Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- हजरत यूसुफ (अ.स) की आज़माइश
- 2. अल्लाह की कुदरत
- आँख की बनावट
- 3. एक फर्ज के बारे में
- जुमा की नमाज अदा करना
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- दरवाज़े पर सलाम करना
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- मस्जिद से तकलीफ देने वाली चीज़ को दूर करना
- 6. एक गुनाह के बारे में
- क़िब्ले की तरफ थूकने का गुनाह
- 7. दुनिया के बारे में
- दुनिया आखिरत में कामयाबी का ज़रिया है
- 8. आख़िरत के बारे में
- इन्साफ का तराजू
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज
- राख से जख्म का इलाज
- 10. कुरआन की नसीहत
- हर हाल में अल्लाह का शुक्र अदा करो
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1. इस्लामी तारीख
हजरत यूसुफ (अ.स) की आज़माइश
तामाम अम्बिया ए किराम की तरह हज़रत यूसुफ (अ.स) को भी अल्लाह की रजा व खुश्नदी हासिल में करने के लिये सख्त आजमाइशों से गुजरना पड़ा, चुनान्चे वालिदे मुहतरम की शफक़त व मुहब्बत महरूम करने के लिये सौतेले भाइयों ने साजिश कर के आप को अंधेरे कुंवें में डाल दिया, फिर एक काफ़ले के जरिये अजीजे मिस्र के हाथों बेच दिये गए।
चंद साल ही गुजरे थे के अजीजे मिस्र की बीवी की साजिश पर तकरीबन 9 साल जेल में रहना पडा। जब आपने उन तमाम मराहिल को सब्र व इस्तेकाम के साथ तय कर लिया तो अल्लाह तआला ने आप के अन्दर हिल्म व वकार, अमानत व दियानत और इज्जत व शराफत जैसी सिफात मुकम्मल तौर पर पैदा फर्मादी।
आप के इस सब्र व इस्तेकामत की बिना पर बिछड़े हुए भाइयों को मिला दिया, वालिद की गई हुई बीनाई वापस कर दी और सबसे बढ़कर आपको जेल जाने से निकाल कर नुबुव्वत व हकमत से भीसरफराज फर्मा दिया।
इसी तरह अल्लाह तआला सब्र करने वाले अपने मुखलिस बन्दों को दीन व दुनिया की दौलत व इज्जत अता फर्माया करता है।
तफ्सील में पढ़े: हज़रत याकूब अलैहि सलाम | कसक उल अम्बिया
2. अल्लाह की कुदरत
आँख की बनावट
अल्लाह तआला ने इन्सान की आँखें बनाई जिन की पुतलियों में लाखों बल्ब रोश्नी के लिये लगा दिये। उन में कुछ बल्ब ऐसे हैं, जिन से रंग का पता चलता है। कुछ ऐसे हैं जिनसे दूरी का पता चलता है और कुछ ऐसे हैं जिनसे साइज का पता चलता है।
अगर इन में से एक भी बल्ब बुझ जाए, तो काले गोरे, दूरी नजदीकी और मोटे-पतले होने का इल्म खत्म हो जाए और तमाम चीजें एक जैसी नजर आने लगे।
आँख के अन्दर इतने सारे बल्बों का रौशन करना अल्लाह तआलाकी बहुत बड़ी कुदरत है।
3. एक फर्ज के बारे में
जुमा की नमाज अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा से पूछा:
“जुमा की नमाज जमात के साथ अदा करना हर मुसलमान पर लाजिम है; मगर चार लोगों पर (लाजिम नहीं है )
(१) वह गुलाम जो किसी की मिलकियत में हो, (२) औरत, (३) नाबालिग बच्चा, (४) बीमार।”
फायदा: जहां जुमा के शराइत पाए जाते हों, वहां जुमा की नमाज अदा करना हर सही व तन्दुरुस्त और बालिग़ मुसलमान मर्द पर फर्ज है।
4. एक सुन्नत के बारे में
दरवाज़े पर सलाम करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी के घर के दरवाजे पर आते, तो बिल्कुल सामने खड़े न होते, बल्के दाई तरफ या बाईं तरफ तशरीफ फ़र्मा होते और ‘अस्सलामु अलैकुम’ फर्माते।
📕 अबू दाऊद : ५१८६, अन अब्दुल्लाह बिन बुस्र (र.अ)
5. एक अहेम अमल की फजीलत
मस्जिद से तकलीफ देने वाली चीज़ को दूर करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिसने मस्जिदसे ऐसी चीज बाहर कर दी जिससे तकलीफ होती थी। (जैसे कुड़ा करकट, काँटा, कंकर पत्थर) तो अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत में एक घर बना देगा।”
📕 इब्ने माजाह: ७५७, अन अबी सईद (र.अ)
6. एक गुनाह के बारे में
क़िब्ले की तरफ थूकने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस ने क़िब्ला रूख बलगम और थूक फेंका, वह क़यामत के दिन इस हालत में आएगा के वह बलगम उसके दोनों आँखों के दर्मियान (चिपका हुआ) होगा।”
📕 अबू दाऊद : ३८२४, अन हुजैफा (र.अ)
7. दुनिया के बारे में
दुनिया आखिरत में कामयाबी का ज़रिया है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“दुनिया ऐसे आदमी के लिये बहुत ही अच्छा घर है, जो उस को आखिरत (में कामयाबी) का ज़रिया बनाए और अल्लाह तआला को उस (के जरिये) राजी कर ले और (वह) ऐसे आदमी के लिये बहुत ही बुरा (घर) है, जिसको आखिरत के कामों से रोक दे और अल्लाह तआला को नाराज़ कर दे।”
📕 मुस्तदरक: ७८७०, अन तारिक (र.अ)
8. आख़िरत के बारे में
इन्साफ का तराजू
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“कयामत के दिन हम इन्साफ का तराजू कायम करेंगे और किसी पर जुल्म न होगा। अगर राई के दाने के बराबर भी कोई अमल होगा, तो हम उसको हाजिर कर देंगे और हम हिसाब लेने वाले काफी हैं।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
राख से जख्म का इलाज
ग़जव-ए-उहुद में जब रसूलुल्लाह (ﷺ) का चेहर-ए-मुबारक जख्मी हो गया तो आप (ﷺ) की साहबजादी हजरत फ़ातिमा (र.अ) खून धो रही थीं और हज़रत अली (र.अ) जख्मों पर पानी डाल रहे थे।
हजरत फ़ातिमा ने जब देखा के खून बन्द होने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है, तो उन्होंने (खजूर के पत्तों की) चटाई का एक टुकड़ा ले कर जलाया और जब वह राख हो गया, तो उसको जख्मों पर लगा दिया जिससे खून बन्द हो गया।”
फायदा: हकीमों ने लिखा है के टाट और खजूर की चटाई की राख बहते हुए खून को रोकने में बेहद मुफीद है।
10. कुरआन की नसीहत
हर हाल में अल्लाह का शुक्र अदा करो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“उस वक़्त को याद करो जब तुम्हारे रब ने तुम को खबरदार कर दिया था, के अगर तुम शुक्र करोगे, तो तुम को अपनी नेअमतें और जियादा दूंगा और अगर तुम नाशुक्री करोगे, तो यकीन जानो मेरी सज़ा बडी सख्त है।”