फायदा : मुहद्दिसीन हज़रात कहते हैं के सिरका तिल्ली के बढ़ने को रोकता है, जिस्म में वरम नहीं होने देता, खाने को हज़म करता है, खून को साफ करता है, फोड़े फुन्सियों को दूर करता है। [अलइलाजुन नबी]
मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है" तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।" 📕 बैहेकी फी शोअबिलईमान: १९५८,अन इब्ने उमर रज़ि०
मौसमी फलों के फवाइद कुरान में अल्लाह तआला फ़र्माता है “जब वह दरख्त फ़ल ले आएँ तो उन्हें खाओ।” 📕 सूरह अनाम: १४१ फायदा: मौसमी फलों का इस्तेमाल सेहत के लिए बेहद मुफीद है और बहुत सी बीमारियों से हिफ़ाज़त का ज़रिया है, लिहाज़ा अगर गुंजाइश हो तो ज़रूर इस्तेमाल करना चाहिए।
मोहब्बत पाने का तरीका एक शख्स ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से अर्ज किया : ऐ अल्लाह के रसूल ! मुझे कोई ऐसा अमल बंता दीजिये जिसको मैं करूं ताके अल्लाह तआला और लोग मुझसे मुहब्बत करने लगें। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “दुनिया से मुँह मोड़ लो, तो अल्लाह तुम से मुहब्बत करने लगेगा और जो लोगों के पास है। (यानी माल व दौलत) उससे बेरूखी इख्तियार कर लो, तो लोग तुमसे मुहब्बत करने लगेंगे।” 📕 इब्ने माजा : ४१०२, अन सहल बिन सअद (र.अ)
अहले ईमान और क़यामत का दिन ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) से पचास हज़ार साल के बराबर दिन (यानी क़यामत) के बारे में पूछा गया के वह कितना लम्बा होगा? तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "उस ज़ात की कसम जिस के कब्जे में मेरी जान है ! वह दिन मोमिन के लिये इतना मुख्तसर कर दिया जाएगा, जितनी देर में यह दुनिया में फर्ज़ नमाज अदा त किया करता था।" 📕 मुस्नदे अहमद : ११३२०
अल्लाह तआला ने कलम को पैदा किया Highlights • अल्लाह तआला की सृष्टि: अल्लाह ने सबसे पहले क़लम को पैदा किया और उसे पूरी काइनात की तक़दीर लिखने का हुक्म दिया। • तक़दीर की तहरीर: क़लम ने क़यामत तक होने वाली तमाम घटनाओं को अल्लाह के हुक्म से पहले ही लिख दिया। • अल्लाह की अजीम कुदरत: अल्लाह ने मख्लूक़ की तक़दीर को ज़मीन और आसमान की पैदाइश से 50,000 साल पहले तय किया। अल्लाह तआला हमेशा से है और हमेशा रहेगा, हर चीज़ को अल्लाह तआला ही ने पैदा किया और एक दिन उसी के हुक्म से सारी काइनात खतम हो जाएगी। कुरअने पाक में अल्लाह…
शिर्क और कत्ल करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "अल्लाह तआला हर गुनाह को माफ कर सकता है, मगर उस आदमी को माफ नहीं करेगा, जो शिर्क की हालत में मर जाए, दूसरा वह आदमी जो किसी (बेगुनाह) मुसलमान भाई को जानबूझ कर क़त्ल कर दे।" 📕 अबू दाऊद: ४२७०
मज़दूर की मज़दूरी पसीना सुखने से पहले दिया करो मज़दूर को पसीना सुखने से पहले मज़दूरी दो ۞ हदीस: अब्दुल्ला इब्न उमर (रजि.) से रिवायत है की,रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मज़दूर को उसकी मज़दूरी उसका पसीना सुखने से पहले दे दो।" 📕सुनन इब्न माजाह, हदीस:600 मज़दूर को पूरी मजदूरी देना ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "मैं क़यामत के दिन तीन लोगों का मुक़ाबिल बन कर उन से झगडूंगा, (उन तीन में से एक) वह शख्स है जिसने किसी को मज़दूरी पर रखा और उससे पूरा-पूरा काम लिया मगर उसको पूरी मज़दूरी नहीं दी।" 📕 इब्ने माजाह : २४४२ खुलासा: मज़दूर को मुकम्मल मज़दूरी देना वाजिब है।
इस्तिन्जे के बाद वुजू करना हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के - रसूलुल्लाह (ﷺ) जब बैतुलखला से निकलते तो वुजू फरमाते। 📕 मुस्नदे अहमद : २५०३३
आदमी दो चीज़ों को नापसंद करता है : मौत और माल की कमी से घबराना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “आदमी दो चीज़ों को नापसंद करता है, (हालांकि दोनों उस के लिए खैर है) एक मौत को, हालांकि मौत फ़ितनों से बचाव है, दूसरे माल की कमी को, हालांकि जितना माल कम होगा उतना ही हिसाब कम होगा।” 📕 मुस्नदे अहमदः २३११३
ककड़ी के फवाइद रसूलुल्लाह (ﷺ) से खजूर के साथ ककड़ी खाते थे। फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम (रह.) ककड़ी के फवाइद में लिखते हैं के यह मेअदे की गरमी को बुझाती है और मसाना के दर्द को खत्म करती है। 📕 अबू दाऊद: ३८३५
कयामत से हर एक डरता है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "कोई मुकर्रब फरिश्ता, कोई आसमान, कोई ज़मीन, कोई हवा, कोई पहाड़. कोई समुन्दर ऐसा नहीं जो जुमा के दिन से न डरता हो (इस लिये के जुमा के दिन ही क़यामत कायम होगी)" 📕 इब्ने माजा: १०८४
नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "तकलीफ और नागवारी के बावजूद पूरी तरह मुकम्मल वुजू करना, मस्जिदों की तरफ जियादा कदम बढ़ाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करना, यह आमाल गुनाहों से (आदमी को) बिलकुल पाक साफ कर देते हैं।" 📕 मुस्तदरक : ४५६
मोतदिल गिज़ा का इस्तेमाल खीरा (ककड़ी) के फवाइद रसूलुल्लाह (ﷺ) खजूर के साथ खीरे खाते थे। 📕 बुखारी : ५४४७ फायदा : मुहद्विसी ने किराम फ़र्माते हैं के खजूर चूँकि गर्म होती है इस लिये आप (ﷺ) उस के साथ ठंडी चीज खीरा (ककड़ी) इस्तेमाल फर्माते थे ताके दोनों मिलकर मोतदिल हो जाएं।
अपने घर वालों को खिलाना पिलाना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "जो तुमने खुद खा लिया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुम ने अपनी औलाद को खिलाया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुम ने अपनी बीवी को खिलाया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुमने अपने खादिम को खिलाया उस में भी तुम्हारे लिये सदके का सवाब है।" 📕 मुस्नदे अहमद: १६७२७
मेहमान का अच्छे अलफाज़ से इस्तिकबाल करना हज़रत इब्ने अब्बास फ़रमाते हैं के, जब रसूलुल्लाह (ﷺ) की ख़िदमत में क़बील-ए-बनू अबदुल कैस के लोग आए, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "खुशामदीद" (यानी आपका आना मुबारक हो।) 📕 बुखारी: ५३ फायदा: जब कोई मेहमान आए, तो खुशामदीद, मरहबाया इस तरह के अल्फ़ाज़ कहना सुन्नत है।