19 जमादी-उल-अव्वल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

19 जमादी-उल-अव्वल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

19 Jumada-al-Awwal | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

रजी और बीरे मऊना का अलमनाक हादसा

जंगे उहुद के बाद मुशरिकिन ने धोके से मुसलमानों को कत्ल करने की साजिश शुरू कर दी, माहे सफर सन ४ हिजरी में कबील-ए-अजल व कारा के लोग मदीना आए और हुजूर (ﷺ) से दरख्वास्त की के हम में से कुछ लोग मुसलमान हो गए हैं,
उन की तालीम व तरबियत के लिये अपना मुअल्लिम भेज दीजिये।

आप (ﷺ) ने उन की फर्माइश पर दस मुअल्लिमों को रवाना फरमाया, जिन के अमीर हजर मरसद (र.अ) थे, मकामे रजीअ में पहुँच कर उन जालिमों ने आठ सहाबा को शहीद कर दिया, और हजरत खबैब (र.अ) और जैद (र.अ) को कुरैशे मक्का के हाथ भेज दिया जिन्होंने दोनों को सुली देकर शहीद कर दिया।

उसी महीने में इस से बड़ा बीरे मऊना का दिल खराश वाकिआ पेश आया।

अबू बरा, आमिर बिन मालिक ने आकर हजुर (ﷺ) से फर्माइश की के अहले नजद को इस्लाम की दावत देने और दीन सिखाने के लिये अपने सहाबा को रवाना फर्मा दें। उस की तरफ से हिफाजत के वादे पर आप (ﷺ) ने ७० बड़े बड़े कुर्रा सहाबा को रवाना फर्मा दिया, जिन के अमीर मुन्जिर बिन अम्र थे।

जब यह दावती वफ्द बीरे मऊना पहँचा तो इस धोके बाज ने कबील-ए-रिअलजकवान वगैरा के लोगों को साथ ले कर उन पर हमला कर दिया और कअब बिन जैद (र.अ) के अलावा तमाम कुर्रा सहाबा को शहीद कर डाला। इस अलमनाक हादसे से हजूर (ﷺ) को सख्त सदमा पहँचा और एक महीने तक फज़्र नमाज में नाजिला पढ़ी।

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

बदन की हड्डी कुदरत की निशानी

उस कादिरे मुतलक की कारीगरी को देखिये। उस ने एक कतरे से इंसानी जिस्म में क्या क्या कारीगरी की है।

उस में अल्लाह तआला ने मुख्तलिफ किस्म की हड्डियाँ पैदा की, और उन हड्डियों को सुतून
और पीलर नुमा बना कर पूरे जिस्मे इन्सानी को उन पर खड़ा कर दिया।

उन हड्डियों की शक्ल व सूरत को देखिये बाज़ हड्डियाँ टेढ़ी हैं, बाज़ लम्बी हैं,
कुछ गोल हैं, कुछ सीधी हैं, बाज़ चौड़ी हैं, बाज़ पतली है, कुछ हलकी हैं, कुछ भारी हैं,
कुछ ठोस हैं, इस तरह की मुख्तलिफ शक्लों की छोटी बड़ी तकरीबन २४८ हड्डियाँ हैं।

सोचो तो सही एक कतरे से इतना खूबसूरत जिस्म बनाने वाला कौन है ?

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

तक़दीर पर ईमान लाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

हर चीज़ तकदीर से है, यहाँ तक के आदमी का नाकारा और नाकाबिल और काबिल व होशियार होना (भी तकदीर ही से है)।”

📕 सहीह मुस्लिम : ६७५१

वजाहत: तकदीर कहते है के दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, अच्छा हो या बुरा वह सब अल्लाह तआला के हुक्म और उसकी मशिय्यत से है, हमारे ऊपर उसका यक़ीन रखना और उसपर ईमान लाना फर्ज है।


4. एक सुन्नत के बारे में

घर वालों से नेक बरताव करना

हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के –

आप (ﷺ) ने ग़ज़वे के अलावा कभी भी किसी को अपने हाथ से नहीं मारा और न कभी किसी खादिम को मारा और न ही कभी किसी औरत को मारा।

📕 मुस्लिम : ६०५०


5. एक अहेम अमल की फजीलत

अल्लाह के रास्ते में रोज़ा रखना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

जिसने अल्लाह के रास्ते में एक रोज़ा रखा, तो अल्लाह तआला उस के और जहन्नम के दर्मियान
आसमान व ज़मीन के फासले के बराबर खन्दक़ कायम कर देगा।”

📕 तिर्मिज़ी : १६२४


6. एक गुनाह के बारे में

बोहतान – झूठा इलज़ाम लगाने की सज़ा

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो लोग मुसलमान मर्दो और मुसलमान औरतों को बगैर किसी जुर्म के तोहमत लगा कर तकलीफ पहुँचाते हैं, तो यक़ीनन वह लोग बड़े बोहतान और खुले गुनाह का बोझ उठाते हैं।”

📕 सूरह अहज़ाब : ५८


7. दुनिया के बारे में

हलाल रोज़ी कमाओ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

रोज़ी को दूर न समझो, क्योंकि कोई आदमी उस वक्त तक नहीं मर सकता जब तक के जो रोजी उस के मुक़द्दर में लिख दी गई है, वह उस को न मिल जाए।

लिहाजा रोजी हासिल करने में बेहतर तरीका इख्तियार करो, हलाल रोजी कमाओ और हराम को छोड़ दो।”

📕 मुस्तदरक हाकिम : २१३४


8. आख़िरत के बारे में

क़यामत के दिन आमाल का बदला दिया जायेगा

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

हर जानदार को मौत का मज़ा चखना है और तुम को क़यामत के दिन
आमाल का पूरा पूरा बदला दिया जाएगा,

फिर जो शख्स जहन्नम की आग से बचाकर जन्नत में दाखिल कर दिया गया,
तो वह कामयाब हो गया।”

📕 सूरह आले इमरान: १८५


9. तिब्बे नबवी से इलाज

हिजामा के फायदे: मुफीद तरीन इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“मुझे जिब्रईल (र.अ) ने यह बात बताई के हजामत ( पछना लगाना )
सब से जियादा नफा बख्श इलाज है।”

फायदा : हजामत से फासिद खून निकल जाता है जिसकी वजह से
बदन का दर्द और बहुत सारी  बीमारियां दूर हो जाती हैं।

📕 कन्जुल उम्माल : २८१३८


10. क़ुरान की नसीहत

अल्लाह ताला कुफ्र को पसंद नहीं करता

अल्लाह ताला कुरआन में फर्माता है :

“अगर तुम मुन्किर होगे, तो यकीन जानो के अल्लाह तआला तुम से बेनियाज है और अपने बन्दों के लिये कुफ्र को पसन्द नहीं करता और अगर तुम शुक्र करोगे, तो तुम्हारे इस शुक्र को पसन्द करेगा।”

📕 सूरह जुमर: ७

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *