जमीन का अजीब फर्श अल्लाह तआला फर्माता है : "हम ने जमीन को फर्श बनाया और हम कैसे अच्छे बिछाने वाले हैं।" जरा गौर कीजिये, अल्लाह तआला ने ज़मीन का कैसा अच्छा बिस्तर बिछाया है जिस पर हम आराम करते हैं, इस बिस्तर के बगैर हमारे लिये रहना दुश्वार था। फिर हमारे लिये ज़िंदगी की तमाम जरुरियात खाने पीने, अनाज, ग़ल्ले और मेवे के लिये जमीन को ख़ज़ाना बनाया, फिर सदी, गर्मी से हिफाजत भी जमीन पर रह कर कर सकते हैं और बदबूदार चीजें और मुरदार जिन की बदबू से हम को सख्त तकलीफ होती है ऐसी चीजों को हम जमीन में दफन…
इमाम से पहले सर उठाने का गुनाह रसूलल्लाह ﷺ ने फ़र्माया: "क्या वह शख्स जो (बाजमात नमाज़ में) इमाम से पहले अपने सर को उठाता है, इस बात से नहीं डरता, के अल्लाह तआला उसके सर को गधे का सर बना देगा, या उस की शक्ल गधे जैसी बना देगा।” 📕 बुखारी: ६१५, अन अबी हुरैरह (र.अ)
सिफारिश पर बतौरे हदिया माल लेना एक गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “किसी ने अपने (मुसलमान) भाई की किसी चीज़ में सिफारिश की और सिफारिश करने पर सामने वाले ने उस को कोई चीज बतौरे हदिया पेश की और उस ने कुबूल कर ली, तो वह सूद के बहुत बड़े दरवाजे पर आ पहुँचा।” 📕 अबू दाऊद: ३५४१
हज़रत साबित (र.अ) के लिये पेशीनगोई हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा आप (ﷺ) ने हज़रत साबित बिन कैस (र.अ) से फरमाया था: "क्या तुम इस पर राजी नहीं के एक अच्छी जिन्दगी बसर करो और शहीद की मौत मरोऔर फिर जन्नत में दाखिल हो जाओ? तो हजरत साबित ने फरमाया : या रसूलल्लाह (ﷺ) हाँ क्यों नहीं। चुनान्चे हज़रत साबित (र.अ) ने अच्छी जिन्दगी बसर कीऔर फिर अल्लाह की राह में शहीद हो गए।" 📕 मुअजमे कबीर लित तबरानी : १२९६
ख़ुशहाली आम होने की खबर देना हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मुझ से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “अगर तेरी उम्र जियादा होगी तो तू देखेगा के आदमी मिट्टी भर सोना और चाँदी खैरात के लिये लाएगा और मोहताज को तलाश करेगा, लेकिन उसे कोई (सद्का) लेने वाला नहीं मिलेगा।” 📕 बुखारी: ३५१५ वजाहत: उलमा ने लिखा है के हजरत अदी बिन हातिम (र.अ) की उम्र १२० साल हुई और यह पेशीनगोई हज़रत उमर बिन अब्दुल अजीज (र.) के जमाने में पूरी हुई के ज़कात लेने वाला कोई मोहताज व मुफलिस नहीं मिलता था।
हज व उमरह एक साथ की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “हज और उमरह को एक साथ किया करो इस लिए के वह दोनों फक्र और गुनाहों को खत्म कर देते हैं, जैसा के भट्टी लोहे और सोने चांदी के मैल को खत्म कर देती है और हज्जे मबरूर (मक़बूल) का बदला तो सिर्फ जन्नत ही है।” 📕 तिर्मिज़ी: ८१०, अन इब्ने मसूद (र.अ)
ज़रूरत से ज्यादा सामान शैतान के लिये रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ) से फ़र्माया : "एक बिस्तर आदमी के लिये और एक उसकी बीवी के लिये और तीसरा मेहमान के लिये और चौथा शैतान के लिये होता है।" 📕 मुस्लिम : ५४५२
कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा नमाज़ की सेहत पर रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा, अगर नमाज़ अच्छी हुई तो बाकी आमाल भी अच्छे होंगे और अगर नमाज़ खराब हुई तो बाकी आमाल भी खराब होंगे।" 📕 तरगीब व तरकीब: ५१६ "क़यामत में सब से पहले नमाज़ का हिसाब लिया जाएगा, अगर वह अच्छी और पूरी निकल आई तो बाकी आमाल भी पूरे उतरेंगे और अगर वह खराब हो गई, तो बाक़ी आमाल भी खराब निकलेंगे।" 📕 तिर्मिजी: ४१३, अन अबू हरैराह रज़ि०
कुरआन की कोई सूरत पढ कर सोना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “जब मुसलमान बिस्तर पर (सोते वक्त) कुरआन की कोई भी सूरत पढ लेता है, तो अल्लाह तआला उस की हिफाजत के लिए एक फरिश्ता मुकर्रर फरमा देता है और उसके जागने तक कोई तकलीफ़ देह चीज उसके करीब भी नहीं आती।” 📕 तिर्मिज़ी: ३४०७ फायदा: जो शख्स शव्वाल के पूरे महीने में कभी भी इन 6 रोजों को रखेगा तो वह इस फजीलत का मुस्तहिक होगा।
नमाज़ में इमाम की पैरवी करना हज़रत अबू हुरैरह (र.अ) फ़र्माते हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) हमें सिखाते थे के "(नमाज़ में) इमाम से पहले रुक्न अदा न किया करो।" 📕 मुस्लिम : १३२ फायदा : अगर इमाम के पीछे नमाज पढ़ रहा हो, तो तमाम अरकान को इमाम के पीछे अदा करना चाहिये, इमाम से आगे बढ़ना जाइज नहीं है।
इस्मिद सुरमा लगाना हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ) फरमाते हैं के, "रसूलुल्लाह (ﷺ) से हर रात सोने से पहले तीन मर्तबा इस्मिद सुरमा लगाया करते थे।" 📕 मुस्तदरक हाकिम: ८२४९
मज़दूर की मज़दूरी पसीना सुखने से पहले दिया करो मज़दूर को पसीना सुखने से पहले मज़दूरी दो ۞ हदीस: अब्दुल्ला इब्न उमर (रजि.) से रिवायत है की,रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मज़दूर को उसकी मज़दूरी उसका पसीना सुखने से पहले दे दो।" 📕सुनन इब्न माजाह, हदीस:600 मज़दूर को पूरी मजदूरी देना ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मैं क़यामत के दिन तीन लोगों का मुक़ाबिल बन कर उन से झगडूंगा, (उन तीन में से एक) वह शख्स है जिसने किसी को मज़दूरी पर रखा और उससे पूरा-पूरा काम लिया मगर उसको पूरी मज़दूरी नहीं दी।" 📕 इब्ने माजाह : २४४२ खुलासा: मज़दूर को मुकम्मल मज़दूरी देना वाजिब है।
मौत की सख्ती के वक़्त की दुआ हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने मौत से पहले यह दुआ पढ़ी थी : तर्जमा: ऐ अल्लाह! मौत की सख्तियों और बेहोशियों पर मेरी मदद फ़र्मा। 📕 तिर्मिजी : ९७८
जख्मी हाथ का अच्छा हो जाना एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) खाना खा रहे थे, इतने में हज़रत जरहद अस्लमी (र.अ) हाजिरे खिदमत हुए, हुजूर ने फ़र्माया: खाना खा लीजिए, हज़रत जरहद के दाहिने हाथ में कुछ तकलीफ थी, लिहाजा उन्होंने अपना बायाँ हाथ बढ़ाया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: दाहिने हाथ से खाओ, हज़रत जरहदने (र.अ) फर्माया : इस में तकलीफ है, तो आप (ﷺ) ने उनके हाथ पर फूंक मारी, तो वह ऐसा ठीक हुआ के उन को मौत तक फिर वह तकलीफ महसूस नहीं हुई। 📕 तबरानी कबीर : २१०८
सबसे पहले जिन्दा होने वाले रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "हम दुनिया में सबसे आखिर में आए हैं, लेकिन कल हश्र (यानी आखिरत में जब सब को जमा किया जाएगा) तो हम सबसे पहले जिन्दा किये जाएँगे।" 📕 बुखारी : ८७६