28. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
28 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हजरत लूत (अ.स)
हजरत लूत (अ.स) अल्लाह के मशहूर नबी हैं, उन के वालिद का नाम हारान था, वह हज़रत ईसा (अ.स) से तक़रीबन दो हज़ार साल पहले पैदा हुए, उनका वतन इराक़ का मशहूर शहर “बाबूल” था। वह हज़रत इब्राहीम (अ.स) के भतीजे थे और सबसे पहले उन पर ईमान लाने वाले थे, हज़रत इब्राहीम (अ.स) ने ही बचपन से उनकी तरबियत व परवरिश फ़रमाई। जब हज़रत इब्राहीम (अ.स) ने इराक़ से हिजरत की तो हज़रत लूत भी उस सफर में आप के साथ थे।
मिस्र से वापसी पर हजरत इब्राहीम तो फलस्तीन में मुकीम हो गए, मगर हज़रत लूत हिजरत कर के उरदून (शाम) चले गए, उस इलाके में चंद मील के फासले पर बहरे मय्यित के किनारे सदूम व आमूरा नामी बस्तियाँ आबाद थी। उनके रहने वालों की इस्लाह के लिये अल्लाह तआला ने हज़रत लूत (अ.स) को नबी बना कर भेजा।
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2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा
बेहोशी से शिफ़ा पाना
हज़रत जाबिर (र.अ) फ़र्माते हैं के एक मर्तबा मैं सख्त बीमार हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) और हजरत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) दोनों हज़रात मेरी इयादत को तशरीफ़ लाए, यहां पहुँच कर देखा के मैं बेहोश हूँ तो आप (ﷺ) ने पानी मंगवाया और उससे वुजू किया और फिर बाकी पानी मुझपर छिड़का, जिससे मुझे इफ़ाका हुआ और मैं अच्छा हो गया।
📕 मुस्लिम: ४१४७, जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ)
3. एक फर्ज के बारे में
कजा नमाज़ों की अदाएगी
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जो कोई नमाज़ पढ़ना भूल गया या नमाज के वक़्त सोता रह गया, तो (उस का कफ्फारा यह है के) जब याद आजाए उसी वक्त पढ़ ले।”
📕 तिमिजी : १७७, अन अबी कतादा (र.अ)
खुलासा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए या सोने की हालत में नमाज़ का वक़्त गुजर जाए तो बाद में उस को पढ़ना फर्ज है।
4. एक सुन्नत के बारे में
कब्रस्तान जाने की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब कब्रस्तान में जाते तो इस दुआ को पढ़ते थें:
اَلسَّلَامُ عَلَیْکُمْ اَھْلَ الدِّیَارِ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُسْلِمِیْنَ ،وَاِنَّااِنْ شَآئَ اللّٰہُ بِکُمْ لَلاَحِقُوْنَ أَسْأَلُ اللّٰہَ لَنَا وَلَکُمُ الْعَافِیَةَ۔
Assalamualaikum ya ahlad diyaar minal mu’mineena wal muslemeen.wainna insha allahu bikum lahiqoon.asalullahu lana walakumul aafiya.
तर्जमा :ऐ कब्रस्तान में बसने वाले मोमिनो ! तुम पर सलामती हो, हम भी इन्शा अल्लाह तुम से आ मिलने वाले हैं।
📕 अबू दाऊद: ३२३७, अन अबी हरैराह (र.अ)
5. एक अहेम अमल की फजीलत
तहिय्यतुल वुजू पर जन्नत का इन्आम
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जो शख्स अच्छी तरह वुजू करे, फिर दो रकातें पूरी तव्वजोह के साथ अदा करे, तो उस के लिये जन्नत लाज़िम कर दी जाती है।”
📕 मुस्लिम : ५५३, अन उकया बिन आमिर (र.अ)
खुलासा : वुजू के बाद दो रकात नमाज पढ़ने को तहिय्यतुल वुजू कहते हैं।
6. एक गुनाह के बारे में
नमाज़ में सुस्ती करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐसे नमाजियों के लिये बड़ी खराबी है जो अपनी नमाज़ों की तरफ से गफलत व सुस्ती बरतते हैं और जो सिर्फ रिया कारी करते हैं।”
7. दुनिया के बारे में
माल व दौलत आज़माइश की चीजें हैं
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“(जब अल्लाह तआला) इन्सान को आजमाता है, तो उसको (जाहिरन माल व दौलत दे कर) उसका इकराम करता है तो वह (बतौर फक्र) कहने लगता है, के मेरे रब ने मेरी क़द्र बढ़ा दी।”
(हालांके यह उसकी तरफ से उस की आज़माइश का ज़रिया है)
8. आख़िरत के बारे में
दोज़ख की गर्मी और बदबू की शिद्दत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“अगर जहन्नम से (आग का) एक डोल जमीन के दर्मियान रख दिया जाए, तो यह मश्रिक और मगरिब के दर्मियान की तमाम चीजों को अपनी बदबू और सख्त गर्मी से दुखी कर दे और जहन्नम के अंगारे में एक शरारा मशरिक में मौजूद हो तो उस की गर्मी मगरिब में रहने वाले को जा पहुँचेगी।”
📕 तबरानी औसत : ३८२३, अन अनस (र.अ)
9. तिब्बे नबवी से इलाज
खरबूजा के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“खाने से पहले खरबूजे का इस्तेमाल पेट को बिल्कुल साफ कर देता है और बीमारी को जड़ से खत्म कर देता है।”
10. नबी (ﷺ) की नसीहत
जब आदमी मजलिस में आए तो सलाम करे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जब आदमी मजलिस में आए तो सलाम करे फिर मज्लिस से पहले उसे उठने की जरूरत पेश आए तो सलाम करे, फिर उठे।”