Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- हज़रत आदम (अ.स) का दुनिया में आना
- 2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा
- चाँद के दो टुकड़े होना
- 3. एक फर्ज के बारे में
- हज की फ़र्जियत
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- मेजबान को दुआ देना
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- माहे मुहर्रम में रोजा रखना
- 6. एक गुनाह के बारे में
- यतीमों का माल खाने का गुनाह
- 7. दुनिया के बारे में
- दुनिया का फायदा वक़्ती है
- 8. आख़िरत के बारे में
- मोमिन के लिये कयामत के दिन की मिकदार
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज
- वजू के पानी से नजरे बद का इलाज
- 10. नबी (ﷺ) की नसीहत
- अल्लाह तआला पर इस तरह भरोसा करो
6. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
6 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हज़रत आदम (अ.स) का दुनिया में आना
हज़रत आदम (अ.स) जन्नत में तन्हा रहते हुए बेचैनी महसूस करने लगे, तो तसल्ली के लिए। अल्लाह तआला ने उनकी बाईं पसली से हजरत हव्वा (र.अ) को पैदा किया और दोनों को हुक्म दिया के इस दरख्त के अलावा जन्नत की तमाम नेअमतों का इस्तेमाल करो। शैतान ने वस्वसा डाल कर बहकाया के इस दरख्त की खुसूसियत यह है के इस का फल खाने के बाद तुम हमेशा जन्नत में रहोगे।
चुनाचे शैतान के धोके में आकर उन्होने इस दरख्त का फल खा लिया, अल्लाह तआला ने इस ग़लती की वजह से जन्नत का लिबास उतार कर दोनों को दुनिया में भेज दिया। हजरत आदम (अ.स) अपनी ग़लती पर बहुत शर्मिन्दा हुए और एक मुद्दत तक तौबा व इस्तिग़फार करते हुए अल्लाह के सामने रोते रहे, फिर अल्लाह तआला ने उन की तौबा कुबूल फर्माई। उस के बाद दुनिया में हज़रत आदम (अ.स) और हव्वा (र.अ) से नस्ले इन्सानी का सिलसिला शुरू हुआ।
तफ्सीली जानकारी के लिए पढ़े :
हज़रत आदम अलैहि सलाम ~ क़सस उल अंबिया
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा
चाँद के दो टुकड़े होना
कुफ्फारे मक्का ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से यह दरख्वास्त की के (अपनी नुबुव्वत की) कोई निशानी बतलाइये?
तो आप (ﷺ) ने (चाँद की तरफ उंगली से इशारा कर के) चाँद का दो टुकड़े हो जाना दिखलाया।
📕 बुखारी: ३६३५. मुस्लिम : ७०७६ अनअनस (र.अ)
3. एक फर्ज के बारे में
हज की फ़र्जियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“ऐ लोगो ! तुम पर हज फ़र्ज़ कर दिया गया है, लिहाजा उस को अदा करो।“
📕 मुस्लिम :३२५७, अन अबी हुरैरह (र.अ)
4. एक सुन्नत के बारे में
मेजबान को दुआ देना
हज़रत अब्दुल्लाह बिन बुस्र (र.अ) ने फर्माया :
“रसूलुल्लाह (ﷺ) हमारे वालिद के पास मेहमान हुए, है तो हमने आप (ﷺ) के लिये खाना तय्यार किया। जब आप वापस हुए तो हजरत बुस्र के वालिदने हुजूर (ﷺ) की सवारी की लगाम पकड़ कर दुआ की दरख्वास्त की। आप (ﷺ) ने यह दुआ फर्माई।
तर्जमा: ऐ अल्लाह! इन को तूने जो रिज्क दिया है, उस में उन के लिये बरकत अता फर्मा और उनकी मगफिरत फरमा और उनपर रहम फरमा।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
माहे मुहर्रम में रोजा रखना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“माहे रमजान के बाद सब से अफजल मुहर्रम के महीने का रोजा है। और फर्ज नमाजों के बाद सबसे अफजल नमाज रात की नमाज़ है (यानी तहज्जुद की नमाज)।”
📕 मुस्लिम : २७५५, अन अबी हुरैरह (र.अ)
6. एक गुनाह के बारे में
यतीमों का माल खाने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“जो लोग यतीमों का माल नाहक खाते हैं, वह लोग अपने पेटों में आग ही भर रहे हैं और यह लोग अन्करीब आग में दाखिल होंगे।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया का फायदा वक़्ती है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“ऐ लोगो! तुम्हारी नाफर्मानी और बग़ावत का वबाल तुम ही पर पड़ने वाला है, दुनिया की जिन्दगी के सामान से थोड़ा फायदा उठा लो, फिर तुमको हमारी तरफ ही वापस आना है, तो हम उन सब कामों की हक़ीक़त से तुमको आगाह कर देंगे जो तुम किया करते थे।”
8. आख़िरत के बारे में
मोमिन के लिये कयामत के दिन की मिकदार
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“मोमिनीन पर कयामत का दिन जोहर और अस्र के दर्मियानी वक़्त के बराबर होगा।”
📕 मुस्तदरक हाकिम: २८३, अन अबी हुरैरह (र.अ)
खुलासा: कयामत का एक दिन दुनिया के पचास हजार साल के बराबर होगा लेकिन ईमान वाला उसे जोहर व अस्र के दर्मियानी वक्त के बराबर महसूस करेगा।
9. तिब्बे नबवी से इलाज
वजू के पानी से नजरे बद का इलाज
हज़रत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं :
“जिस की नज़र लगी हो उस से वजू कराया जाए फिर उसी पानी से वह शख्स जिस को नजर लगी है, गुस्ल करे।”
नोट : जिस के बारे में यह गुमान हो के उस की नज़र लगी है तो उस के वुजू के पानी से गुस्ल कराया जाए।
10. नबी (ﷺ) की नसीहत
अल्लाह तआला पर इस तरह भरोसा करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“अगर तुम अल्लाह तआला पर इस तरह भरोसा करो, जैसा के भरोसा करने का हक है, तो तूमको भी इसी तरह रोजी मिलेगी जैसे परिंदो को मिलती है के वह सुबह खाली पेट जाते हैं और शाम को पेट भर कर वापस आते हैं।”
📕 तिर्मिज़ी : २३४४, अन उमर बिन खत्ताब (र.अ)
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