Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- टीपू सुलतान की शहादत
- 2. अल्लाह की कुदरत
- हवा में आवाज़
- 3. एक फर्ज के बारे में
- वालिदैन के साथ अच्छा बर्ताव करना
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- इस्मिद सुर्मा लगाना
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- दरख्त लगाने की फजीलत
- 6. एक गुनाह के बारे में
- मुतकब्बिर (तकब्बुर करने वाले) की सज़ा
- 7. दुनिया के बारे में
- दुनिया में बरकत
- 8. आख़िरत के बारे में
- जन्नत का बाग
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज
- बुखार का इलाज
- 10. कुरआन की नसीहत
- शैतान की पैरवी न करो,वह तुम्हारा खुला हुआ दुश्मन है
29. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
29 Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
टीपू सुलतान की शहादत
टीपू सुलतान की दुश्मनों से आखरी जंग के मौके पर सिक्रेट्री हबीबुल्लाह ने अर्ज़ किया “हुजूर वक्त का तकाज़ा है के अपनी जान और अपने शहज़ादों की यतीमी पर रहम कीजिए”, तो सुलतान ने कहा: “मैं अपनी ज़ात और औलाद को दीने मुहम्मदी पर कुर्बान करने का फ़ैसला कर चुका हूँ।”
मीर सादिक की गद्दारी से दुश्मन की फ़ौज किले में दाखिल हो गई, बादशाह ने खाने का लुकमा उठाया ही था के अपने वफ़ादार फ़ौजी अब्दुल गफ्फार की शहादत की खबर सुन कर फ़र्माया : “हम भी अब कुछ देर के मेहमान है” यह कह कर मैदाने जंग में कूद पड़े और काफ़ी देर तक लड़ते रहे, यहाँ तक के किले पर दुश्मनों का कबज़ा हो गया, चुनान्चे उन के गद्दार खादिम राजा खान ने कहा: हुजूर अपनी जान की हिफाजत के लिए अपने आप को दुश्मन के हवाले कर दो, तो जलाल में आकर कहा:
“मेरे नजदीक शेर की एक दिन की जिंदगी गीदड़ की सौ साला जिंदगी से बेहतर है।”
जिस्म पर कई गोली लगने के बावजूद शाम तक लड़ते रहे,एक गद्दार का टीपू सुलतान की तरफ़ इशारा कर के दुश्मनों के अफसर को खबर दार करना था के चारों तरफ से गोलियों की बारिश होने लगी और सीने पर गोली लगते ही वह ज़मीन पर गिर गए, एक सिपाही ने मौका गनीमत पा कर उन की हीरों से जड़ी तलवार निकालने की कोशिश की, तो ऐसी नाजूक हालत में भी हमला कर के एक सिपाही को जहन्नम रसीद कर दिया।
फिर सर पर गोली लगने की वजह से ४ मई सन १७९९ इस्वी को जामे शहादत नोश फ़रमाया।
अगले दिन शाही एजाज़ के साथ अपने वालिद हैदर अली के पहलू में दफन कर दिए गए।
2. अल्लाह की कुदरत
हवा में आवाज़
हवा इन्सानी जिंदगी के लिए ज़रूरी है, इस के बगैर कोई भी जानदार ज़िन्दा नहीं रह सकता। हवा ही की मदद से हम एक दूसरे की आवाज़ सुनते हैं। चाँद पर हवा न होने की वजह से आवाज़ नहीं सुनी जा सकती, हवा में लहरें होती हैं। यह आवाज़ की लहरें फ़ज़ा में फैल कर कानों के पर्दे से टकराती हैं, जिससे कान के पर्दे की पत्ली झिल्ली थरथराने लगती है, वह फ़ौरन दिमाग को उस की खबर देती है।
हवा ही की मदद से आवाज़ पाँच सेकंड में एक मील की रफ्तार से दौड़ती है, जब रेडियो और वायरलेस के ज़रिये आवाज़ को रेडियाई लहरों में बदल दी जाए, तो वह आवाज़ सूरज की रौशनी की रफ्तार, यानी एक लाख छियासी हज़ार मील फी सेकंड के हिसाब से दूर दूर तक पहुँच जाती है।
यह सब अल्लाह की कुदरत की एक निशानी है।
3. एक फर्ज के बारे में
वालिदैन के साथ अच्छा बर्ताव करना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तेरे रब ने हुक्म दे दिया है के तुम उस के अलावा किसी की इबादत मत करो और अपने माँ बाप के साथ अच्छा बर्ताव किया करो।”
फायदा: वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करना, उन की इताअत और फ़र्माबरदारी करना और उन्हें तक्लीफ़ न पहुँचाना औलाद पर ज़रूरी है।
4. एक सुन्नत के बारे में
इस्मिद सुर्मा लगाना
हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ) फ़र्माते हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) हर रात सोने से पहले तीन मरतबा इस्मिद सुर्मा लगाया करते थे।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
दरख्त लगाने की फजीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जो भी मुसलमान दरख्त लगाता है या खेती करता है, फिर उस में से कोई परिंदा, इन्सान या जानवर खाता है तो वह उस के लिए सदका है (यानी सदके का सवाब मिलेगा)।”
6. एक गुनाह के बारे में
मुतकब्बिर (तकब्बुर करने वाले) की सज़ा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“कयामत के दिन तकब्बुर करने वाले च्यूँटियों के बराबर जिस्मों में उठाए जाएंगे।
उन की सूरतें इन्सान की होंगी, उनके लिए हर तरफ़ ज़िल्लत ही ज़िल्लत होगी और उन को जहन्नम में बूलस नामी एक जगह की तरफ़ घसीट कर ले जाया जाएगा, जहाँ पर एक सख्त आग उन को अपनी लपेट में ले लेगी और पीने के लिए जहन्नमियों का खून और पीप दिया जाएगा।”
📕 तिर्मिज़ी : २४९२, अन अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ)
7. दुनिया के बारे में
दुनिया में बरकत
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“अल्लाह तआला जिस के साथ भलाई का इरादा फ़र्माता है तो उस को दीन की समझ अता फर्माता है और बेशक यह दुनिया बड़ी मीठी और सर सब्ज़ व शादाब है पस जो इसको इस के हक़ के साथ (यानी हलाल) तरीके से लेगा, तो अल्लाह अज़्ज़वजल उसके लिए इसमें बरकत देगा।”
8. आख़िरत के बारे में
जन्नत का बाग
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो लोग ईमान लाए और नेक आमाल के पाबंद रहे, तो उन के लिए ऐसे बाग होंगे, जिन के नीचे नहरें जारी होंगी, यह बहुत बड़ी कामयाबी है।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
बुखार का इलाज
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिसे बुखार आ जाए वह तीन दिन गुस्ल के वक्त यह दुआ पढ़े, तो उसे शिफ़ा हासिल होगी”
“ऐ अल्लाह ! मैं ने तेरे नाम से गुस्ल किया, शिफ़ा की उम्मीद करते हुए और तेरे नबी की तस्दीक करते हुए।”
10. कुरआन की नसीहत
शैतान की पैरवी न करो,वह तुम्हारा खुला हुआ दुश्मन है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“शैतान की पैरवी न करो,वह तुम्हारा खुला हुआ दुश्मन है, शैतान तो तुम को बुराई और बेहयाई के काम का हुक्म करता है और अल्लाह की निस्बत ऐसी बातें कहने का हुक्म करता है, जिसका तम्हें इल्म नहीं है।”
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