बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
कसम किसकी खायी जाये ?
हदीस : रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते हैं “अपने मां-बाप और बुतों की कसम ना खाओ और ना ही अल्लाह के अलावा किसी और की कसम खाओ (अगर कसम खाने की जरूरत पड़ जाए) तो सिर्फ अल्लाह की सच्ची कसम खाओ।” 1
नोट : तो मालूम हुआ छोटी छोटी बात पर कसम खाना जरुरी नहीं, जहा बातों की संजीदगी का अहसास दिलाना हो वही कसम खाये। और वह भी सिर्फ अल्लाह की कसम खायी जाये।
अल्लाह के सिवा किसी की कसम खाना कैसा ?
हदीस : रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते हैं “जिसने अल्लाह के अलावा किसी की क़सम खाई उसने कुफ्र या शिर्क किया।” 2
क़सम का कफ़्फ़ारा क्या है ?
अल्लाह तुम्हें नहीं पकड़ता ग़लतफ़हमी की कसम पर, हा! उन कसमों पर पकड़ फरमाता है जिन्हे तुमने मजबूत किया हो, तो ऐसी कसम का बदला 10 मिस्कीनो को वो खाना खिलाना जो तुम अपने घर में अपने लिए पसंद करते हो, या उनको कपड़े देना, या एक गुलाम आज़ाद करना। तो जो इनमें से कुछ ना कर पाए तो 3 दिन के रोजे रखे। 3
सबक : लिहाजा अपनी क़समों की हिफाज़त करो और बिला जरूरी (यानि छोटी छोटी या मामुली बात पर) कसम ना खाया करो, जब इंतेहाई जरूरी पड़ जाए तब ही कसम खाओ और उसे वादे के मुताबिक हर हाल में पूरा करो और उसे पूरा ना कर पाओ तो उस कसम का कफ़्फ़ारा अदा करो।
- नसाई शरीफ: 3769 ↩︎
- अहमद हदीस (2/34), सही तिर्मिज़ी हदीस (2/99) ↩︎
- अल-मैदा, 5:89 ↩︎
और देखे :
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