भरोसे का अलमबरदार होता है मुसलमान
एक जमाने में मुसलमान की मिसाल ISO सर्टिफिकेट वाले भरोसेमंद चीज़ की तरह हुआ करती थी,
यानी मुसलमान है तो शरीफ ही होगा,
मुसलमान है तो इंसाफ करता ही होगा,
मुसलमान है तो जुवा, शराब, सूद रिश्वत इन सबसे भी बचता ही होगा,
मुसलमान है तो औरतो की इज्ज़त करता ही होगा चाहे अपनी हो या परायी,
मुसलमान है तो दहेज़ से नफरत करता ही होगा।
लेकिन आज माशाअल्लाह हमने मुसलमान की डेफिनेशन ही बदल दी,
आज जहा कही भी हादसे होते है वहा मुसलमानों को तलाश किया जाता है,
चलो अक्सर मीडिया तो बिकी हुई है, वो गलत खबरे चला देती है इस्लाम और मुसलमानों के बारे में, लेकिन मुझे बताओ, मुसलमान तो अमन के दीन का अलमबरदार है ना! तो इसे किस ने इजाजत देदी, ऐसे जश्न मनाने की जिस से पड़ोसियों को, मोहल्ले और शहर को, यहाँ तक के पुलिस फ़ोर्स को भी परेशांन करके रख दिया जाता है।
आखीर किसने मुस्लमान को शराब, सूद और रिश्वत में मुब्तेला किया? वो कौन सी गवर्नमेंट है जिसने मुसलमाँन मर्दों को निकाह के लिए लड़कीवालो से दहेज़ लेने की सलाह दे दी ?
बात बोहोत तीखी कर रहा हु लेकिन सोचियेगा जरुर,. हर बार इलजाम हम औरो को देते है, कभी खुद के नफ्स का भी मुहासिबा कर लिया करो।
देखो के! हमने कितना इस दींन पे चलने की कोशिश की है और कितनी अल्लाह रसूल की नाफ़रमानी। कितना हम कुरानो सुन्नत के पैरोकार है और कितना बुतपरस्ती के शिकार।
याद रहे, इस्लाम ही ने दुनिया को जिंदगी जीने के उसूल सिखाये है वरना हैवानियत की मिसाले गैरकोमो में आज भी मौजुद है। जिसमे से एक मिसाल है “दहेज़ प्रथा”।
इसके नुकसानत के बारे में तफ्सील में यहाँ पढ़े: दहेज़ की हकीकत
खैर! अल्लाह हम सबको सच्चे इस्लाम पर अमल की तौफीक दे,
हमे तमाम किस्म के गैरशरायी चीजों से बचाये और किताबो सुन्नत का मुत्तबे बनाये.. अमीन।