रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“मौत का (जिक्र) दुनिया से बेगरगबती करने और आखिरत की तलब के लिये काफी है।”
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“मौत का (जिक्र) दुनिया से बेगरगबती करने और आखिरत की तलब के लिये काफी है।”
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