रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जन्नत में एक दरख्त है, जिसकी जड़ें सोने की और उनकी शाखें हीरे के जवाहरात की हैं, उस दरख्त से एक हवा चलती है, तो ऐसी सुरीली आवाज़ निकलती है, जिस से अच्छी आवाज़ सुनने वालों ने आज तक नहीं सुनी।”
📕 तरगिब : ५३२२, अन अबी हुरैरा (र.अ)
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