अम्र बिन सालबा जोहनी (र.अ) कहते हैं के मैं ने आप (ﷺ) से मक़ामे सियाला में मुलाकात की। मैंने इस्लाम क़बूल किया, तो आप (ﷺ) ने मेरे सर पर अपना दस्ते मुबारक रखा,
चुनान्चे हज़रत अम्र (र.अ) ने सौ साल की उम्र में वफात पाई लेकिन सर और चेहरे के जिस हिस्से पर आप (ﷺ) ने अपना दस्ते मुबारक रखा था वहां के बाल सफेद ना हुए।