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» सवाल: कुरान दुनिया मे आने से पहले मुस्लिम कौन सी किताब का अनुसरण करते थे…?
» जवाब: कुरआन नाजिल होने से पहले वहां चार किस्म के लोग थे :
1. यहूदी –
हज़रत मूसा (अलैह सलाम) के मानने वाले, इनके पास आसमानी किताब थी जिसे आज दुनिया (Old Testament) के नाम से जानती है और उसे ही तोरेत कहा जाता है ये किताब हज़रत मूसा पर नाज़िल हुई थी।
2. ईसाई –
हज़रत ईसा (अलैह सलाम) के मानने वाले, हज़रत ईसा (अलैह सलाम) पर इंजील नाम की किताब नाज़िल हुई जिसे दुनिया (new testament) के नाम से जानती है।
3. मक्का के मुशरिक –
हज़रत इब्राहिम को मानने वाले, इन पर भी किताब नाज़िल हुई थी जिसे सुहुफे इब्राहीम के नाम से जाना जाता है इस का कुछ हिस्सा इनके पास मौजूद था।
4. साबिईन –
इन लोगों को आसमानी किताबों का इल्म नहीं था और यह तारे चाँद सूरज वगैरह की पूजा किया करते थे। इनमे साबिईन को छोड़ कर बाकि तीनो गिरोह हज़रत इब्राहीम को अपना मानते थे और आज भी मानते हैं इसलिए यहूदी, ईसाई, और मुसलमानों को ”इब्रहिमिक” कहा जाता है।
यहूदी, ईसाई और मक्का के मुशरिक बहुत पहले एक अल्लाह की ही इबादत करते थे लेकिन धीरे धीरे वक़्त के साथ उन्होंने दीन (धर्म) में नई नई चीज़ें अपनी मर्ज़ी से मिलादी थी जिससे असल दीन की शकल बिगड़ती गई यहाँ तक की उन्होंने अल्लाह के साझी (Partner) भी अपने मन से बना लिए।
उनमे से कुछ फरिश्तों को अल्लाह की बेटियाँ कहते तो कोई किसी नबी हो अल्लाह का बेटा कहने लगा था(माझल्लाह), काबे के अन्दर उन सबके बुत रख कर वो उनकी पूजा करने लगे थे उनमे हज़रत इब्राहीम (अलैह सलाम) का भी एक बहुत बड़ा बुत उन्होंने बाया हुआ था।
ऐसे हालत में कुरान नाजिल हुआ और उसने लोगों को बताया की हज़रत इब्राहीम (अलैह सलाम) सिर्फ एक अल्लाह की इबादत किया करते थे वो अल्लाह का साझी किसी को नहीं बनाते थे (सूरेह बक्राह आयत 135) तो तुम सब उनके ही रस्ते पर चलो वो ही सीधा रास्ता है, दीने इस्लाम वोही हज़रत इब्राहीम (अलैह सलाम) का असल दीन है।
जो सारे पैगम्बरों का असल दीन रहा है, पैगम्बर लोगों को उनके असल रब का रास्ता दिखाने आते थे, ताकि लोग सही रब को पहचान लें और उसका कुर्ब (नजदीकी) हासिल करें।
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