♥ Sabr ♥ Farman-e- Hazrat Ali(RaziAllahu Anhu)
∗ Sabr Ko Emaan Se Wohi Nisbat Hai Jo Sar Ko Jism Se Hai, Jis Tarha Bagair Sar Ke Jism Bekaar Hai Issi Tarha Bagair Sabr Ke Emaan.
∗ Daulat, Hukumat Aur Musibat Me Aadmi Ke Aql Ka Imtihaan Hota Hai, Ki Aadmi Sabr Karta Hai Ya Galat Qadam Uthata Hai.
∗ Sabr Ek Aisi Sawaari Hai Jo Sawaar Ko Kabhi Girne Nahi Deti.
∗ Aisa Bohat Kam Hota Hai Ke Jaldbaaz Nuqsaan Na Uthaye, Aur Aisa Ho Hee Nahi Sakta Ke Sabr Karne Wala Naakaam Ho.
∗ Sabr Emaan Ki Buniyad, Sakhawat Insan Ki Khubsurti, Sacchai Haq Ki Zaban, Narmi Kamyabi Ki Kunji aur Mout Ek Bekhabar Sathi Hai.
♥ सब्र ♥ फरमाने हज़रत अली (रज़ी अल्ल्लाहू अन्हु)
» सब्र को ईमान से वोही निस्बत है जो सिर को जिस्म से है.
» दौलत, हुक़ूमत और मुसीबत में आदमी के अक्ल का इम्तेहान होता है कि आदमी सब्र करता है या गलत क़दम उठता है.
» सब्र एक ऍसी सवारी है जो सवार को अभी गिरने नाह देती।
» ऐसा बोहोत कम होता है के जल्दबाज़ नुकसान न उठाये , और ऐसा हो ही नही सकता के सब्र करने वाला नाक़ाम हो.
» सब्र – इमान की बुनियाद, सखावत (दरियादिली) – इन्सान की खूबसूरती, सच्चाई – हक की ज़बान, नर्मी – कमियाबी की कुंजी, और मौत – एक बेखबर साथी है .
» सब्र को ईमान से वोही निस्बत है जो सिर को जिस्म से है.
» दौलत, हुक़ूमत और मुसीबत में आदमी के अक्ल का इम्तेहान होता है कि आदमी सब्र करता है या गलत क़दम उठता है.
» सब्र एक ऍसी सवारी है जो सवार को अभी गिरने नाह देती।
» ऐसा बोहोत कम होता है के जल्दबाज़ नुकसान न उठाये , और ऐसा हो ही नही सकता के सब्र करने वाला नाक़ाम हो.
» सब्र – इमान की बुनियाद, सखावत (दरियादिली) – इन्सान की खूबसूरती, सच्चाई – हक की ज़बान, नर्मी – कमियाबी की कुंजी, और मौत – एक बेखबर साथी है .