जो पूरा साल अपनी माँ की खिदमत नहीं करते वो एक दिन चुनकर “मदर डे” मनाते है, इसी तरह फादर्स डे, टीचर्स डे और न जाने कौन कौनसा डे मनाकर एक रस्म पुरी कर लेते!
मिलाद का मनमानी जश्न भी इसी तरह के नफ्सपरस्तो की ईजाद करदा रस्म है जिसका जिक्र कही भी कुरानो सुन्नत में नहीं मिलता, और इनका हाल भी यही है के साल भर अपने नबी (स.) की तालीमात को रुसवा करो और एक दिन मनमानी तरीके से DJ की धुन पे मोहब्बते रसूल के दावेदार बन जाओ. अस्ताग्फिरुल्लाह!
याद रहे ! इस्लाम कोई रस्मी दिन नहीं, अल्लाह ने हमेे मोमिन बनने का हुक्म दिया और नबी (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इसी पैगाम को अपनी उम्मत तक पोहचाने के लिए सारी उम्र जद्दो जहद की, लेकिन अफसोस आज बाज़ हज़रात क़ुरान और सुन्नत से गाफिल अपने नफ़्स की पैरवी करने में मशगूल हो चुके है।
मदीना मुनव्वरा के शेप का केक जिसे काट कर खा ने को तैयार किया गया – नौज़बिल्लाह
अल्लाह तआला ऐसे लोगो के ताल्लुक पहले ही फ़रमा चूका है “वो आँखे नहीं जो अंधी होती है, वो दिल होते है जो अंधे होते है।” (कुरान २२:४६)
यह तस्वीर पिछले कई सालो से इंटरनेट पर वायरल हो रही है, जिसमे कुछ मोहब्बते रसूल के दावेदार नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के मुक़द्दस नाम पर बैठे हुये है। नॉज़िबिल्लाह ! अल्लाह इन्हे हिदायत दे।
मिलाद के जुलुस में लिए खाना ऐ काबा और गुम्बदे खिजरा का मॉडल बनाया गया जिसे बाद में फेक कर उसकी हुरमत को पामाल कर दिया – अस्तग़्फ़िरुल्लाह
जश्ने मिलाद के नाम पर होने वाली हरकतों की कुछ वीडियोस का भी मुताला करे:
Jashne Milad Video – 1
Jashne Milad Video – 2
Jashne Milad Video – 3
Jashne Milad Video – 4
Jashne Milad Video – 5
Jashne Milad Video – 6
Jashne Milad Video – 7
Jashne Milad Video – 8
Jashne Milad Video – 9
Jashne Milad Video – 10
Jashne Milad Video – 11
Jashne Milad Video – 12
खैर अब आपको इस से इबरत लेना है, के आपको अपने नबी (सलल्ल्लाहू अलैहि वसल्लम) से कुरानो सुन्नत से साबित हकीकी मोहब्बत करनी है या बिद्दती मोहब्बत!
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#जश्न_ए_ईद_मिलादुन्नबी
इस मुद्दे पे मैं आना नही चाहता था पर मजबूरन आना पड़ा, कुछ लोग तरह तरह की दलीलें दे रहे हैं जश्न मनाने की, कभी इब्न ए कसीर रह. का हवाला, कभी इब्न ए तैमिया रह. का, तो कभी अशरफ अली थानवी रह. का कभी अहमद रज़ा खान सहाब का,,,,,,
तो कभी कुरान की किसी आयात का, तो कभी कुछ, कभी कुछ,
मेरा सीधा सा सवाल है कि बराये मेहरबानी आप कोई दलील लाइये नबी ए अकरम (ﷺ) की नबुव्वत के बाद कि 23 साला ज़िंदगी से,
क्योंकि उन 23 सालों में 23 बार 12 रबीयुल अव्वल आया था,
अगर वहां से न मिले तो खुलफा ए राशेदीन रज़ि. से लाइये जिनके दौर में कम अज़ कम 25 बार
12 रबीयुलअव्वल आया था अगर वहां से भी न मिले तो अपने इमाम,
इमाम ए आज़म अबु हनीफा रह. से ही कोई दलील ला दिजीये,
आप ला ही नही सकते क्योंकि इन लोगों ने 12 रबीयुल अव्वल को कभी जश्न मनाया ही नही,
अच्छा फ़र्ज़ किजये ,,,, क़यामत हो गई है और हश्र के मैदान में हम सभी जमा हैं, और हिसाब किताब का दौर चल रहा है और अल्लाह ने सवाल कर दिया कि बताओ तुम में से कितनों ने 12 रबीयुल अव्वल को ईद और जश्न मनाया, जुलूस निकाला चिरागा किया ,,, हाथ खड़े करो,,,,,,
तो आप जैसों का हाथ उठेगा और खुदा की कसम मेरे अबूबक्र सिद्दीक रज़ि., मेरे उमर बिन खत्ताब रज़ि., मेरे उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ि., और मेरे अली बिन अबी तालिब रज़ि., का हाथ नही उठेगा और हमारा भी हाथ नही उठेगा,,,
अल्हमदुलिल्लाह हम हाथ न उठाने वालों में खुलफा ए राशेदीन रज़ि. के साथ होंगे,
तब बताइये अल्लाह किस्से सवाल करेगा,,, क्या वो अबूबक्र और उमर से पूछेगा कि “ऐ अबूबक्र” आपने उस दिन जश्न क्यों नही मनाया,
जबकि देखिए आपके हज़ारों साल बाद वालों ने कितनी धूम धाम से मनाया, क्या आपको अपने नबी से मोहब्बत नही थी जो आपने नही मनाया,,,,,,,
या फ़िर,,,,अल्लाह आप जैसे लोगों से सवाल करेगा कि ऐ बदबख्तों जिस अमल को अबूबक्र, उमर, उस्मान और अली ने नही किया उसको तुमको करने की जुर्रत कैसे हुई,,,,,,,,, वहां जवाब आपको देना है,,,,,
अगर हमसे सवाल होगा तो हम तो साफ कह देंगे के ऐ अल्लाह जिस अमल को आपके हबीब के जां निसार सहाबा, जिनको आपने ज़िंदगी मे ही जन्नत की बशारत दे दी थी उन्होंने नही किया, इसलिए हमने भी नही किया,,,,,,,
अब फैसला आपका है कि इस अमल को करके खुलफा ए राशेदीन रज़ि. के खिलाफ में खड़े होना चाहते हैं या न करके इनके साथ ,,,,, आपकी मर्जी,,,,,
जश्न के बरक्स हदीसों में आता है कि 12 राबीउलव्वाल को जब मेरे प्यारे नबी (ﷺ) दुनिया से रुखसत हुए तो उनकी लाडली बेटी हज़रत फातिमा रज़ि. का रो रो के बुरा हाल था,,,इन्होंने कहा कि आज जितनी तकलीफ मुझे हो रही है यह तकलीफ अगर किसी पहाड़ पे दे दी जाती तो पहाड़ रेज़ रेज़ा हो जाता (मफ़हूम)….
और तुम लोग नही मनाने वालों को कहते हो कि वो इब्लीस के साथी हैं ,,,, ज़रा सोचो तो कि indirectly तुम उन तमाम लोगों को इब्लीस का साथी कह रहे हो जिनका रुतबा इस्लाम मे अव्वल पायदान पे हैं,,,,
जिसमे खुलफा ए राशेदीन रज़ि. , ताबयीं , तब ए ताबेईन से लेकर आइम्मा ए किराम तक है,,,,,
इन सब पे तुम जैसे लोग इब्लीस के साथी होने का इल्जाम लगाते हो,,,,, शर्म करो और अपने ईमान का जायजा लो,,,,,,, अल्लाह से पनाह मांगो,,,
समझ आई हो तो शेयर कर दे, ताकि और लोगों तक पहुंच जाये,