तुम या तो आलिम बनो या तालिबे इल्म बनो : हदीस
अबू बकर सिद्धिक (र.अ.) फरमाते है के,
मैंने रसूलअल्लाह (ﷺ) को यह इरशाद फ़रमाते हुए सुना के,
“तुम या तो आलिम बनो या तालिबे इल्म बनो, या इल्म तवज्जो से सुनने वाले बनो, या इल्म और इल्म वालो से मोहब्बत करने वाले बनो, (इन चार के अलावा) ५ वी किस्म के मत बनो, वरना हलाक हो जाओगे।“
फ़रमाया “पांचवी किस्म ये है की तुम इल्म और इल्म वालो से बुग्ज़ (नफरत व दुश्मनी) रखो। “
📕 तिब्रानी; हदिस 1/328 © www.ummat-e-nabi.com/home
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