26 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
पहली वही के बाद हुजूर (ﷺ) की हालत
गारे हिरा में हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिलने और वही उतरने का जो वाकिआ पेश आया था, वह जिंदगी का पहला वाकिआ था, इस लिये फितरी तौर पर आप को घबराहट महसूस हुई और इसी हालत में घर तशरीफ़ लाये और कहा के “मुझे चादर उढा दो मुझे चादर उदा दो” चुनान्चे हज़रत ख़दीजा (र.अ.) ने चादर उढ़ा दी और आप लेट गए।
जब कुछ देर के बाद सुकून हुआ, तो सारा वाकीआ आप (ﷺ) ने हज़रत ख़दीजा (र.अ.) से बयान फ़रमाया। वह आप की जानिसार और अकलमन्द बीवी थीं, उन्होंने आप (ﷺ) को तसल्ली दी और कहा के आप नेकी करते हैं, सद्का देते हैं, जरूरतमंदों को खाना खिलाते हैं। अल्लाह तआला आप को हरगिज़ जाया नहीं करेगा।
फिर वह अपने चचाजाद भाई वरका बिन नौफल के पास ले गई, वह तौरात व इन्जील के बड़े आलिम थे। उनसे सारा वाकिआ बयान किया। उन्होंने कहा के खदीजा! यह तो वही फरिश्ता है जो हजरत मूसा (अ.स) के पास आया करता था और यह इस उम्मत के नबी है। काश ! मैं उस वक्त तक जिन्दा रहूं जब क़ौम इन को निकाल देगी ताके मैं मदद करूं। हुजूर (ﷺ) ने फर्माया : “क्या मेरी कौम मुझे मक्का से निकाल देगी? वरका बिन नौफल ने कहा : हाँ! जो नबी आए हैं, उनके साथ क़ौम ने इसी तरह का मामला किया है।
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
हुजूर (ﷺ) की दुआ की बरकत
एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अली (र.अ) को काज़ी बना कर यमन भेजा, तो हज़रत अली कहने लगे: या रसूलल्लाह! मैं तो एक नौजवान आदमी हूँ मैं उन के दर्मियान फैसला (कैसे) करूँगा? हालाँकि मैं ! तो यह भी नहीं जानता के फैसला क्या चीज है ?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मेरे सीने पर अपना हाथ मुबारक मारा और फर्माया : ऐ अल्लाह ! इस के दिल को खोल दे और हक बात वाली जबान बना दे, हजरत अली फरमाते हैं के अल्लाह की कसम ! उस के बाद मुझे कभी भी दो आदमियों के दर्मियान फैसला करने में शक और तरहुद नहीं हुआ।
3. एक फर्ज के बारे में
नमाज़ छोड़ने पर वईद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“नमाज का छोड़ना मुसलमान को कुफ़ व शिर्क तक पहुँचाने वाला है।” 📕 मुस्लिम: २७
“नमाज़ का छोड़ना आदमी को कुफ्र से मिला देता है।” 📕 मुस्लिम : २४६
“ईमान और कुफ्र के दरमियान फर्क करनेवाली चीज़ नमाज़ है।” 📕 इब्ने माजा : १०७८
4. एक सुन्नत के बारे में
नफा न पहुँचाने वाली नमाज़ से पनाह मांगना
हजरत अनस (र.अ) का बयान है के
रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थे :
तर्जुमा : ऐ अल्लाह! मैं तेरी पनाह चाहता है उस नमाज से जो नफा न पहुँचाती हो।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
औरतों का चंद बातों पर अमल करना
औरतों का चंद बातों पर अमल करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“अगर औरत पाँच वक़्त की नमाज पढ़े और रमजान के रोजे रखे और अपनी शर्मगाह की हिफाज़त करे और अपने शौहर की फरमाबरदारी करे (तो कयामत के दिन) उससे कहा जाएगा: तुम जन्नत के जिस दरवाजे से चाहो जन्नत में दाखिल हो जाओ।”
6. एक गुनाह के बारे में
दिखावे के लिए कपड़ा पहनने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स शोहरत के लिए दुनिया में कपड़े पहनेगा, अल्लाह तआला उसको कयामत के दिन रुसवाई के कपड़े पहनाएगा और फिर उसमें आग भड़काएगा।”
7. दुनिया के बारे में
नाफ़र्मानों से नेअमतें छीन ली जाती हैं
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“वह नाफरमान लोग कितने ही बाग, चश्मे, खेतियाँ और उम्दा मकानात
और आराम के सामान जिन में वह मजे किया करते थे, (सब) छोड़ गए,
हम ने इसी तरह किया और उन सब चीज़ों का वारिस एक दूसरी कौम को बना दिया।
फिर उन लोगों पर न तो आसमान रोया और न ही जमीन
और नही उन को मोहलत दी गई।”
8. आख़िरत के बारे में
अहले ईमान का बदला
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“उन (अहले ईमान और नेक अमल करने वालों) का बदला उन के रब के पास ऐसे हमेशा रहने वाले बाग़ होंगे, जिन के नीचे नहरें बह रही होंगी। यह लोग उन में हमेशा रहेंगे। अल्लाह तआला उन से राज़ी, और वह अल्लाह से खुश होंगे। और यह बदला हर उस शख्स के लिये है जो अपने रब से डरता है।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
वरम (सूजन) का इलाज
हज़रत अस्मा (र.अ) के चेहरे और सर में वरम (सूजन) हो गया,
तो उन्होंने हजरत आयशा (र.अ) के जरिये आप (ﷺ) को इस की खबर दी। चुनान्चे हुजूर (ﷺ) उन के यहाँ तशरीफ़ ले गए और दर्द की जगह पर कपड़े के ऊपर से हाथ रख कर तीन मर्तबा यह दुआ फ़रमाई।
اللهم أذْهِبْ عَنْهَا سُولَهُ وَفَحْشَهُ بِدَعْوَةٍ بَيْكَ الطَّيِّبِ الْمُبَارَكَ الْمَكِينِ عِندَكَ ، بسم الله
फिर इर्शाद फ़र्माया : यह कह लिया करो, चुनांचे उन्हों ने तीन दिन तक यही अमल किया तो उन का वरम जाता रहा।
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
सूरह फलक और सूरह नास (मुअव्वज़तैन) से बीमारी का इलाज
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