10 Rabi-ul-Awal | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

10 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

असहाबुल क़रिया (बस्ती वाले)

सूरह यासीन में अल्लाह तआला ने लोगों की इबरत के लिये एक बस्ती वालों का तज़किरा किया है, उन लोगों के दर्मियान से शिर्ककुफ्र और शर व फसाद को दूर करने और उनकी हिदायतव रहनुमाई के लिये अल्लाह तआला ने पहले दो पैगम्बरों को भेजा, मगर बस्ती वालों ने नहीं माना और उनकी दावत को ठुकरा दिया।

अल्लाह तआला ने एक और पैगम्बर को उनके साथ कर दिया। तीनों पैगम्बरों ने वहाँ रहने वालों को यकीन दिलाया के हम अल्लाह के पैगम्बर और रसूल हैं। मगर उसपर भी उन लोगों ने नहीं माना और मज़ाक़ उड़ाने लगे और मार डालने की धमकी देने लगे।

ऐसी हालत में बस्ती के किनारे पर रहने वाले एक नेक आदमी ने आकर कहा के ऐ मेरी कौम के लोगो! अल्लाह के उन पैगम्बरों की बात को मानो जो तुम्हें हक़ की राह दिखाते हैं और मैं तो उसी एक खालिक व मालिक की इबादत करता हूँ, जिस ने हमें पैदा किया और मरने के बाद उसी की तरफ लौटकर जाना है।

लेकिन उनकी बात मानने के बजाए गुस्से में आकर क़ौम ने उन्हें शहीद कर डाला, अल्लाह तआला ने उस नेक आदमी को उनकी ईमानी जुरअत और पैग़म्बरों की तस्दीक की वजह से जन्नत अता की। वह इस पाकीज़ा मक़ाम को देख कर कहने लगा के काश ! मेरी कौम अल्लाह की अता करदा इन नेअमतों को देख लेती।

फिर जब कौम के लोगों ने उन पैगम्बरों की नाफ़रमानी की और ज़ुल्म व सितम में हद से आगे बढ़ गए, तो अल्लाह तआला ने अज़ाब नाज़िल  किया और एक होलनाक चीख ने पूरी कौम को हलाक कर दिया।

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा

जौ में बरकत

हज़रत नौफल बिन हारिस (र.अ) ने शादी के सिलसिले में रसूलुल्लाह (ﷺ) से मदद चाही, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक औरत से आपका निकाह कर दिया। हज़रत नौफल ने (बतौर महर) कोई चीज़ तलाश की, मगर उन को नहीं मिल सकी, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अबू राफे और अबू अय्यूब (दो सहाबी) को अपनी ज़िरह एक यहूदी के पास तीस साअ जौ के बदले गिरवी रखने भेजा।

चुनान्चे वह लोग जो ले कर आए, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने वह जौ हज़रत नौफल को दिये, हज़रत नौफल और उनकी बीवी ने आधे साल तक उसमें से खाया और फिर उसको नाप लिया, तो वह उतने ही थे, जितने शुरू में थे तो हज़रत नौफल ने रसूलुल्लाह (ﷺ) के सामने उसका ज़िक्र किया, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : अगर तुम  उसको न नापते, तो तुम उसमें से पूरी ज़िन्दगी खाते रहते।

📕 हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा


3. एक फर्ज के बारे में

सज्द-ए-तिलावत अदा करना

हज़रत इब्ने उमर (र.अ) फ़रमाते हैं –

हुजूर (ﷺ) हमारे दर्मियान सज्दे वाली सूरह की तिलावत फ़रमाते तो सज्दा करते और हम लोग भी सज्दा करते, यहाँ तक के हम में से बाज़ को अपनी पेशानी रखने की जगह नहीं मिलती।

📕 बुखारी : १०७५

नोट : सज्दे वाली आयत तिलावत करने के बाद, तिलावत करने वाले और सुनने वाले पर सज्दा करना वाजिब है।


4. एक सुन्नत के बारे में

औलाद के लिये दुआ करना

अगर किसी को औलाद न हो, तो इस दुआ का एहतमाम करना चहिये:

رَبِّ لاَ تَذَرْنِي فَرْدًا وَأَنْتَ خَيْرُ الْوَارِثِينَ

तर्जमा: ऐ मेरे परवरदिगार! मुझे अकेला मत छोड़िये और आप तो सबसे बेहतर वारिस हैं। 

📕 सूर-ए-अम्बिया: ८९


5. एक अहेम अमल की फजीलत

गुनाहों से तौबा करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

“अल्लाह तआला रात को अपना हाथ फैलाता है, ताके दिन के गुनहगार तौबा करलें और दिन को हाथ फैलाता है ताके रात के गुनहगार तौबा कर लें। यह सिलसिला (कयामत के करीब) मग़रिब से सूरज तुलू होने तक जारी रहेगा।”

📕 मुस्लिम: ६९८९, अन अबी मूसा अशअरी (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

दीन के खिलाफ साज़िश करने का गुनाह

क़ुरआन में अल्लाहत आला फ़रमाता है:

“इन खयानत करने वाले लोगों की हालत यह है के लोगों से तो पर्दा करते हैं और अल्लाह तआला से नहीं शर्माते, जब के अल्लाह तआला उस वक़्त भी उन के पास होता है, जब यह रात को ऐसी बातों का मश्वरा करते हैं, जिनको अल्लाह तआला पसन्द नहीं करता और अल्लाह तआला उनकी तमाम कारवाइयों को जानता है।”

📕 सूर-ए-निसा : १०८


7. दुनिया के बारे में

दुनिया की ज़िन्दगी खेल तमाशा है

क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“यह दुनिया की ज़िन्दगी तो सिर्फ खेल तमाशा है, अगर तुम अल्लाह पर ईमान रखोगे और तक़वा इख्तियार करोगे, तो वह तुमको तुम्हारा अज्र व सवाब अता फरमाएगा और तुम से तुम्हारा माल तलब नहीं करेगा।”

📕 सूर-ए-मुहम्मद : ३६ ता ३७


8. आख़िरत के बारे में

दोज़ख का दरख़्त

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाता –

“अगर जक्कूम (जो जहन्नम का एक दरख्त है, इन्तेहाई कड़वा है), उस का एक क़तरा भी दुनिया में टपका दिया जाए तो उस की कड़वाहट की वजह से तमाम दुनिया वालों का जीना मुशकिल हो जाए, तो अब बताओ उस जहन्नमी का क्या हाल होगा, जिस की खूराक ही जक्कूम होगी।”

📕 तिर्मिज़ी : २५८५, अन इब्ने अब्बास (र.अ)


9. तिब्बे नबवी से इलाज

तलबीना से इलाज

हज़रत आयशा (र.अ) बीमार के लिये तलबीना तैयार करने का हुक्म देती थीं और फरमाती थी के मैंने हुजूर (ﷺ) को फरमाते हुए सुना के “तलबीना बीमार के दिल को सुकून पहुँचाता है और रंज व ग़म को दूर करता है।”

📕 बुखारी: ५६८९

नोट- जौ (Barley) को कूट कर दूध में पकाने के बाद मिठास के लिये उस में शहद डाला जाता है, उसको तलबीनाकहते हैं।


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

कोई पड़ोसन अपनी पड़ोसन के लिये हदिया देने को हकीर न समझे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“ऐ मुसलमान औरतो! कोई पड़ोसन अपनी पड़ोसन के लिये हदिया देने को हकीर न समझे ख्वाह यह बकरी का खुर ही क्यों न हो।”

📕 बुखारी : २५६६, अन अबीहुरैरह (र.अ)

खुलासा: पड़ोसियों को आपस में हदिया देते लेते रहना चाहिये और कोई किसी चीज़ को लेने देने में हकीर न समझे।

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