इस्लाम आतंक या आदर्श – स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य

islam aatank ya adarsh, swami lakshmi shankaracharya

इस्लाम आतंक या आदर्श

इस्लाम आतंक या आदर्श – यह पुस्तक कानपुर के स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य जी ने लिखी है।

  • इस पुस्तक में स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य ने इस्लाम के अपने अध्ययन को बखूबी पेश किया है।
  • स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य के साथ दिलचस्प वाकिया जुड़ा हुआ है।

वे अपनी इस पुस्तक की भूमिका में लिखते हैं- मेरे मन में यह गलत धारणा बन गई थी कि,
इतिहास में हिन्दु राजाओं और मुस्लिम बादशाहों के बीच जंग में हुई मारकाट तथा आज के दंगों
और आतंकवाद का कारण इस्लाम है। मेरा दिमाग भ्रमित हो चुका था।

  • इस भ्रमित दिमाग से हर आतंकवादी घटना मुझे इस्लाम से जुड़ती दिखाई देने लगी।
    इस्लाम, इतिहास और आज की घटनाओं को जोड़ते हुए मैंने एक पुस्तक लिख डाली-
    ‘इस्लामिक आंतकवाद का इतिहास’ जिसका अंग्रेजी में भी अनुवाद हुआ।

पुस्तक में स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य आगे लिखते हैं –
जब दुबारा से मैंने सबसे पहले मुहम्मद (सल्ललाहु आलैही वसल्लम) की जीवनी पढ़ी।

  • जीवनी पढऩे के बाद इसी नजरिए से जब मन की शुद्धता के साथ कुरआन मजीद शुरू से अंत तक पढ़ी,
    तो मुझे कुरआन मजीद के आयतों का सही मतलब और मकसद समझने में आने लगा।
  • सत्य सामने आने के बाद मुझ अपनी भूल का अहसास हुआ कि मैं अनजाने में भ्रमित था
    और इस कारण ही मैंने अपनी उक्त किताब- ‘इस्लामिक आतंकवाद का इतिहास’ में
    आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ा है जिसका मुझे खेद है

लक्ष्मी शंकराचार्य अपनी पुस्तक की भूमिका के अंत में लिखते हैं –

मैं अल्लाह से, पैगम्बर मुहम्मद (सल्ललल्लाहु अलेह वसल्लम) से और
सभी मुस्लिम भाइयों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगता हूं
तथा अज्ञानता में लिखे व बोले शब्दों को वापस लेता हूं। सभी जनता से मेरी अपील है कि
‘इस्लामिक आतंकवाद का इतिहास’ पुस्तक में जो लिखा है उसे शून्य समझे।

एक सौ दस पेजों की इस पुस्तक-इस्लाम आतंक? या आदर्श में शंकराचार्य ने
खास तौर पर कुरआन की उन चौबीस आयतों का जिक्र किया है
जिनके गलत मायने निकालकर इन्हें आतंकवाद से जोड़ा जाता है।

उन्होंने इन चौबीस आयतों का अच्छा खुलासा करके यह साबित किया है कि
किस साजिश के तहत इन आयतों को हिंसा के रूप में दुष्प्रचारित किया जा रहा है।

स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य ने अपनी पुस्तक में मौलाना को लेकर इस तरह के विचार व्यक्त किए हैं:

इस्लाम को नजदीक से ना जानने वाले भ्रमित लोगों को लगता है कि
मुस्लिम मौलाना, गैर मुस्लिमों से घृणा करने वाले अत्यन्त कठोर लोग होते हैं।
लेकिन बाद में जैसा कि मैंने देखा, जाना और उनके बारे में सुना,
उससे मुझे इस सच्चाई का पता चला कि मौलाना कहे जाने वाले मुसलमान
व्यवहार में सदाचारी होते हैं, अन्य धर्मों के धर्माचार्यों के लिए अपने मन में सम्मान रखते हैं।

साथ ही वह मानवता के प्रति दयालु और सवेंदनशील होते हैं।
उनमें सन्तों के सभी गुण मैंने देखे। इस्लाम के यह पण्डित आदर के योग्य हैं जो
इस्लाम के सिद्धान्तों और नियमों का कठोरता से पालन करते हैं,
गुणों का सम्मान करते हैं। वे अति सभ्य और मृदुभाषी होते हैं।

ऐसे मुस्लिम धर्माचार्यों के लिए भ्रमवश मैंने भी गलत धारणा बना रखी थी।

उन्होंने किताब में ना केवल इस्लाम से जुड़ी गलतफहमियों दूर करने की
बेहतर कोशिश की है बल्कि इस्लाम को अच्छे अंदाज में पेश किया है।

अब तो स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य देश भर में घूम रहे हैं और लोगों की
इस्लाम से जुड़ी गलतफहमियां दूर कर इस्लाम की सही तस्वीर लोगों के सामने पेश कर रहे हैं।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *