जब किसी मुसीबत या बला का अंदेशा हो, तो इस दुआ को कसरत से पढ़े:
“हमारे लिए अल्लाह काफ़ी है और वह बेहतरीन काम बनाने वाला है, हम उसी पर भरोसा करते हैं।”
📕 तिर्मिज़ी : २४३१, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)
और पढ़े:
- किसी की मुसीबत पर खुशी का इजहार मत करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तम अपने किसी भाई की मुसीबत पर खुशी का इजहार मत करो। (अगर एसा करोगे तो हो सकता है के) अल्लाह तआला उसको उस मुसीबत से नजात दे दे और तुम को उस मुसीबत में मुब्तला कर दे।" 📕 तिर्मिजी: २५०६
- जहन्नम का जोश कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "जब जहन्नम (क़यामत के झुटलाने वालों) को दूर से देखेगी, तो वह लोग (दूर ही से) उस का जोश व खरोश सुनेंगे और जब वह दोज़ख़ की किसी तंग जगह में हाथ पाँव जकड़ कर डाल दिये जाएंगे, तो वहाँ मौत ही मौत…
- मुसीबत के वक्त की दुआ जब कोई मुसीबत पहुँचे या उसकी खबर आए, तो यह दुआ पढ़ेः “इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजिऊन” तर्जमा : हम सब (मअ माल व औलाद हकीक़त में) अल्लाह तआला ही की मिल्कियत में है और मरने के बाद) हम सब को उसी के पास लौट कर जाना है। 📕 सूर-ए-बकरह:…
- गम के वक्त यह दुआ पढ़े रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ग़म व मुसीबत के वक्त इस दुआ को पढ़ने के लिये फर्मायाः إِنَّا لِلَّهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ اللَّهُمَّ أْجُرْنِي فِي مُصِيبَتِي وَأَخْلِفْ لِي خَيْرًا مِنْهَا ( inna Lillahi Wa inna ilaihi rajeuun , Allahumma Ajurni fi Musibati Wa Akhlifli Khairam Minha ) तर्जमा : हम सब…
- घर वालों से नेक बरताव करना हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के - आप (ﷺ) ने ग़ज़वे के अलावा कभी भी किसी को अपने हाथ से नहीं मारा और न कभी किसी खादिम को मारा और न ही कभी किसी औरत को मारा। 📕 मुस्लिम : ६०५०
- ताइफ के सरदारों को इस्लाम सन १० नबवी में अबू तालिब के इंतकाल के बाद कुफ्फारे मक्का ने हुजूर (ﷺ) को बहुत जियादा सताना शुरू कर दिया, तो अहले मक्का से मायूस हो कर आप (ﷺ) इस खयाल से ताइफ तशरीफ ले गए के अगर ताइफ वालों ने इस्लाम कबूल कर लिया, तो वहाँ इस्लाम…
- बद नसीबी की पहचान रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "चार चीजें बदनसीबी की पहेचान हैं। (१) आँखों का खुश्क होना (के अल्लाह के खौफ से किसी वक्त भी आँसू न टपके) (२) दिल का सख्त होना (के आखिरत के लिये या न किसी दूसरे के लिये किसी वक़्त भी नर्म न पड़े।) (३) उम्मीदों का…