इत्र लगाना हजरते आयशा (र.अ) से मालूम किया गया के रसूलुल्लाह इत्र लगाया करते थे? उन्होंने फ़रमाया : “हाँ मुश्क वगैरह की उम्दा खुशबु लगाया करते थे।” 📕 निसाई: ५११९
नर्म मिज़ाजी इख्तियार करना लोगों के साथ नर्मी से पेश आने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "क्या मैं तुम को ऐसे शख्स की खबर न दूँ जो दोजख के लिये हराम है और दोज़ख की आग उस पर हराम है? हर ऐसे शख्स पर जो तेज़ मिजाज न हो बल्के नर्म हो, लोगों से क़रीब होने वाला हो, नर्म मिजाज हो।" 📕 तिर्मिज़ी : २४८८, अन इब्ने मसऊद (र.अ)
सिरका के फवाइद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "सिरका क्या ही बेहतरीन सालन है।" 📕 मुस्लिम: ५३५०, अन आयशा रज़ि० फायदा : मुहद्दिसीन हज़रात कहते हैं के सिरका तिल्ली के बढ़ने को रोकता है, जिस्म में वरम नहीं होने देता, खाने को हज़म करता है, खून को साफ करता है, फोड़े फुन्सियों को दूर करता है। [अलइलाजुन नबी]
किसी गुनाह को छोटा और मामूली न समझो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "ऐ आयशा खुद को उन गुनाहों से भी बचाने की कोशिश करो जिन का छोटा और मामूली समझा जाता है, क्यों कि इस पर भी अल्लाह की तरफ से फरिश्ता मुकर्रर है जो उस को लिखता रहता है।" 📕 इब्ने माजाह ४२५३ अन आयशा (र.अ)
मस्जिद में दाखिल होने के लिए पाक होना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "किसी हाइजा औरत और किसी जनबी : यानी नापाक आदमी के लिए मस्जिद में दाखिल होने की बिल्कुल इजाजत नहीं है।" 📕 अबू दाऊद : २३२, अन आयशा (र.अ) वजाहत: मस्जिद में दाखिल होने के लिये हैज व निफ़ास और जनाबत से पाक होना जरुरी है।
हजरत कतादा (र.अ) की आँख का ठीक हो जाना जंगे बद्र के दिन हज़रत कतादा बिन नोअमान (र.अ) की आँख में तीर लग गया, जिस की वजह से खून रुखसार पर बहने लगा, तो सहाबा (र.अ) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा : क्या उन की आँख निकाल दें? तो आप (ﷺ) ने मना फ़रमाया : और हजरत कतादा को बूलाकर अपनी हथेली से उन की आँख की तरफ़ इशारा किया, तो वह इतनी अच्छी हो गई के पता नहीं चलता था के कौन सी आँख में तीर लगा था। 📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुयुष्या : १११२
घर वालों से नेक बरताव करना हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के - आप (ﷺ) ने ग़ज़वे के अलावा कभी भी किसी को अपने हाथ से नहीं मारा और न कभी किसी खादिम को मारा और न ही कभी किसी औरत को मारा। 📕 मुस्लिम : ६०५०
हदिया कबूल करना हजरत आयशा (र.अ) बयान करती है: रसूलुल्लाह (ﷺ) हदिया कबूल फर्माते थे और उसका बदला भी इनायत फर्माते थे। 📕 बूखारी: २५८५
Sajde ki dua : सजदा-ए-तिलावत की दुआ Sajde ki dua : रसूलुल्लाह (ﷺ) कुआन मजीद की तिलावत करते हुए आयते सज्दा पर पहुँचते तो इस दुआ को सज्दा-ए-तिलावत में पढ़ा करते -
कलौंजी में मौत के सिवा हर बीमारी का इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तुम इस कलौंजी (मंगरैला) को इस्तेमाल करो, क्योंकि इस में मौत के अलावा हर बीमारी से शिफ़ा मौजूद है।" 📕 बुखारी: 5687, अन आयशा (र.अ) एक और रिवायत में आप (ﷺ) ने फ़रमाया : "बीमारियों में मौत के सिवा ऐसी कोई बीमारी नहीं, जिस के लिये कलौंजी में शिफा नहो।" 📕 मुस्लिम ५७६८
हर बीमारी का इलाज तिब्बे नबवी से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “अल्लाह तआला ने हर बीमारी के लिए दवा उतारी है, जब बीमारी को सही दवा पहुँच जाती है, तो अल्लाह तआला के हुक्म से बीमारी ठीक हो जाती है।” 📕 मुस्लिम : ५७४१ एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी: तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह किसी जानदार की बुराई हो या हसद करने वाली आँख की बुराई…
औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है ۞ हदीस: हज़रत आयशा रज़ि० ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा के औरत पर तमाम लोगों में से किसका हक़ ज़्यादा है? तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:"औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है।" फिर हज़रत आयशा रज़ि० ने पूछा: मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ किसका है? तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :"मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ उस की माँ का है।" 📕 सुनन कुबरा लिन्नसई : ११४८. अन आयशा रज़ि०
कंगारु में अल्लाह की क़ुदरत कंगारु, खरगोश की हम शक्ल एक बड़ा जानवर है जो इन्सानी कद के बराबर होता है। उसके अगले पैर बहुत छोटे और पिछले पैर बहुत बड़े और मजबूत होते हैं, इस की दूम भी काफ़ी लंबी और मोटी होती है, यह अपनी दुम पर बैठ जाता है। अजीब बात यह है के इस के पेट पर एक थैली होती है, कंगारु का बच्चा पैदाइश के वक्त सिर्फ दो इंच का होता है जिस की आँख भी बंद रहती है। इसके बावजूद वह अपनी माँ के जिस्म के बालों को पकड़ कर सीधा उस थैली में पहुँच जाता है और वहा…
बिजली की कड़क में अल्लाह की कुदरत अल्लाह तआला बादलों के जरिये बारिश नाज़िल करता है और कभी उससे बिजली पैदा करता है, जिसकी आवाज़ में बड़ी गरज और सख्त कड़क होती है। अल्लाह तआला ने इस बिजली में रौशनी और आवाज़ पैदा कर के अपनी कुदरत से रोशनी में इतनी तेज रफ्तारी पैदा कर दी के वह जमीन पर बिजली की आवाज़ से पहले पहुंच जाती है, फिर कभी इस बिजली को गिरा कर तबाही मचा देता है, गर्ज़ इन बादलों से बारिश और बिजली की गर्ज पैदा करना कुदरते खुदावन्दी का जबरदस्त नमूना है। 📕 अल्लाह की कुदरत
MD. Salim Shaikh
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