हज़रत उमर बिन अल-खत्ताब (रज़ि) से रिवायत है की रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया –
“अमल का दारोमदार नियत पर है और हर शक्स को वही मिलता है जिसकी वो नियत करे, इसलिए जिसकी हिजरत अल्लाह और उसकी रसूल की रज़ा हासिल करने के लिए हो तो उसको अल्लाह और उसके रसूल की रज़ा हासिल होगी। लेकिन जिसकी हिजरत “दुनिया हासिल करने के लिए हो या किसी औरत से शादी करने के इरादे से हो तो उसकी हिजरत उसके लिए है जिसके लिए वह हिजरत की।”
Shab-e-Barat : शबे बराअत की हकीकत | सुन्नी इस्लाम शबे बराअत / 15 शाबान की इबादतें ? क़ब्रिस्तान में चिरागाह ? रात की नमांजे ? हलवा पकाना ? रूहों की वापसी ? १५ Shaban | Shab e Barat ki hakikat Quran aur sunnat ki roshni mein ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान बहुत रहमवाला है। अल्लाह के नाम से जो सब तअरीफे अल्लाह तअला के लिए हैं हम उसी की तअरीफ करते है और उसी से मदद चाहते हैं। अल्लाह की बेशुमार रहमतें, बरकतें और सलामती नाज़िल हो मुहम्मद सल्लललाहु अलैहि वसल्लम पर और आप की आल व औलाद व असहाब रज़ि. पर। अम्मा बअद! आज…
इस्लाम कैसा इन्सान बनाता हैं? ..... इन्सान को अच्छा इन्सान बनाने की इस्लाम से बेहतर दूसरी कोर्इ व्यवस्था नही। इस्लाम मनुष्य को उसका सही स्थान बताता हैं, उसकी महानता का रहस्य उस पर खोलता हैं उसका दायित्व उसे याद दिलाता हैं और उसकी चेतना को जगाता हैं उसे याद दिलाता हैं कि उसे एक उद्देश्य के साथ पैदा किया गया हैं, निरर्थक नही। इस संसार का जीवन मौजमस्ती के लिये नही हैं। हमे अपने हर काम का हिसाब अपने मालिक को देना हैं। यहां हर काम खूब सोच-समझ कर करना हैं कि यहां हमारे कामो से समाज सुगन्धित भी हो सकता हैं ,..और हमारे दुष्कर्मो से…
मुस्लिम औरत | दुनिया की सबसे बेहतरीन पूंजी इस पोस्ट में हम मुस्लिम औरत की पहचान और खूबियाँ, उसकी जिम्मेदारियां, और उसको मिलने वाले हुकूक, उसकी नादानियों और शर्र की वजह से होने वाले हश्र पर गौर करेंगे। मुस्लिम ख़्वातीन से मुताअ़ल्लिक़ मोअ्तबर अह़ादीस़ का एक मुख़्तसर मजूमुआ औरत / माँ की रह़मत उमर बिन ख़त्ताब रजिअल्लाहु अ़न्हु फ़रमाते हैं कि वो अल्लाह के नबी ﷺ के पास कुछ क़ैदी ले कर आए। उन कैदियों में एक औ़रत भी थी जो (अपने) बच्चे को तलाश कर रही थी। जब उसे कोई बच्चा मिलता उसे अपने सीने से लगा लेती और दूध पिलाती। ये मंज़र देख कर अल्लाह के…
ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना: हदीस Hadees of the Day ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना: हदीस अबु बक्र सिद्दीक (रजी) से रिवायत है की,रसुलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "अगर लोग जालीम को जुल्म करते हुए देखे और उसे न रोके तो करीब है की अल्लाह तआला उन सबको अजाब मे मुब्तला कर देगा।" 📕 रियाद अस-सलीहिन, हदीस, 197
सुन्नत पर अमल करने पर शहीद का सवाब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो मेरी उम्मत में बिगाड़ के वक्त मेरी सुन्नत को मजबूती से थामे रहेगा, उसके लिये एक शहीद का सवाब है।" 📕 तबरानी औसत: ५५७२
इस्लामी इतिहास | Islamic history in Hindi इस्लामी इतिहास | Islamic history in Hindi इस्लामी इतिहास हिंदी में - पैगंबर मुहम्मद (स.) का जीवन, महत्वपूर्ण घटनाएँ, और इस्लामी संस्कृति। विस्तृत लेख, तथ्यों और शिक्षाओं के लिए उम्मत-ए-नबी.कॉम पर जाएँ। विश्वसनीय जानकारी और गहन अध्ययन! अल्लाह तआला ने कलम को पैदा किया जमीन व आसमान की पैदाइश फरिश्ते अल्लाह की मख्लूक हैं जिन्नात की पैदाइश हज़रत आदम (अ.स) हज़रत आदम का दुनिया में आना काबील और हाबील हज़रत शीस (अ.स) हजरत इदरीस (अ.स) हज़रत इदरीस (अ.स) की दावत हज़रत नूह (अ.स) हज़रत नूह (अ.स) की दावत कौमे नूह (अ.स) पर अल्लाह का अजाब कौमे आद हज़रत हूद (अ.स)…
न्याय - इन्सान का हक़: # न्याय: - यह एक बहुत अहम अधिकार है, जो इस्लाम ने इन्सान को इन्सान होने की हैसियत से दिया है। कु़रआन में आया है कि: ♥ अल-कुरान: ‘‘किसी गिरोह की दुश्मनी तुम्हें इतना न भड़का दे कि तुम नामुनासिब ज़्यादती करने लगो’’ - [सुरह(5)माइदा:आयत:8] *आगे चलकर इसी सिलसिले में फिर फ़रमाया: ♥ अल-कुरान: ‘‘और किसी गिरोह की दुश्मनी तुम को इतना उत्तेजित न कर दे कि तुम इन्साफ़ से हट जाओ, (जबकि) इन्साफ़ करो, यही धर्म परायणता से क़रीबतर है’’ - [सुरह(5)माइदा:आयत:8] - मालूम हुआ कि आम इन्सान ही नहीं दुश्मनों तक से इन्साफ़ करना चाहिए। दूसरे शब्दों में…
नज़र का फ़ित्ना - अपनी नज़रे नीची रखे और अपनी शर्मगाहो की हिफ़ाज़त करें नज़र एक ऐसा फ़ित्ना हैं जिस पर कोई रोक नही जब तक कोई इन्सान खुद अपनी नज़र को बुराई से न फ़ेर ले। अमूमन नज़र के फ़ित्ने से आज का इन्सान महफ़ूज़ नही क्योकि टीवी, अखबार, मिडिया के ज़रीये जिस तरह इन्सान के जज़्बात को जिस तरह भड़काने का मौका दिया जा रहा हैं उससे कोई इन्सान नही बच सकता। ऐसी सूरत मे अल्लाह ने जो हुक्म दिया वो इस तरह हैं - » अल्लाह के नाम से शुरू जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं.!! (ऐ रसूल) ईमानवालो से कह दो के अपनी नज़रे नीची रखे और अपनी शर्मगाहो…
अशरा ज़ुल हज की फ़ज़ीलत ~ क़ुरानो सुन्नत की रौशनी में अशरा ज़ुल हज की फ़ज़ीलत क़ुरानो सुन्नत की रौशनी में ۞ बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम ۞ तमाम तारीफे है अल्लाह सुब्हानहु तआला के लिए जो तमाम जहानों को बनाने वाला और उसे पालने वाला है और दुरूदो सलाम हो उसके आखरी नबी मुह्म्मदुर्रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम पर। 1. अशरा ज़ुलहिज्जा क्या है (तारुफ़ और इसकी अहमियत) ? ज़ुलहिज्जा हिजरी (इस्लामी) कैलेंडर का सबसे आखरी यानि १२ वा महीना है। और इस महीने के पहले १० दिनों को अशरा ज़ुलहिज्जा कहा जाता है। इस महीने को यह फ़ज़ीलत हासिल है कि इस्लाम के ५ सुतूनों (शहादत, नमाज़, रोज़ा, जकात और हज) में से एक…
हज्जतुल विदा का ख़ुतबा: पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल॰) का विदायी अभिभाषण (इस्लाम में मानवाधिकार) हज्जतुल विदा का ख़ुतबा पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल॰) का विदायी अभिभाषण (इस्लाम में मानवाधिकार) पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल॰) ईश्वर की ओर से, सत्यधर्म को उसके पूर्ण और अन्तिम रूप में स्थापित करने के जिस मिशन पर नियुक्त किए गए थे वह 21 वर्ष (23 चांद्र वर्ष) में पूरा हो गया और ईशवाणी अवतरित हुई : ‘‘...आज मैंने तुम्हारे दीन (इस्लामी जीवन व्यवस्था की पूर्ण रूपरेखा) को तुम्हारे लिए पूर्ण कर दिया है और तुम पर अपनी नेमत पूरी कर दी और मैंने तुम्हारे लिए इस्लाम को तुम्हारे दीन की हैसियत से क़बूल कर लिया है...।’’ (कु़रआन, 5:3) पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल॰) ने हज…
हदीस क्या है ? हदिस का परिचय और हदीस पर अमल की जरुरत हदीस क्या है - हदिस का परिचय ? पवित्र क़ुरआन के बाद मुसलमानों के पास इस्लाम का दूसरा शास्त्र अल्लाह के रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की कथनी और करनी है जिसे हम हदीस और सीरत के नाम से जानते हैं। हदिस की परिभाषाः हदीस का शाब्दिक अर्थ है: बात, वाणी और ख़बर। इस्लामी परिभाषा में ‘हदीस’ मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की कथनी, करनी तथा उस कार्य को कहते हैं जो आप से समक्ष किया गया परन्तु आपने उसका इनकार न किया। अर्थात् 40 वर्ष की उम्र में अल्लाह की ओर से सन्देष्टा (नबी, रसूल) नियुक्त किए जाने…
MD. Salim Shaikh
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