18 सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
18 Safar | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हज़रत इलयास (अ.)
हजरत इलयास (अ.) उरदुन के एक इलाका “जलआद” में पैदा हुए, कुरआन पाक में आप का नाम इलयास और इलयासीन दोनों तरह जिक्र किया गया है।
अल्लाह तआला ने आप को अहले शाम की इस्लाह के लिये नबी बनाकर भेजा था। आप की दावत का इलाक़ा शाम का मशहूर शहर “बालबक्क” था। जो दिमश्क़ से तक़रीबन दो किलो मिटर की दूरी पर वाले है। उस शहर में बाल नाम का सोने का एक बहुत 10 बड़ा बुत था, वह लोग उसे अपना खुदा समझते थे।
हजरत इलयास (अ.) ने उन्हें एक अल्लाह तआला की इबादत की तरफ बुलाया और उनके बादशाह को दावत दी। उन लोगों ने आपकी दावत को कबूल न किया और आपके कत्ल के दरपे हो गए। आप वहाँ से चले गए और जब बादशाह मर गया, तो आप वापस आए और नए बादशाह को दावत दी, तो उसने और उस की पूरी कौम ने ईमान कबूल कर लिया।
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा
अरब के रास्तों के मुतअल्लिक़ पेशीनगोई
एक मर्तबा आप (ﷺ) ने अदी बिन हातिम (र.अ) से फर्माया :
“ऐ अदी ! अगर तेरी उम्र लम्बी होगी तो तू देखेगा के ऊँट पर सवार अकेली औरत हिरा (जगह) से चलेगी, यहाँ तक के काबा का तवाफ करेगी। और अल्लाह के अलावा उस को किसी का डर न होगा, चुनान्चे हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मैंने वह जमाना अपनी आँखों से देखा, के एक औरत हिरा से अकेली ऊँट पर सवार हो कर आई और काबा का तवाफ भी किया: उस को अल्लाह के अलावा किसी का डर न था।”
3. एक फर्ज के बारे में
कर्ज अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“कर्ज की अदाएगी पर कुदरत रखने के बावजुद टाल मटोल करना जुल्म है।”
📕 बुखारी : २४००, अन अबी हुरैरह (र.अ)
खुलासा: अगर किसी ने क़र्ज़ ले रखा है और उसके पास कर्ज अदा करने के लिये माल है, तो फिर कर्ज अदा करना जरूरी है, टाल मटोल करना जाइज नहीं है।
4. एक सुन्नत के बारे में
नमाज़ में तशहुद के बाद यह दुआ पढ़े
हज़रत अबू बकर ने हुजूर (ﷺ) से कहा के मुझे ऐसी दुआ सीखा दीजीए जीस को में अपनी नमाज में पढ लिया करू। आप (ﷺ) ने फर्माया के यह दुआ पढ़ लिया करो:
अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा, वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता, फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन ‘इनदिका, वर ‘हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ूरूर्र रहीम
तर्जुमा: ए अल्लाह हमने अपनी जान पर बहुत जुल्म किया है और गुनाहों को तेरे सिवा कोई माफ नहीं कर सकता हमारी मग फिरत फरमा ऐसे मग फिरत जो तेरे पास से हो और हम पर रहम कर बेशक तू बड़ा मग फिरत करने वाला और रहम करने वाला है।
📕 बुखारी : ८३४
4. एक अहेम अमल की फजीलत
एक आँसू से जहन्नम के समन्दर बुझ सकते हैं
रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास हजरत जिब्रईल (अ.) तशरीफ़ लाए जब के आप के पास एक शख्स बैठा रो रहा था। हजरत जिब्रईल ने पूछा: यह कौन है? आपने फर्माया: फलाँ शख्स है, तो जिब्रईल (अ.) ने फर्माया: हम इन्सान के सब आमाल का वजन करेंगे, मगर रोने का नहीं (कर सकेंगे) क्योंकि अल्लाह तआला ऑसू के एक कतरे से जहन्नम के कई समन्दर बुझा देंगे।
📕 अज्जुद लिअहमद बिन हम्बल : १४७
5. एक गुनाह के बारे में
औलाद का क़त्ल गुनाहे कबीरा है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ग़ुरबत (गरीबी) के डर से अपनी औलाद को कत्ल न करो,
हम तुम को भी रिज्क देते हैं और उन को भी।”
खुलासा: रोजी का जिम्मा अल्लाह तआला पर है, लिहाजा रोजी की तंगी के डर से बच्चों को मार डालना या हमल गिराना या पैदाइश से बचने की कोई और तदबीर इख्तियार करना जैसा के आज के दौर में हो रहा है बहुत ही बड़ा गुनाह और हराम काम है।
6. दुनिया के बारे में
दुनियावी ज़िन्दगी की मिसाल
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“दुनिया की जिन्दगी की मिसाल ऐसी है जैसा के हमने आसमान से पानी बरसाया हो, फिर उसकी वजह से जमीन के पेड़ पौधे पैदा होकर खूब गुंजान हो गए हों (फिर यह किसी हादसे का शिकार होकर) रेजा रेजा हो जाएं के उसको हवा उडाए फिरती हो।”
खुलासा: जिस तरह पानी बरसने की वजह से जमीन के पेड़ पौधे खूब हरेभरे हो जाते हैं, फिर किसी आफत का शिकार हो कर सब खत्म हो जाता है, इसी तरह दुनियावी जिन्दगी है, के आज सब कुछ मौजूद है और जब मौत आएगी, तो कुछ भी बाकी नहीं रहेगा।
7. आख़िरत के बारे में
काफिर के लिये पचास हज़ार साल की कयामत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“काफिर को पचास हजार साल तक कयामत में खड़ा किया जाएगा, जिस तरह से उस ने दुनिया में कोई (इंदल्लाह काबिले कबूल नेक) अमल नहीं किया और काफिर जहन्नम को देख रहा होगा और समझ रहा होगा के वह चालीस साल की मसाफत से मुझे घेरने वाली है।“
📕 मुसनदे अहमद: ११३१७
8. तिब्बे नबवी से इलाज
जिगर की हिफाज़त का तरीका
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम में से कोई पानी पिये तो ठहर ठहर कर चुस्की लेकर पिये और गटागट न पिये क्योंकि इससे जिगर में दर्द होता है।”
📕 बैहकी फी शोअबिल ईमान: ५७५२
9. नबी (ﷺ) की नसीहत
अल्लाह के अलावा किसी और की कसम ना खाओ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अपने माँ बाप और बुतों की क़सम न खाओ और न ही अल्लाह के अलावा किसी और की कसम खाओ (अगर कसम खाने की जरूरत पड़ जाए तो सिर्फ अल्लाह की सच्ची क़सम खाओ।”
📕 नसई : ३८००, अन अबी हुरैरह (र.अ)
इंशा अल्लाहुल अजीज़ ! पांच मिनिट मदरसा सीरीज की अगली पोस्ट कल सुबह ८ बजे होगी।