐ अबू जर ! जब तुम सालन पकाओ, तो उस में पानी ज़ियादा कर दो (यानी शोरबा जियादा रखो) अपने पड़ोसियों की खबर रखो और उनमें तक़्सीम करो।”

📕 मुस्लिम: ६६८९, अन अबी जर (र.अ)


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