इस्लाम की एक विशेषता यह भी है कि उसके… » NonMuslim View About Islam: राजेन्द्र नारायण लाल (एम॰ ए॰ (इतिहास) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय): ‘‘...संसार के सब धर्मों में इस्लाम की एक विशेषता यह भी है कि इसके विरुद्ध जितना भ्रष्ट प्रचार हुआ किसी अन्य धर्म के विरुद्ध नहीं हुआ । सबसे पहले तो महाईशदूत मुहम्मद (सल्ल॰) साहब की जाति…
अपने घरवालों पर खर्च करने की फ़ज़ीलत अपने घरवालों पर खर्च करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "एक वह दीनार जिसे तुमने अल्लाह के रास्ते में खर्च किया और एक वह दीनार जिसे तुमने किसी गुलाम के आज़ाद करने में खर्च किया और एक वह दीनार जो तुमने किसी ग़रीब को सदका किया और एक…
अल्लाह के लिये अपने भाई की जियारत करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "क्या मैं तुम्हें जन्नती लोगों के बारे में खबर न करूं? सहाबा (र.अ) ने अर्ज किया: जरूर या रसूलल्लाह (ﷺ)! आप (ﷺ) ने फर्माया: नबी जन्नती है, सिद्दीक जन्नती है और वह आदमी जन्नती है जो सिर्फ अल्लाह की रजा के लिये शहर के दूर…
क्या इस्लाम औरतों को पर्दे में रखकर उनका… क्या इस्लाम औरतों को पर्दे में रखकर उनका अपमान करता है और क्या बुरखा औरतो की आज़ादी के खिलाफ है ? | Parda in Islam » उत्तर: इस्लाम में औरतों की जो स्थिति है, उसपर सेक्यूलर मीडिया का ज़बरदस्त हमला होता है। वे पर्दे और इस्लामी लिबास को इस्लामी क़ानून…
अपने बीवी बच्चों से होशियार रहो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "ऐ ईमान वालो ! तुम्हारी बाज़ बीवियाँ और बाज़ औलाद तुम्हारे हक़ में दुश्मन हैं, तो तुम उन से होशियार रहो।" वजाहत: बीवी बच्चे बाज़ मर्तबा दुनियावी नफे के लिये शरीअत के खिलाफ कामों का हुक्म देते हैं, उन्हीं लोगों को अल्लाह तआला…
दो आदतें: दीनी मामले में अपने से बुलन्द… रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो शख्स दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देख कर उस की पैरवी करे और दुनियावी मामले में अपने से कमतर को देख कर अल्लाह तआला की अता करदा फजीलत पर उस की तारीफ करे, तो अल्लाह तआला उस को (इन दो आदतों…
अपने अख़्लाक़ दुरूस्त करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "कामयाब हो गया वह आदमी जिस ने अपने दिल को ईमान के लिये सफारिश कर दिया और उसे सही सालिम रखा और अपनी जबान को सच्चा बनाया, अपने नफ़्स को नफ्से मुतमइन्ना और अख़्लाक़ को दुरूस्त बनाया और कानों को हक़ बात सुनने का और…
अपने भाइयों के दर्मियान सुलह किया करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "मुसलमान आपस में एक दूसरे के भाई है (अगर उनके दरमियान लड़ाई हो जाए) तो अपने दो भाइयों के दर्मियान सुलह करा दिया करो, और अल्लाह से डरते रहा करो, ताके तुम पर रहम किया जाए।" 📕 सूरह हुजरात: १०
जो रहम नहीं करता उस पर भी रहम नहीं किया जाता हज़रत अकरअ बिन हाबिस (र.अ) की मौजूदगी में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत हुसैन बिन अली का बोसा लिया। यह देख कर हज़रत अकरअ विन हाबिस (र.अ) ने कहा: मेरे दसं बेटे हैं, मैंने कभी किसी का नहीं लिया। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यह सुनकर फ़र्माया : “जो रहम नहीं करता उस पर…