✦ RasoolAllah (ﷺ) ne farmaya:
“Zikr-e-Illahi ke siwaye Kalam ki Kasrat (bahut zyada baat Karne ) se bacho! kyunke Zikr-e-Illahi ke siwaye Kasrat-e-Kalam Dil ko Sakht Bana deta hai aur logo mein Allah Subhanahu se Sabse zyada door Sakht Dil wala hoga.”
– (Jamia Tirmaizi Jild 2, 2411-hasan)
✦ रसूलअल्लाह (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया:
“ज़िक्रे इलाही के सिवाए कलाम की कसरत (बहुत ज्यादा बात करने ) से बचो! क्यूंकि ज़िक्र इलाही के सिवाए कसरते कलाम दिल को सख्त बना देता है और लोगो में अल्लाह सुब्हानहु से सबसे ज्यादा दूर सख्त दिल वाला होगा।”
– (जामेय तिर्मिज़ी जिल्द २ , २४११- हसन)
✦ RasoolAllah (ﷺ) ne farmaya:
“Main tumhein jannati Admee ke mutaliq na bata du wo dekhne mein kamzor natawa hote hai lekin (Allah Subhanahu ke yaha uska martaba ye hai ke ) agar Kisi baat par Allah Subhanahu ki Qasam khaa le tou Allah Subhanahu usey zarur puri Kar deta hain! aur kya main tumehin dozakhi walo ke mutaliq na bata du, har bad’ikhlaq bhaari jisam wala aur Takkabur Karne wala”
– (Sahih bukhari 4918)
✦ रसूल अल्लाह (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया :
“में तुम्हें जन्नती आदमी के मुतालिक न बता दू वो देखने में कमज़ोर नटवा होते है लेकिन (अल्लाह सुब्हानहु के यहाँ उसका मर्तबा ये है के) अगर किसी बात पर अल्लाह सुब्हानहु की कसम्म खा ले तो अल्लाह सुब्हानहु उसे ज़रूर पूरी कर देता है और क्या में तुम्हें दोज़खी वालो के मुतालिक न बता दू हर बदइख़लाक़ भारी जिस्म वाला और तकब्बुर करने वाला। “
– (सहीह बुखारी ४३१८)
✦ RasoolAllah (ﷺ) ne farmaya:
“Jis Cheez mein behayayee aati hai usay aib dar kar deti hai aur jis cheez mein haya aati hai usmein zeenat aa jati hai”
– (Jamia Tirmizi, Jild 1, 2038-Sahih)
✦ रसूल अल्लाह (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया :
“जिस चीज़ में बेहयाई आती है उसे ऐबदार कर देती है और जिस चीज़ में हया आती है उसमें ज़ीनत आ जाती है “
– (जामे तिर्मिज़ी जिल्द १ , २०३८ – हसन)
✦ Mus’ab bin Sad (RadiAllahu anhu) se rivayat hai ki RasoolAllah (ﷺ) ne farmaya:
“Tum logon ko kamzor maazur logon ki duaaon ki wajah se (Allah ki taraf se) madad aur Rizq diya jata hai.”
– (Sahih Bukhari, Jild 4, 2896)
✦ मुसब बिन साद (रदिअल्लाहु अन्हु) से रिवायत है की रसूल अल्लाह (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया:
“तुम लोगों को कमज़ोर माज़ूर लोगों की दुआओं की वजह से (अल्लाह की तरफ से) मदद और रिज़्क़ दिया जाता है “
– (सहीह बुखारी, जिल्द ४, २८९६)
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