25. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

25 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

25. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
25 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हज़रत इस्हाक़ (अ.) की पैदाइश

हजरत इस्हाक़ (अ.) की विलादत बा सआदत अल्लाह तआला की एक बड़ी निशानी है, क्योंकि उन की पैदाइश ऐसे वक्त में हुई जब के उन के वालिद हजरत इब्राहीम (अ.) की उम्र 100 साल और उनकी वालिदा हजरत सारा की उमर 90 साल हो चुकी थी, हालाँके आम तौर पर इस उम्र में औलाद नहीं होती है। जब फरिश्तों ने उन की पैदाइश की खुशखबरी दी, तो दोनों हैरत व तअज्जुब में पड़ गए। मगर फरिश्तों ने यकीन दिलाया और कहा : आप नाउम्मीद मत हों। चुनान्चे अल्लाह तआला के हुक्म से इस्हाक़ पैदा हुए। उसी साल हजरत इब्राहीम व इस्माईल ने बैतुल्लाह की तामीर फ़र्माई थी। यह हज़रत इस्माईल से चौदा साल छोटे थे।

60 साल की उम्र में हज़रत इब्राहीम ने अपने भतीजे की लड़की से उन की शादी कराई, उन से दो लड़के पैदा हुए, एक का नाम ईसू और दूसरे का नाम याकूब था।

तफ्सील में बढे :
हज़रत इसहाक अलैहि सलाम | कसक उल अम्बिया 

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

शक्ल व सूरत का मुख्तलिफ होना

अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत से हर एक इन्सान के चेहरे पर दो कान, दो आँखें, नाक, मुँह और होंट बनाए, उस के बावजूद सब की शक्ल व रंग एक दूसरे से मुख्तलिफ है, हर मुल्क, खित्ते या नस्ल के लोगों की शक्ल व सूरत दूसरी जगह के रहने वालों से बिल्कुल जुदा है। यहाँ तक के एक ही माँ बाप से पैदा होने वाली औलाद के दर्मियान शक्ल व सुरत और रंग में भी फर्क होता है। फिर मर्द व औरत की शक्ल व जिस्म की बनावट भी अलग होती है, गर्ज इन्सानों के दर्मियान शक्ल व सूरत और रंग व नस्ल का अलग अलग होना अल्लाह की कुदरत की अजीम निशानी है।

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

रुकू व सज्दा अच्छी तरह न करने पर वईद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

बदतरीन चोरी करने वाला शख्स वह है जो नमाज़ में से भी चोरी कर ले,
सहाबा ने अर्ज किया : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! नमाज़ में से कोई किस तरह चोरी करेगा ?
फर्माया : वह रुकू और सज्दा अच्छी तरह से नहीं करता है।”

📕 इब्ने खुजैमा : ६४३


4. एक सुन्नत के बारे में

किसी मंजिल से चलते वक़्त नमाज़ पढ़ना

हज़रत अनस (र.अ) बयान करते हैं के:

“रसूलुल्लाह (ﷺ) किसी जगह कयाम करते
और फिर वहाँ से चलते तो दो रकात नमाज जरूर पढ़ते।”

📕 सुनन कुबरा लिल बैहकी: २५३/५


5. एक अहेम अमल की फजीलत

बुरी मौत से हिफाज़त का जरिया

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“सदका अल्लाह तआला के गुस्से को ठंडा करता है
और इन्सान को बुरी मौत से महफूज रखता है।”

📕 तिर्मिजी: ६६४


6. एक गुनाह के बारे में

माँ बाप पर लानत भेजने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“(शिर्क के बाद) सब से बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने माँ बाप पर लानत करे।”
अर्ज किया गया: ऐ अल्लाह के रसूल ! कोई अपने माँ बाप पर लानत कैसे भेज सकता है?
फर्माया : इस तरह के जब किसी के माँ बाप को बुरा भला कहेगा तो वह भी उसके माँ बाप को बुरा भला कहेगा।”

📕 मुस्लिम : २६३


7. दुनिया के बारे में

आदमी का दुनिया में कितना हक़ है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“इब्ने आदम को दुनिया में सिर्फ चार चीजों के अलावा और किसी की जरूरत नहीं : (१) घर : जिस में वह रेहता है, (२) कपड़ा : जिस से वह सतर छुपाता है। (३) खुश्क रोटी। (४) पानी।“

📕 तिर्मिजी: २३४१


8. आख़िरत के बारे में

अहले जहन्नम पर दर्दनाक अजाब

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“बेशक जक्कूम का दरख्त बड़े मुजरिम का खाना होगा, जो तेल की तलछट जैसा होगा, वह पेट में तेज़ गर्म पानी की तरह खौलता होगा (कहा जाएगा) उस गुनहगार को पकड़ लो और घसीटते हुए दोजख के बीच में ले जाओ, फिर उसके सर पर तकलीफ देने वाला खौलता हुआ पानी डालो, (फिर कहा जाएगा) अज़ाब का मज़ा चख ! तू अपने आप को बड़ी इज्जत व शान वाला समझता था, यही वह अजाब है जिसके बारे में तुम शक किया करते थे।”

📕 सूरह दुखान : ४३ ता ५०


9. तिब्बे नबवी से इलाज

हलीला से हर बीमारी का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“हलील-ए-सियाह को पिया करो इस लिए के यह जन्नत के पौदों में से एक पौदा है, जिस का मजा कड़वा होता है मगर हर बीमारी के लिए शिफा है।”

📕 मुस्तदरक : ८१३०

नोट: हलील-ए-सियाह को हिन्दी में काली हड़ कहते हैं। जिसे सिल पर घिस कर पीते हैं, यह कब्ज को खत्म करती है और बादी बवासीर में मुफीद है।


10. कुरआन की नसीहत

कुरआन को गौर से सुनना

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“जब कुरआन पढ़ा जाए, तो इसको पूरी तवज्जोह और गोर से सूना करो और खामोश रहा करो; ताकि तूम पर रहम किया जाए।”

📕 सूरह तग़ाबुन १६

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