रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“दुनिया उस शख्स का घर है, जिसका (आखिरत में) कोई घर नहीं हो और (दुनिया) उस शख्स का माल है जिस का आखिरत में कोई माल नहीं और दुनिया के लिये वह शख्स (माल) जमा करता है जो नासमझ है।”
📕 मुस्नदे अहमद: २३८९८, अन आयशा (र.अ)
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“दुनिया उस शख्स का घर है, जिसका (आखिरत में) कोई घर नहीं हो और (दुनिया) उस शख्स का माल है जिस का आखिरत में कोई माल नहीं और दुनिया के लिये वह शख्स (माल) जमा करता है जो नासमझ है।”
📕 मुस्नदे अहमद: २३८९८, अन आयशा (र.अ)
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