“जो शख्स अल्लाह और उस के रसूल की नाफर्मानी करेगा, और उसकी (मुकर्रर की हुई) हदों से आगे बढ़ेगा तो अल्लाह तआला उस को आग में दाखिल करेगा, जिसमें वह हमेशा रहेगा, और उसको जलील व रुस्वा करने वाला अजाब होगा।”
“बिला शुबा जो लोग अल्लाह और उस के रसूल को (उन का हुक्म न मान कर) तकलीफ देते हैं, अल्लाह तआला उन पर दुनिया व आखिरत में लानत करता है। और उन के लिये जलील करने वाला अज़ाब तय्यार कर रखा है।”
यतीमों का माल खाने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "यतीमों के माल उन को देते रहा करो और पाक माल को नापाक माल से न बदलो और उन का माल अपने मालों के साथ मिला कर मत खाओ ऐसा करना यकीनन बहुत बड़ा गुनाह है।" 📕 सूरह निसा : २
कंजूसी करने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "जो लोग अल्लाह तआला के अता करदा माल व दौलत को (खर्च करने में) बुख्ल (कंजूसी) करते हैं, वह बिल्कुल इस गुमान में ना रहें के (उनका यह बूख्ल करना) उनके लिये बेहतर है, बल्के वह उन के लिये बहुत बुरा है, कयामत के दिन उनके जमा करदा माल व दौलत को तौक बनाकर गले में पहना दिया जाएगा और आसमान व जमीन का मालिक अल्लाह तआला ही है और अल्लाह तआला तुम्हारे आमाल से बाखबर है।" 📕 सूरह आले इमरानः १८०
माँ बाप पर लानत भेजने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “(शिर्क के बाद) सब से बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने माँ बाप पर लानत करे।" अर्ज किया गया: ऐ अल्लाह के रसूल ! कोई अपने माँ बाप पर लानत कैसे भेज सकता है? फर्माया : इस तरह के जब किसी के माँ बाप को बुरा भला कहेगा तो वह भी उसके माँ बाप को बुरा भला कहेगा।” 📕 मुस्लिम : २६३
अस्तगफार कि दुआ (जिसने ये दुआ की उसके सारे गुनाह मुआफ कर दिए गए) ۞ हदीस: ज़ैद (र.अ) से रिवायत है के, रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: जिसने ये कहा तो उसके गुनाह मुआफ कर दिए जायेंगे चाहे वो मैदाने जंग से ही क्यों न भाग गया हो: "अस्तग्फिरुल्लाह अल लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवा अल हय्युल कय्यूम व अतुबू इलैह " तर्जुमा : (मैं अल्लाह से अपने गुनाहों की मुआफी मांगता हु जिसके सिवा कोई इबादत के लायक नहीं, जो जिंदा और हमेशा रहने वाला है और मैं उसी की तरफ तौबा करता हु) 📕 सुनन अबू दावुद, 1517-सहीह
आपस में झगड़ा न करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: “तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो और आपस में झगड़ा न करो, वरना तुम बुजदिल हो जाओगे और दुश्मन के मुकाबले में तुम्हारी हवा उखड़ जाएगी और (मुसीबत के वक्त) सब्र करो, बेशक अल्लाह तआला सब्र करने वालों के साथ है।” 📕 सूर-ए-अन्फाल : 46
रसूलल्लाह (ﷺ) की नाफ़रमानी करने का गुनाह रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "मेरे सब उम्मती जन्नत में जाएंगे मगर जिसने इन्कार कर दिया (वह जन्नत में दाखिल न होगा। ) अर्ज़ किया गया : या रसूलल्लाह (ﷺ) इन्कार कौन करेगा? फ़रमाया : जिसने मेरी इताअत की जन्नत में दाखिल हो गया और जिसने मेरी फ़रमानी की तो उसने इन्कार किया।" 📕 बुखारी : ७२८० अन अबी हुरैरह (र.अ)
माँ बाप की नाफरमानी से बचो : क़ुरान हदीस की रौशनी में | Maa Baap ki Nafarmani se bachey ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ अपने माँ बाप को उफ्फ तक न कहो: "और तुम्हारे रब ने फ़रमाया है की, उसके सिवा किसी की ईबादत ना करो और अपने माँ बाप के साथ भलाई करते रहो और अगर तुम्हारे सामने उनमें से एक या दोनों बुढ़ापे को पहुँच जाये तो उन्हे उफ़ भी न कहो और ना उन्हें झिड़को और उनसे अदब से बात करो और उनके सामने शफ़कत से आजज़ी के साथ झुके रहो और कहो की एह मेरे रब! जैसे उन्होंने मुझे बचपन से पाला है इसी तरह तू भी उन पर रहम फरमा।" 📕 सुरह बनी इसराईल 17:23-24 बाप…
किसी के वालिदैन को बुरा भला कहने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) फरमाते है : "(शिर्क के बाद) कबीरा गुनाहों में सबसे बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने वालिदैन पर लानत करें" पूछा गया : ऐ अल्लाह के रसूल! आदमी अपने वालिदैन पर कैसे लानत करेगा? इर्शाद फ़रमाया : “वह दूसरे के वालिदैन को बुरा भला कहे फिर वह आदमी उस के वालिदैन को बुरा भला कहे।” 📕 बुखारी : ५९७३
काफ़िर नाकाम होंगे कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "बेशक जो लोग काफिर हो गए और (दूसरों को भी) अल्लाह के रास्ते से रोका और हिदायत ज़ाहिर होने के बाद अल्लाह के रसूल की मुखालफत की, तो यह लोग अल्लाह (के दीन) को ज़रा भी नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे और अल्लाह तआला उन के तमाम आमाल को बरबाद कर देगा।" 📕 सूरह मुहम्मद : ३२
सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो [कुरआन ३:१०३] सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “तुम सब मिल कर अल्लाह की रस्सी को मजबूत पकड़े रहो (यानी कुरआन करीम के बताए हए तरीके और रास्ते पर चलो) और आपस में नाइत्तेफाक्री मत करो (अगर तुम नाइत्तेफाक्री की वजह से आपस में बिखर गए तो दुश्मन के मुकाबले में तुम नाकाम हो जाआगे और तुम्हारी कुव्वत व ताकत खत्म हो जाएगी)।” 📕 सूरह आले इमरान: १०३
हुजूर (ﷺ) को गैबी मदद सहाब-ए-किराम फर्माते हैं के हम एक सफर में अल्लाह के रसूल के साथ चार सौ आदमी थे। हम लोगों ने ऐसी जगह पड़ाव डाला जहाँ पीने के लिये पानी नहीं था। हम सब घबरा गए, इतने में एक छोटी सी बकरी अल्लाह के रसूल (ﷺ) के सामने आकर खड़ी हो गई। आपने उस का दूध दूहा और फिर खूब सैर हो कर पिया और अपने सहाबा को भी पिलाया हत्ता के सब सैर हो गए। उसके बाद उस बकरी को बाँध दिया गया, सुबह को उठ कर देखा, तो वह बकरी गायब थी। हुजूर (ﷺ) को खबर दी गई, तो…
नेकी और परहेज़गारी के कामों में एक दूसरे की मदद किया करो क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “नेकी और परहेज़गारी के कामों में एक दूसरे की मदद किया करो गुनाह और ज़ुल्म व ज़ियादती में किसी की मदद न करो और अल्लाह से डरते रहो. बेशक अल्लाह तआला का अज़ाब बहुत सख्त है।” 📕 सूर माइदा 5:2
गुनाह और जुल्म व ज्यादती की बातें न करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “ऐ ईमान वालो! जब तुम आपस में खुफिया बातें करो, तो गुनाह और जुल्म व ज्यादती और रसुल की नाफ़रमानी की बातें न किया करो, बलके भलाई और परहेजगारी की बातें किया करो और अल्लाह से डरते रहो, जिसके पास तुम सब जमा किये जाओगे।" 📕 सूरह मुजादला : 58:9
आपस में दुश्मनी रखने का गुनाह आपस में दुश्मनी रखने का गुनाह रसलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "हर पीर व जुमेरात को (अल्लाह की बारगाह में) आमाल पेश किए जाते है, अल्लाह तआला उन दिनों में हर ऐसे आदमी की मगफिरत फर्मा देता है जो अल्लाह के साथ किसी को शरीक नहीं करता मगर ( उन दो आदमियों की मगफिरत नहीं करता ) जिन के दर्मियान दुश्मनी हो। अल्लाह तआला फर्माता है जब तक यह दोनों सुलह व सफाई न कर लें उन को उसी हाल पर छोड़े रखो।" 📕 मुस्लिम: ६५४६
MD. Salim Shaikh
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