Technology Industries aaj wajud me nahi hoti ! agar Musalman Scientist Na Hotey – Mrs Carlton Fiorina

“ट्विन टावर के हादसे के २ हफ्ते बाद ही जब इस्लाम पर सारी दुनिया दहशतगर्दी के इलज़ामात लगा रही थी तब एक ईसाई खातून जो की HP की CEO थी वो अपने स्पीच में “इस्लामी सिविलाइज़ेशन” के जो एहसानात है इंसानियत के लिए वो याद दिलाते हुए सबको हैरान कर देती है। आईये उर्दू तर्जुमे के साथ हिंदी में उनकी स्पीच का मुताला करे | जजाक अल्लाहु खैरण कसीरा!

❝ टेक्नोलॉजी इंडस्ट्रीज आज वजूद में नहीं होती! अगर मुसलमान साइंटिस्ट न होते ❞

– मिस कार्लटन फिओरिना।

एक मशहूर और मारूफ शख्सियत “मिस. कार्लेटन फिओरिना” जो के H.P. की सीईओ थी, और इस खातून ने एक स्पीच दी थी जो H.P की “औल वर्ल्डवाइड कंपनी मैनेजर्स की मीटिंग” थी।

यह स्पीच उसने दी है २६ सितम्बर २००१ को यानी ११ सितम्बर २००१ को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर का वाकिया हुआ जिसपर मुसलमानो पर इलज़ाम पर इंल्जाम लगाये जा रहे थे।

उनकी स्पीच इंग्लिश में थी हम उसका तर्जुमा यहाँ बताने की कोशिश करते है। यह स्पीच बहुत हिम्मत बहुत जसारत की चीज़ है! जहाँ मुसलमान अपने आप को मुसलमान कहने से यहाँ शर्मा रहे थे जो वाकिया वहां हुआ! ये खातून जो ईसाई है इसने “ट्विन टावर” के बलास्ट के २ हफ्ते बाद एक तक़रीर में दुनिया से ऐलान किया और कहा और उसने शुरुआत यू की:

तर्जुमा:

  • एक ज़माना था एक क़ौम गुज़री है जो दुनिया में सबसे बेहतरीन क़ौम थी (अभी उसने नाम नहीं लिया) ,
  • ये वो कौम थी जिसने एक ऐसी हुकूमत कायम की जो एक बर्रे आज़म से दूसरे बर्रे आज़म और एक पहाड़ी इलाक़े से दूसरे इलाक़े तक जंगलात और तमाम दीगर ज़मीनात इनके पास थी।
  • इनके हुकूमत के अंदर हज़ारो और लाखो लोग रहते थे जो मुख्तलिफ मज़ाहिब के मानने वाले थे।
  • इसकी ज़ुबान दुनिया की आलमी जुबान बन गयी थी और बहुत से क़ौम के बीच में ताल्लुकात कायम करने की वजह बन गई थी इसकी ज़ुबान।
  • इसके अंदर जो फौजे थी कई मुख्तलीफ़ मुमालिकात से थे और जो हिफाज़त इन्होने दी ऐसी हिफाज़त दुनिया में इस से पहले नहीं देखने को मिली कहीं और तिजारत साउथ अमेरिका से लेकर चीन तक और तमाम बीच के इलाक़ो तक फैली थी।
  • यह जो क़ौम थी जिस चीज़ से चलती थी वो इनके खयालात थे, इनके इन्क्शाफात थे।
  • इनके इंजीनियर्स ने ऐसी इमारते बनाई जो ज़मीन के कशिश (कुव्वत) के खिलाफ थे यानी बड़ी बड़ी इमारतें तामीर करते थे।
  • इनके मैथमेटिक्स जो थे इन्होने अलजेब्रा और एल्गोरिथम जैसे सब्जेक्ट की बुनियाद डाली जो आगे चलकर कंप्यूटर के बनाने इनक्रीप्शन की टेक्नोलॉजी ईजाद हो सकी।
  • इनके जो तबीब डॉक्टर्स थे जो इंसानी जिस्मो को जांचते और नए नए इलाज निकालते उन बीमारियो और कमज़ोरियों के।
  • इनके जो इल्म-ए-फाल्कियत रखने वाले लोग थे वो गौर करते ज़मीन और आसमान में और तारो को नाम देते और यही जरिया बनी आज के दौर के सैटेलाइट और दीगर स्पेस एक्सप्लोरेशन का,.. जो आज हम इन्क्शाफात कर रहे है उसकी वजह बनी।
  • इनके जो मुसन्निफ़ थे वो किताब लिखते थे कहानिया लिखते थे कहानिया जो जसारत, हिम्मत, ताक़त क़ुव्वत की मोहब्बत की।
  • इनके जो शायर थे वो मोहब्बत के बारे में शायरियां लिखते! यह वो ज़माना था जब दूसरे इसके कहने के लिए बहुत ज़्यादा ख़ौफ़ज़दा हुआ करते थे।
  • जब दूसरे लोग नयी इन्काशाफ़त के बारे में सोचना भी उनके लिए खौफ था यह क़ौम तो सोच पे जिया करती थी।
  • जब दुनिया इस चीज़ पर आ चुकी थी की पिछले क़ौम का इल्म मिटा दिया जाए इस क़ौम ने वो इल्म बाकी रखा और लोगों तक पहुँचाया।

बहुत सारी चीज़ जो आज की हम दुनिया में देख रहे है, इस्तेमाल कर रहे है, यह बहुत सारी चीज़ उस क़ौम की देन है जिसके बारे में मैं बात कर रही हूँ, वो “इस्लामिक वर्ल्ड” है,.. इस्लामी क़ौम है, मुसलमान है!! जिसने आठवीं सदी से लेकर सोलवीं सदी तक दुनिया को मशाल-राह दिखाई और इसके अंदर उस्मानी खलीफा और और बग़दाद और शाम और क़ाहेरा, मिस्र की लाइब्रेरीज कुतुबखाने और अच्छे हुक़ुमराह जैसे की “सुलैमान दी मग्निफिसेंत” भी मौजूद थे।

आगे वो कहती है की-
बहुत सारी चीज़ जो हमको मिली है इस क़ौम से, हाला के हम जानते है, फिर भी हम इनके अहसानमंद नहीं है ,..
और आगे वो कहती है की:
“इनकी यह देन आज हमारी ज़िंदगी का हिस्सा है, और टेक्नोलॉजी इंडस्ट्रीज आज वजूद में नहीं होती! अगर मुसलमान साइंटिस्ट न होते”

****
क्यूंकि उसका IT (इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी) से ताल्लुक़ था! वो H.P की सीईओ थी उसने सिर्फ यह बताने के लिए की आज हम इस कंपनी के ज़रिये जिसका हम फायदा उठा रहे है यह किसी का अहसान है हम पर जिस क़ौम ने हमे दिया है, वो मुसलमान थे।

* तो अंदाज़ा लगाइये किस जसारत से उसने “ट्विन टॉवर के ब्लास्ट” के बाद मुसलमान का नाम लेना बुरी बात समझी जा रही थी उसी माहोल में अमेरिका में इस नोनमुस्लिम खातून ने स्पीच दी और कहा की यह क़ौम तो इंसानियत के फायदे के लिए आई थी।

– (“औल वर्ल्डवाइड कंपनी मैनेजर्स की मीटिंग H.P.” , २६ सितम्बर २००१)

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चींटियों की जीवनशैली और परस्पर सम्पर्क (Ant life in Quran)

!! कुरआन और जीव विज्ञान !!
“पैग़म्बर सुलेमान (अलैहिस्सलाम) के लिये जिन्नातों, इंसानों, परिन्दों की सेनाऐं संगठित की गई थीं और वह व्यवस्थित विधान के अंतर्गत रखे जाते थे एक बार वह उनके साथ जा रहा था यहां तक कि जब तमाम सेनाएं चींटियों की वादी में पहुंचीं तो एक चींटी ने कहाः ‘‘ए चींटियो ! अपने बिलों में घुस जाओं कहीं ऐसा न हो कि सुलेमान और उसकी सेना तुम्हें कुचल ड़ालें और उन्हें पता भी न चले। ”
(अल-क़ुरआन: सूर: 27 आयत. 17.18 )

हो सकता है कि अतीत में कुछ लोगों ने पवित्र क़ुरआन में चींटियों की उपरोक्त वार्ता देख कर उस पर टिप्पणी की हो और कहा हो कि चींटियां तो केवल कहानियों की किताबों में ही बातें करती हैं। अलबत्ता निकटतम वर्षो में हमें चींटियों की जीवन शैली उनके परस्पर सम्बंध और अन्य जटिल अवस्थाओं का ज्ञान हो चुका है। यह ज्ञान आधुनिक काल से पूर्व के मानव समाज को प्राप्त नहीं था।
अनुसंधान से यह रहस्य भी खुला है कि वह “जीव: कीट” पतंग, कीड़-मकोड़े जिनकी जीवन शैली मानव समाज से असाधरण रूप से जुड़ी है वह चींटियां ही हैं।
इसकी पुष्टि चींटियों के बारे में निम्नलिखित नवीन अनुसंधानों से भी होती है:
क). चींटियां भी अपने मृतकों को मानव समाज की तरह दफ़नाती हैं।
ख). उनमें कामगारों के विभाजन की पेचीदा व्यवस्था है जिसमें मैनेजर, सुपरवाईज़र, फोरमैन और मज़दूर आदि शामिल हैं।
ग). कभी कभार वह आपस में मिलती है और बातचीत भी करती हैं।
घ). उनमें विचारों का परस्पर आदान प्रदान (Communication) की विकसित व्यवस्था मौजूद है।
च). उनकी कॉलोनियों में विधिवत बाज़ार होते हैं जहां वे अपने वस्तुओं का विनिमय करती हैं।
छ) सर्द मौसम में लम्बी अवधि तक भूमिगत रहने के लिये वह अनाज के दानों का भंडारण भी करती हैं और यदि कोई दाना फूटने लगे यानि पौधा बनने लगे तो वह फ़ौरन उसकी जड़ें काट देती हैं ।
जैसे उन्हें यह पता हो कि अगर वह उक्त दाने को यूंही छोड़ देंगी तो वह विकसित होना प्रारम्भ कर देगा ।
– अगर उनका सुरक्षित किया हुआ अनाज भंडार किसी भी कारण से उदाहरण स्वरूप वर्षा में गीला हो जाए तो वह उसे अपने बिल से बाहर ले जाती हैं और धूप में सुखाती हैं।
– जब अनाज सूख जाता है तभी वह उसे बिल में वापस ले जाती हैं। यानि यूं लगता है , जैसे उन्हें यह ज्ञान हो कि नमी के कारण अनाज के दाने से जड़ें निकल पड़ेंगी जिसके कारण वह दाने खाने के योग्य नहीं रह जाएंगे।

Ant , Quran and Miracle of Female talking Ant

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