शहेद से पेट के दर्द का इलाज Highlights • एक शख्स ने अपने भाई की पेट की तकलीफ के लिए रसूलुल्लाह (ﷺ) से मदद मांगी, तो उन्होंने शहद पिलाने को कहा। • बार-बार शहद पिलाने के बावजूद आराम न मिलने पर भी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अल्लाह के वादे पर भरोसा करने को कहा। • आख़िरकार, शहद के लगातार इस्तेमाल से वह शख्स ठीक हो गया, साबित हुआ कि शहद में शिफा है। एक शख्स रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास आया और अर्ज़ किया : “ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे भाई के पेट में तकलीफ है।” रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : ‘शहेद पिलाओ।’ वह शख्स गया और शहेद पिलाया,…
बुरी मौत से हिफाज़त का जरिया रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “सदका अल्लाह तआला के गुस्से को ठंडा करता है और इन्सान को बुरी मौत से महफूज रखता है।” 📕 तिर्मिजी: ६६४
पसंद के मुताबिक हदिया देना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी अपने मुसलमान भाई से किसी ऐसी चीज़ के साथ मुलाकात करे जिस से वह खुश होता हो, तो अल्लाह तआला उस को कयामत के दिन खुश कर देगा। 📕 तबरानी सगीर : ११७५ वजाहत: हदीस से मालूम हुआ के किसी दीनी भाई के यहाँ जाते वक़्त उस की पसंद के मुताबिक़ कोई चीज़ पेश करना चाहिये इस से अल्लाह की रजा व खुश्नूदी हासिल होती है।
कयामत के दिन का अंदाज़ कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "जिस दिन तमाम जानदार और फ़रिश्ते सफ़ बांधकर खड़े होंगे उस रोज कोई कलाम न कर सकेगा, अल्बत्ता जिस को खुदाए रहमान (यानी अल्लाह तआला) बात करने की इजाजत देदे और वह बात भी ठीक ही कहेगा, उस दिन का आना यकीनी है, जो शख्स चाहे अपने रब के पास ठिकाना बना ले।" 📕 सूरह नबाः ३८ ता ३९ इन आयतों में रोज़े क़यामत अल्लाह की अदालत में ह़ाज़िरी का अंदाज दिखाया गया है। और जो इस ख्याल में पड़े हैं कि उन के झूठे माबूद उनकी सिफारिश करेंगे उन को आगाह किया गया…
माल व दौलत आज़माइश की चीजें हैं कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “(जब अल्लाह तआला) इन्सान को आजमाता है तो उस को (जाहिरन माल व दौलत दे कर) उसका इकराम करता है, तो वह (बतौरे फन) कहने लगता है, के मेरे रब ने मेरी कद्र बढ़ा दी। (हालांके यह उसकी तरफ से इसकी आज़माइश का ज़रिया है)।” 📕 सूरह फज्र : १५
क़यामत के दिन काफिर की तमन्ना क़ुरआन में अल्लाह तआला ने फ़रमाया है - "हमने तुमको एक करीब आने वाले अज़ाब से डरा दिया है (जो उस दिन आएगा) जिस दिन आदमी अपने उन आमाल को देख लेगा, जो उस ने अपने हाथों से किये होंगे और उस दिन काफिर कहेगा, काश! मैं मिट्टी हो जाता।" 📕 सूर-ए-नबा: ४०
कोसे कज़ह (Rainbow) में अल्लाह की कुदरत Highlights • बारिश और धूप का मिलाज: हल्की धूप और बारिश से आसमान पर सात रंगों वाली क़ौसे कज़ह (कमान) का दृश्य बनता है।• आसमान की खूबसूरती: यह रंगीन कमान आसमान की सुंदरता में इज़ाफ़ा करती है, जो मानव को चमत्कृत कर देती है।• प्राकृतिक चमत्कार: यह शानदार दृश्य बिना किसी पेंटिंग के चंद मिनटों में तैयार होता है।• अल्लाह की कुदरत: यह अल्लाह की अद्भुत कुदरत का परिणाम है, जो अपनी मर्ज़ी से प्रकृति का यह अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करती है।• आध्यात्मिक सोच: यह प्राकृतिक दृश्य इंसान को सोचने पर मजबूर करता है कि ऐसी खूबसूरती का निर्माण किसने…
शराबी की सज़ा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जिस ने शराबनोशी की, अल्लाह तआला चालीस रात तक उस से खुश नहीं होगा। अगर वह (उसी हाल में) मर गया तो कुफ्र की हालत में मरेगा और अगर तौबा कर ली तो अल्लाह तआला उस की तौबा क़बूल फ़र्माएगा और अगर फिर शराब पी तो अल्लाह तआला उस को दोज़खियों का पीप पिलाएगा।" 📕 मुस्नदे अहमद : २७०५६
गुर्दे की बीमारियों का इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया - "पहलू के दर्द का सबब गुर्दे की नस है, जब वह हरकत करती है, तो इन्सान को तकलीफ होती है लिहाज़ा उसका इलाज गर्म पानी और शहद से करो।" 📕 मुस्तदरक हाकिम : ८२३७, अन आयशा रज़ि० फाएदा: गुर्दे में जब पथरी वगैरह हो जाती है, तो कूल्हों में दर्द होता है, अकसर इसी दर्द ही की वजह से बीमारी का पता चलता है, उसका इलाज आप ने यह बतलाया के गर्म पानी और शहद मिला कर पियो।
दुनिया में चैन व सुकून नहीं है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "खबरदार ! दुनिया के बारे में जो कुछ मैं जानता हूँ, अगर तुम भी जानने लगो, तो तुम्हें कभी दुनिया में चैन नसीब न हो।" 📕 मुस्तदरक हाकिम : ६६४०
इंसान को उस के माँ बाप के बारे में ताकीद अल्लाह तआला कुरआन में फरमाता है: "हमने इन्सान को उस के माँ बाप के बारे में ताकीद की हे के -माँ-बाप के साथ अच्छा बर्ताव करे, (क्योंकि) उस की माँ ने तकलीफ पर तकलीफ उठा कर उस को पेट मैं रखा और दो साल में उस का दूध छुड़ाया है, ऐ इन्सान ! तू मेरा और अपने माँ-बाप का हक मान (इस लिये के) तुम सब को मेरी ही तरफ लौट कर आना है।" 📕 सूरह लुकमान: १४
माल आरियत (उधार) है हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (अ.स) फ़रमाते हैं - "तुम में से हर एक मेहमान है और उस का माल आरियत (उधार) है और मेहमान यानी (इन्सान इस दुनिया से) जाने वाला है और आरियत की चीज़ उसके मालिक को लौटानी पड़ेगी।" 📕 शोअबुल ईमान: १०२४१
कयामत के दिन के सवालात अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) से रिवायत है के,रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "इन्सान के क़दम कयामत के दिन अल्लाह के सामने से उस वक़्त तक नहीं हटेंगे जब तक उस से पाँच चीज़ो के बारे में सवाल न कर लिया जाए। (1) उसकी उम्र के बारे में कि उसको कहाँ खत्म किया। (2) उसकी जवानी के बारे में के उसको कहाँ ख़र्च किया। (3) माल कहाँ से कमाया (4) कहाँ खर्च किया। (5) इल्म के मुताबिक़ क्या-क्या अमल किया। 📕 तिर्मिजी, हदीस: 2416
कयामत से हर एक डरता है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "कोई मुकर्रब फरिश्ता, कोई आसमान, कोई ज़मीन, कोई हवा, कोई पहाड़. कोई समुन्दर ऐसा नहीं जो जुमा के दिन से न डरता हो (इस लिये के जुमा के दिन ही क़यामत कायम होगी)" 📕 इब्ने माजा: १०८४
बीवी को उस का महर देना कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "तुम लोग अपनी बीवियों को उन का महर खुश दिली से दे दिया करो, अलबत्ता अगर वह अपने महर में से कुछ छोड़ दें, तो उसे लजीज़ और खुशगवार समझ कर व खाओ।" 📕 सूरह निसा: ४