“मुझे अपनी उम्मत पर सब से ज़ियादा डर ख्वाहिशात और उम्मीदों के बढ़ जाने का है, ख्वाहिशात हक़ से दूर कर देती हैं और उम्मीदों का लम्बा होना आखिरत को भुला देता है, यह दुनिया भी चल रही है और हर दिन दूर होती चली जा रही हैऔर आखिरत भी चल रही है और हर दिन करीब होती जा रही है।”
(यानी हर वक़्त ज़िन्दगी कम होती जा रही हैऔर मौत करीब आती जा रही है,इसलिये आखिरत की तैयारी में लगे रहना चाहिए)
आदमी का दुनिया में कितना हक़ है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “इब्ने आदम को दुनिया में सिर्फ चार चीजों के अलावा और किसी की जरूरत नहीं : (१) घर : जिस में वह रेहता है, (२) कपड़ा : जिस से वह सतर छुपाता है। (३) खुश्क रोटी। (४) पानी।“ 📕 तिर्मिजी: २३४१
दुनिया में लगे रहने का वबाल दुनिया में लगे रहने का वबाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो शख्स अल्लाह का हो जाता है तो अल्लाह तआला उस की हर जरूरत पूरी करता हैं और उस को ऐसी जगह से रिज्क देता हैं के उस को गुमान भी नहीं होता। और जो शख्स पूरे तौर पर दुनिया की तरफ लग जाता है, तो अल्लाह तआला उस को दुनिया के हवाले कर देते हैं।" 📕 कन्जुल उम्माल: ६२७०
आखिरत के मुकाबले में दुनिया से राज़ी होने का वबाल कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "क्या तुम लोग आख़िरत की जिन्दगी के मुकाबले में दुनिया की ज़िन्दगी पर राजी हो गए? दुनिया का माल व मताअ तो आखिरत के मुकाबले में कुछ भी नहीं।" 📕 सूरह तौबा: ३८ यानी मुसलमान के लिये मुनासिब नहीं है के वह दुनिया ही की जिन्दगी पर राजी हो जाए या दुनिया के थोड़ेसे साज़ व सामान की खातिर अपनी आखिरत को बरबाद कर दे।
दुनिया की जेब व जीनत तुम पर खोल दि जाएगी अबी सईद (र.अ) से रिवायत है के, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "मुझे तुम लोगों के बारे में जिस चीज़ का सब से ज़ियादा डर है, वह दुनिया का बनाव सिंघार है, जो तुम पर खोल दिया जाएगा।" 📕 बूखारी, हदीस : १४६५
दुनिया में खुद को मशगूल न करो रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “तुम में से कयामत के दिन मुझ से ज़ियादा करीब वह शख्स होगा, जो दुनिया से उसी तरह निकल आए, जिस तरह मैं छोड़ कर जा रहा हूँ; अल्लाह की कसम! मेरे सिवा तुम में से हर एक दुनिया की किसी न किसी चीज़ में फंसा हुआ है।” 📕 मुस्नदे अहमद ; हदीस २०९४७
दुनियावी ज़िन्दगी धोका है दुनियावी जिन्दगी एक धोका है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "दुनियावी ज़िन्दगी तो कुछ भी नहीं सिर्फ धोके का सौदा है।” 📕 सूरह आले इमरान : १८५ “ऐ लोगो! बेशक अल्लाह तआला का वादा सच्चा है, फिर कहीं तुम को दुनियावी जिन्दगी धोके में न डाल दे और तुम को धोके बाज़ शैतान किसी धोके में न डाल दे, यकीनन शैतान तुम्हारा दुश्मन है। तुम भी उसे अपना दुश्मन ही समझो। वह तो अपने गिरोह (के लोगों) को इस लिये बुलाता है के वह भी दोज़ख वालों में शामिल हो जाएँ।” 📕 सूरह फातिर ५ ता ६ "ऐ इन्सान ! तुझे अपने रब की…
दुनिया में लगे रहने का अंजाम रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो शख्स (दुनिया की जेब व जीनत को देख कर और अपने अंजाम को सोचे बगैर) दुनिया में घुसता है, तो वह अपने आपको जहन्नम में डालता है।" 📕 शोअबुल ईमान : १०१२४
जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये दुनिया और आखिरत में भलाई है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "जो लोग परहेजगार हैं, जब उनसे पूछा जाता है के तुम्हारे रब ने क्या चीज़ नाजिल की है? तो जवाब में कहते हैं : बड़ी खैर व बरकत की चीज नाजिल फ़रमाई है। जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये इस दुनिया में भी भलाई है और बिला शुबा आखिरत का घर तो दुनिया के मुकाबले में बहुत ही बेहतर है और वाक़ई वह परहेजगार लोगों का बहुत ही अच्छा घर है।” 📕 सूरह नहल: ३०
दुनिया को मक़सद बनाने का अंजाम रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो शख्स अल्लाह का हो जाता है, तो अल्लाह तआला उस की जरूरियात का कफील बन जाता है और उस को ऐसी जगह से रोज़ी पहुंचाता है जहाँ से उस का वहम व गुमान भी नहीं होता। और जो शख्स मुकम्मल तौर पर दुनिया की तरफ झुक जाता है, तो अल्लाह तआला उसे दुनिया के हवाले कर देता है।" 📕 बैहकी शोअबुल ईमान: १०९०
दुनिया से बेरग़बती पैदा करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "मौत का (जिक्र) दुनिया से बेगरगबती करने और आखिरत की तलब के लिये काफी है।" 📕 शोअबुल ईमान: १०१५९
दुनिया चाहने वालों का अन्जाम कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “जो कोई दुनिया ही चाहता है, तो हम उस को दुनिया में जितना चाहते हैं, जल्द देते हैं फिर हम उस के लिए दोजख मुकर्रर कर देते हैं, जिस में (ऐसे लोग कयामत के दिन) जिल्लत व रुसवाई के साथ ढकेल दिए जाएंगे।” 📕 सूर-ए-बनी इसराईलः १८
फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ फितना व फसाद करने वालों पर गलबा पाने के लिये क़ुरआन की इस दुआ का एहतेमाम करना चाहिये: ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ قَالَ رَبِّ انصُرْنِي عَلَى الْقَوْمِ الْمُفْسِدِينَ "Rabbi onsurnee AAala alqawmi almufsideena" तर्जुमा: ऐ मेरे परवरदिगार ! मुझे फसाद करने वाली कौम पर गलबा अता फर्मा। 📕 सूरह अंकबूत 29:30
दुनिया के लालची अल्लाह की रहमत से दूर होंगे रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "क़यामत करीब आ चुकी है और लोग दुनिया की हिर्स व लालच और अल्लाह तआला की रहमत से दूरी में बढ़ते ही जा रहे हैं।" खुलासा : कयामत के करीब आने की वजह से लोगों को नेकी कमाने की जियादा से जियादा फ़िक्र करनी चाहिये, लेकिन ऐसा करने के बजाए वह दुनिया की लालच में पड़ कर अल्लाह की रहमत से दूर होते जा रहे है। 📕 मुस्तदरक : ७९१७
बद नसीबी की पहचान रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "चार चीजें बदनसीबी की पहचान हैं। (१) आँखों का खुश्क होना (के अल्लाह के खौफ से किसी वक्त भी आँसू न टपके) (२) दिल का सख्त होना (के आखिरत के लिये या न किसी दूसरे के लिये किसी वक़्त भी नर्म न पड़े।) (३) उम्मीदों का लम्बा होना।(४) दुनिया की हिर्स व लालच का होना।" 📕 तरगीब व तरहीब : ४७४१
कयामत किन लोगों पर आएगी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "कयामत सिर्फ बदतरीन लोगों पर ही आएगी।" 📕 मुस्लिम : ७४०२ फायदा: जब तक इस दुनिया में एक शख्स भी अल्लाह का नाम लेने वाला जिंदा रहेगा, उस वक्त तक दुनिया का निजाम चलता रहेगा, लेकिन जब अल्लाह का नाम लेने वाला कोई न रहेगा और सिर्फ बदतरीन और बुरे लोग ही रह जाएँगे, तो उस वक़्त क़यामत कायम की जाएगी।
MD. Salim Shaikh
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