जख्म वगैरह का इलाज हजरत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं : अगर किसी को कोई ज़ख्म हो जाता या दाना निकल आता, तो । आप (ﷺ) अपनी शहादत की उंगली को (थूक के साथ) मिट्टी में रख कर यह दुआ पढ़ते: तर्जमा: अल्लाह के नाम से हमारी जमीन की मिट्टी हम में से किसी के थूक के साथ मिली हुई लगाता हूँ, (ताके) हमारे रब के हुक्म से हमारा मरीज़ अच्छा हो जाए। 📕 मुस्लिम ५७१९
बिच्छू के जहर का इलाज हजरत अली (र.अ) फरमाते हैं : एक रात रसूलुल्लाह (ﷺ) नमाज़ पढ़ रहे थे के नमाज के दौरान एक बिच्छू ने आप को डंक मार दिया, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस को मार डाला जब नमाज़ से फारिग हुए तो फरमाया : अल्लाह बिच्छू पर लानत करे, यह न नमाज़ी को छोड़ता है और न गैरे नमाज़ी को, फिर पानी और नमक मंगवा कर एक बर्तन में डाला और जिस उंगली पर बिच्छू ने डंक मारा था, उस पर पानी डालते और मलते रहे और सूरह फलक व सूरह नास पढ़कर उस जगह पर दम करते रहे। 📕 बैहकी फी शोअबिल…
अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ और अपने बीमारों का सदके से इलाज करो और अल्लाह तआला सामने आजिजी से इस्तकबाल करो।” 📕 तबरानी कबीर : १००४४
खजूर से इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़ारमाया : "जचगी की हालत में तुम अपनी औरतों को तर खजूर खिलाओ और अगर वह न मिलें तो सूखी खजूर खिलाओ।" 📕 मुस्नदे अबी याला; ४३४ खुलासा : बच्चे की पैदाइश के बाद खजूर खाने से औरत के जिस्म का फासिद खून निकल जाता है। और बदन की कमजोरी खत्म हो जाती है।
शहेद से पेट के दर्द का इलाज Highlights • एक शख्स ने अपने भाई की पेट की तकलीफ के लिए रसूलुल्लाह (ﷺ) से मदद मांगी, तो उन्होंने शहद पिलाने को कहा। • बार-बार शहद पिलाने के बावजूद आराम न मिलने पर भी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अल्लाह के वादे पर भरोसा करने को कहा। • आख़िरकार, शहद के लगातार इस्तेमाल से वह शख्स ठीक हो गया, साबित हुआ कि शहद में शिफा है। एक शख्स रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास आया और अर्ज़ किया : “ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे भाई के पेट में तकलीफ है।” रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : ‘शहेद पिलाओ।’ वह शख्स गया और शहेद पिलाया,…
जोड़ों के दर्द का इलाज रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़र्माया : "अंजीर खाओ (फिर उस की अहमियत बताते हुए इर्शाद फर्माया) अगर मैं कहता के जन्नत से कोई फल उतरा है तो यही है, क्यों कि जन्नत के फलों में गुठली नहीं है।” (और अंजीर का यही हाल है) लिहाजा इसे खाओ, इस लिए के यह बवासिर को खत्म करता है और जोड़ो के दर्द में मुफीद है।" 📕 कंजुल उम्माल: २८२७६
दाढ़ के दर्द का इलाज एक मर्तबा हजरत अब्दुल्लाह बिन रवाहा (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से दाढ में शदीद दर्द की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने उन्हें करीब बुला कर दर्द की जगह अपना मुबारक हाथ रखा और सात मर्तबा यह दुआ फ़रमाई : اللّهُمَّ أَذْهِبْ عَنْهُ سُوءَ مَا يَجِدُ، وَاشْفِهِ بِدَوَاءِ نَبِيِّكَ الْمُبَارَكِ الْمَكِينِ عِنْدَكَ "Allahumma adhhib 'anhu su'a ma yajidu, wa shfihi bidawaa'i Nabiyyika al-Mubarak al-Makki 'indak." चुनान्चे फ़ौरन आराम हो गया। 📕 दलाइलुन्नबह लिल बैहकी: २४३१
निमोनिया का इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने निमोनिया के लिये वर्स, कुस्त और रोग़ने जैतून पिलाने को मुफीद बतलाया है। फायदा : "वर्स" तिल के मानिंद एक किस्म की घास है, जिस से रंगाई का काम लिया जाता है और "कुस्त" एक खुशबूदार लकड़ी है जिस को ऊदे हिन्दी भी कहते हैं। 📕 इब्ने माजा : ३४६७
ठंडे पानी से बुखार का इलाज अन अनस बिन मालिक (र.अ) से रिवायत है, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तुम में से किसी को जब बुखार आए, तो सहरी के वक़्त ठंडा पानी (उसके बदन पर) तीन रात तक छिड़का जाए।" 📕 मुस्तदरक, हदीस: ८२२६ फायदा: आज जदीद तरीक़-ए-इलाज के मुताबिक डॉक्टर हजरात भी बुखार के मरीज के सर पर ठंडे पानी की पट्टी रखने का मश्वरा देते हैं।
पछना के जरिये दर्द का इलाज हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के : “रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एहराम की हालत में दर्द की वजह से सर में पछना लगवाया।” 📕 बुखारी: ५७०१ फायदा: पछना लगाने से बदन से फ़ासिद खून निकल जाता है जिस की वजह से दर्द वगैरह खत्म हो जाता है और आँख की रोशनी तेज़ हो जाती है।
जिस्म के दर्द का इलाज हजरत उस्मान बिन अबिल आस (र.अ) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में हाजिर हो कर अपने जिस्म के दर्द को बताया तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : जहां दर्द होता हो वहां हाथ रख कर तीन बार “बिस्मिल्लाह” और सात मर्तबा यह दुआ पढ़ो: ( أَعُوذُ بِاللَّهِ وَقُدْرَتِهِ مِنْ شَرِّ مَا أَجِدُ وَأُحَاذِرُ ) “A’udhu Billahi Wa Qudratihi Min Sharri Ma Ajidu Wa Uhadhiru” तर्जमा: मैं अल्लाह और उस की कुदरत की पनाह चाहता हुँ उस तकलीफ़ से जो मुझे पहुँची है और जिस से मैं डरता हुँ। चुनान्चे उन सहाबी ने जब यह कलिमात कहे तो उन का दर्द…
सफर जल (बही, Pear) से इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "सफर जल (यानी बही) खाया करो, क्योंकि यह दिल को राहत पहुँचाता है।" 📕 इब्ने माजा: ३३६९
पागलपन का इलाज तिब्बे नबवी से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अजवा (खजूर) जन्नत का फल है और जुनून (पागलपन) का इलाज है।" 📕 इब्ने माजा: ३४५३
कलोंजी में हर बीमारी का इलाज है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “तुम इस कलोंजी को इस्तेमाल करो, क्यों कि इस में मौत के अलावा हर बीमारी की शिफ़ा मौजूद है।” 📕 बुखारी: ५६८७,अन आयशा (र.अ) फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : इस के इस्तेमाल से उफारा (पेट फूलना) खत्म हो जाता है, बलगमी बुखार के लिए नफ़ा बख्श है, अगर इस को पीस कर शहद के साथ माजून बना लिया जाए और गर्म पानी के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो गुर्दे और मसाने की पथरी को गला कर निकाल देती है।
MD. Salim Shaikh
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