11 Rabi-ul-Awal | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

11 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsa

11 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

क़ौमे सबा

यमन में दो पहाड़ों के दर्मियान मआरिब नामी शहर में “कौमे सबा” आबाद थी, यहाँ के बादशाहों ने उन दोनों पहाड़ों के दर्मियान एक निहायत मज़बूत बन्द (डेम) बनवाया था, जो सद्दे मआरिब के नाम से मशहूर था। 

यह बन्द शिमाल व जूनूब दोनों तरफ पहाड़ों से आने वाले पानी को रोके रखता था, इस पानी की वजह से उनके दारूल हकमत शहरे मआरिब के दोनों जानिब तकरीबन तीन सौ मुरब्बा मील तक खूबसूरत बागात, हरी भरी खेतियाँ, कदम कदम पर खुश्बूदार फूल और उम्दा उम्दा मेवों के दरख्त लगे हुए थे, कौमे सबा एक ज़माने तक अल्लाह के अहकाम पर अमल करती रही। 

मगर फिर वह उन नेअमतों में पड़ कर एक अल्लाह को भूल गई और कुफ्र व नाफ़रमानी में मुब्तला हो गई, अल्लाह तआला ने उन की इस्लाह के लिये मुतअद्दद अम्बियाए किराम को भेजा, लेकिन उन लोगों ने किसी नबी की दावत को कबूल नहीं किया और गुमराही और अल्लाह तआला की नाफ़रमानी में बढ़ती चली गई। 

बिल आखिर अल्लाह तआला ने उन लोगों पर अज़ाब नाज़िल किया और जिस मज़बूत बन्द (डेम) पर उन्हें बड़ा नाज़ था, उस को तोड़ कर पूरे शहर, बाग़ात और खेतों को बरबाद कर दिया।

अल्लाह तआला ने क़ुरआन में उन का तज़किरा करते हुए फ़रमाया : “हम ने (उन लोगों के) कुफ्र व नाफ़रमानी का यह बदला दिया और हम कुफ्र व नाफ़रमानी का इसी तरह बदला दिया करते हैं।” सूरह सबा: १७

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

जानदारों के जिस्म में जोड़

अल्लाह तआला ने तमाम जानदारों के अन्दर मुख्तलिफ जोड़ बनाए हैं, खुद इन्सान के जिस्म में भी बहुत से जोड़ हैं जिनकी वजह से चलने, फिरने, उठने, बैठने में बड़ी सहूलत होती है, अगर यह जोड न होते तो हमें चलने फिरने में बड़ी परेशानी होती। जब कभी इन्सान के जिस्म की कोई हड्डी टूट जाती है तो उस को तकलीफ के साथ साथ उस नेअमत की कद्र मालूम होती है।

वाकई अल्लाह तआला ने जान्दारों के जिस्म में मुख्तलिफ जोड़ बना कर बड़ा ही एहसान किया है। यह सब अल्लाह की कुदरत ही की कारीगरी है।

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

बाजमात इंशा और फज्र की नमाज़ पढ़ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

“जो शख्स इशा की नमाज़ जमात के साथ पढ़े गोया उसने आधी रात इबादत की और जो फज्र की नमाज़ जमात से पढ़ ले गोया उसने सारी रात इबादत की।”

📕 मुस्लिम : १४९१, अन्न उस्मान बिन अफ्फान (र.अ)


4. एक सुन्नत के बारे में

खाने में ऐब न लगाना

हज़रत अबू हुरैरह ने फ़रमाया –

“रसूलुल्लाह (ﷺ) खाने में ऐब न लगाते अगर चाहते तो उसको खा लेते और अगर उस को नापसन्द फ़रमाते तो छोड़ देते।”

📕 बुखारी : 5409


5. एक अहेम अमल की फजीलत

अपने अज़ीज़ की वफात पर सब्र करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अल्लाह तआला फ़रमाता है के जब मैं अपने किसी मोमिन बन्दे से दुनिया वालों में से उस का कोई अज़ीज़ ले लेता हूँ और वह सब्र करता है, तो उस के लिये सिवाए जन्नत के मेरे पास कोई अज्र नहीं है।”

📕 बुखारी : ६४२४, अन अबी हुरैरह (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

वालिदैन की नाफ़रमानी करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“हर गुनाह की सजा को अल्लाह चाहे तो क़यामत के दिन तक मोअख्खर करता है सिवाए वालिदैन की नाफ़रमानी की सज़ा के अल्लाह तआला उस की सज़ा मौत से पहले दुनिया ही में चखा देता है।”

📕 मुस्तदरक :७२६३, अन अबी बकरा (र.अ)


7. दुनिया के बारे में

इन्सानों की हिर्स व लालच

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अगर आदमी के पास माल व दौलत की दो वादियाँ हों, तो वह तीसरे की तलाश में रहेगा और आदमी का पेट तो बस कब्र की मिट्टी ही भर सकती है।”

📕 बुखारी : ६४३६, अन इन्ने अब्बास (र.अ)


8. आख़िरत के बारे में

जन्नत में कौन जाएगा

क़ुरआन में अल्लाह तआला ने फ़रमाया है –

“जो शख्स बग़ैर देखे अल्लाह से डरता होगा और रूजूअ होने वाला दिल ले कर हाज़िर होगा उन से (कहा जाएगा के) तुम जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओ यह हमेशा रहने वाला दिन है, उन के लिये वह सब कुछ होगा जो वह चाहेंगे।”

📕 सूर-ए-काफ: 1 ता ३५


9. तिब्बे नबवी से इलाज

मेअदे की सफाई

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

“अनार को उसके अन्दरूनी छिलके समेत खाओ, क्योंकि यह मेअदे को साफ करता है।”

📕 मुस्नद अहमद : २२७२६, अन अली (र.अ)

फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फ़रमातें हैं के अनार जहाँ मेअदे को साफ करता है, वहीं पुरानी खाँसी के लिये भी बडा कारआमद फल है।


10. क़ुरान की नसीहत

अल्लाह से डरते रहो और सीधी सच्ची बात किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है :

“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो और सीधी सच्ची बात किया करो (ऐसा करोगे तो) अल्लाह तआला तुम्हारे काम संवार देगा और तुम्हारे गुनाह बख्श देगा और जिस ने अल्लाह तआला और उस के रसूल का कहना माना, तो उस ने बड़ी कामयाबी हासिल कर ली।”

📕 सूर-ए-अहजाब: 70-71

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