Contents
- 1. इस्लामी तारीख
- हज़रत उज़ैर (अ.स)
- 2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा
- हज़रत खुबैब (र.अ) के हक़ में दुआ
- 3. एक फर्ज के बारे में
- सज्दा-ए-सहव करना
- 4. एक सुन्नत के बारे में
- मोमिन के हक़ में दुआ
- 5. एक अहेम अमल की फजीलत
- बरकत वाला निकाह
- 6. एक गुनाह के बारे में
- रसूलुल्लाह (ﷺ) के हुक्म को ना मानने का गुनाह
- 7. दुनिया के बारे में
- आखिरत की कामयाबी दुनिया से बेहतर है
- 8. आख़िरत के बारे में
- दाढ़ और चमड़े की मोटाई
- 9. तिब्बे नबवी से इलाज
- नशा आवर चीज़ो से एहतियात
- 10. नबी (ﷺ) की नसीहत
- जनाज़े को दफ़नाने में देर ना करो
30. Safar | Sirf Panch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हज़रत उज़ैर (अ.स)
हज़रत उज़ैर (अ.स) बनी इस्राईल के नबी और हज़रत हारून (अ.स) की नस्ल से हैं। अल्लाह तआला ने सूर-ए-तौबा में उन का तज़केरा किया है। वह तौरात के हाफिज़ और बड़े आलिम थे, जब बुख़्त नस्र बादशाह ने बनी इस्राईल को शिकस्त दे कर फलस्तीन और बैतुल मक़दिस बिल्कुल तबाह कर दिया और उन को ग़ुलाम बना कर बाबुल ले गया और तौरात के तमाम नुस्खों को जला कर राख कर दिया।
और वह तौरात जैसी अज़ीम आसमानी किताब से महरूम हो गए, तो अल्लाह तआला ने हज़रत उज़ैर (अ.स) को दोबारा बैतुल मक़दिस आबाद करने का हुक्म दिया, उन्होंने उसकी वीरानी को देख कर हैरत का इज़हार किया, तो अल्लाह तआला ने सौ साल तक उन पर नींद तारी कर दी।
जब सौ साल सोने के बाद बेदार होकर देखा के बैतुलमक़दिस आबाद हो चुका है, तो हज़रत उज़ैर (अ.स) ने पूरी तौरात सुनाई और उसे आखिर तक लिखाया, इस अज़ीम कारनामे की वजह से यहूदी उन्हें अकीदत में खुदा का बेटा कहने लगे और आज भी फलस्तीन में यहूद का एक फिरका हज़रत उज़ैर (अ.स) को ख़ुदा का बेटा कहता है। और उनका मुजस्समा बना कर उस की इबादत करता है। (नौजूबिल्लाह)
कुरआन पाक में अल्लाह तआला ने उनके इस गलत अक़ीदे की इसलाह फ़रमाई के वह अल्लाह के बन्दे और उस के सच्चे रसूल हैं, फलस्तीन के दोबारा आबाद होने के बाद पचास साल तक लोगों की इस्लाह करते हुए तकरीबन ४८५ साल कब्ले मसीह इराक के गाँव “साइराबाद” में इन्तेकाल फ़रमाया।
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा
हज़रत खुबैब (र.अ) के हक़ में दुआ
गज़व-ए-बद्र के मौके पर हज़रत खुबैब (र.अ) का कंधा जख्मी हो गया,
आप (ﷺ) ने अपना मुबारक थूक उस पर लगाया, तो बाजू अपनी जगह पर जुड़ कर ठीक हो गया।
📕 बैहक़ी फी दलाइलिन्नुबुव्वह : ९६४
📕 हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा
3. एक फर्ज के बारे में
सज्दा-ए-सहव करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम में से किसी को (नमाज़ में) भूल चूक हो जाए, तो सज्दा-ए-सहव कर ले।”
📕 मुस्लिम १२८३
फायदा : अगर नमाज़ में कोई वाजिब से छूट जाए या वाजिबात और फराइज़ में से किसी को अदा करने में देर हो जाए तो सज्द-ए-सब करना वाजिब है, इस के बगैर नमाज़ नहीं होती।
4. एक सुन्नत के बारे में
मोमिन के हक़ में दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फ़रमाते :
“ऐ अल्लाह ! अगर किसी मोमिन को मैं ने बुरा भला कहा हो तो क़यामत के दिन उस कहने के बदले में उसे अपना क़ुर्ब नसीब फ़रमा।”
📕 बुखारी : २३६१, अन अबी हुरैरह (र.अ)
5. एक अहेम अमल की फजीलत
बरकत वाला निकाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“सब से ज़्यादा बरकत वाला निकाह वह है, जिस में कम से कम खर्च हो।”
📕 शोअबुलईमान : ६२९५, अन आयशा (र.अ)
6. एक गुनाह के बारे में
रसूलुल्लाह (ﷺ) के हुक्म को ना मानने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग रसूलुल्लाह (ﷺ) के हुक्म की खिलाफ़वर्ज़ी करते हैं, उन को इस से डरना चाहिये के कोई आफ़त उन पर आ पड़े या उन पर कोई दर्दनाक अज़ाब आ जाए।”
7. दुनिया के बारे में
आखिरत की कामयाबी दुनिया से बेहतर है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“तुम लोगों को जो कुछ दिया गया है, वह सिर्फ दुनियवी ज़िन्दगी (में इस्तेमाल की) चीज़ें हैं और जो कुछ (अज्र व सवाब) अल्लाह के पास है, वह इस (दुनिया) से कहीं बेहतर और बाक़ी रहने वाला है।”
8. आख़िरत के बारे में
दाढ़ और चमड़े की मोटाई
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“(जहन्नम में) काफिर की एक दाद या एक दाँत उहुद (पहाड़) के बराबर होगी और उसकी खाल की मोटाई तीन दिन चलने (सफर) के बराबर होगी।”
📕 मुस्लिम : ७१८५, अन अबी हुरैरह (र.अ)
9. तिब्बे नबवी से इलाज
नशा आवर चीज़ो से एहतियात
हज़रत उम्मे सलमा (र.अ) फर्माती हैं के,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हर नशे वाली और अक़ल में खराबी पैदा करने वाली चीज़ों से रोका है।
📕 अबूदाऊद: ३६८६
फायदा: अतिब्बा लिखते हैं के नशे वाली चीज़ों के नुक़सानदेह असरात सब से ज़्यादा दिमाग पर ज़ाहिर होते हैं. लिहाज़ा उस से बचने की सख्त ज़रूरत है।
10. नबी (ﷺ) की नसीहत
जनाज़े को दफ़नाने में देर ना करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जनाज़े को जल्दी ले जाओ, अगर मुर्दा नेक है, तो उस की भलाई की तरफ जल्दी पहुँचाओ और अगर वह बद है तो उसको जल्दी अपनी गर्दन से उतार फेंको।”
📕 बुखारी : १३१५, अन अबी हुरैरह (र.अ)
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