“उसी ने (यानी अल्लाह ने) घोड़े, खच्चर और गधे भी पैदा किये ताके तुम उन पर सवारी करोऔर जेब व ज़ीनत हासिल करोऔर आइंदा भी ऐसी चीजें पैदा कर देगा जिनको तुम अभी नहीं जानते।”
कुरआन सुनने से रोकने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "यह काफिर लोग (एक दूसरे से) कहते हैं के इस कुरआन को मत सुना करो और उस के दौरान शोर मचाया करो, उम्मीद है के इस तरह तुम ग़ालिब आ जाओगे। उन काफिरों को हम सख्त अज़ाब का मज़ा चखाएँगे और यकीनन हम उनको बुरे आमाल का बदला देंगे, जो वह किया करते थे।" 📕 सूरह हामीम सज्दा : २६ ता २७
सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो [कुरआन ३:१०३] सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “तुम सब मिल कर अल्लाह की रस्सी को मजबूत पकड़े रहो (यानी कुरआन करीम के बताए हए तरीके और रास्ते पर चलो) और आपस में नाइत्तेफाक्री मत करो (अगर तुम नाइत्तेफाक्री की वजह से आपस में बिखर गए तो दुश्मन के मुकाबले में तुम नाकाम हो जाआगे और तुम्हारी कुव्वत व ताकत खत्म हो जाएगी)।” 📕 सूरह आले इमरान: १०३
जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये दुनिया और आखिरत में भलाई है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "जो लोग परहेजगार हैं, जब उनसे पूछा जाता है के तुम्हारे रब ने क्या चीज़ नाजिल की है? तो जवाब में कहते हैं : बड़ी खैर व बरकत की चीज नाजिल फ़रमाई है। जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये इस दुनिया में भी भलाई है और बिला शुबा आखिरत का घर तो दुनिया के मुकाबले में बहुत ही बेहतर है और वाक़ई वह परहेजगार लोगों का बहुत ही अच्छा घर है।” 📕 सूरह नहल: ३०
बिला शुबा यह कुरआन एक नसीहत है कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : “बिला शुबा यह कुरआन एक नसीहत है तो जो शख्स चाहे अपने रब तक पहुँचने का रास्ता इख्तियार कर ले और तुम अल्लाह की मर्जी के बगैर कुछ नहीं चाह सकते, अल्लाह तआला बड़े इल्म व हिकमत का मालिक है।” 📕 सूरह दहर : २९ ता ३०
बुराई से न रोकने का वबाल कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "जो क़ौमें तुम से पहले हलाक हो चुकी हैं, उन में ऐसे समझदार लोग न हुए, जो लोगों को मुल्क में फसाद फैलाने से मना करते, सिवाए चन्द लोगों के जिन को हमने अज़ाब से बचा लिया।" 📕 सूरह हूद: ११६ खुलासा: मतलब यह है के हर एक के लिये भलाई का हुक्म और बुराई से रोकना ज़रूरी है वरना अज़ाब में मुब्तला कर दिया जाएगा।
कयामत के हालात कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है “जब सूरज बेनूर हो जाएगा और सितारे टूट कर गिर पड़ेंगे और जब पहाड़ चला दिए जाएँगे और जब दस माह की गाभिन ऊँटनियाँ (कीमती होने के बावजूद आजाद) छोड़ दी जाएँगी और जब जंगली जानवर जमा हो जाएँगे और जब दर्या भड़का दिए जाएंगे।” 📕 सूर तकवीर: १-६
समुन्दर इन्सानों की गिजा का ज़रिया है Highlights • समुंदर का फ़ायदा: अल्लाह तआला ने समुंदर को इंसानों के लिए एक अहम ज़रिया बना दिया, जिससे ताजे गोश्त, मोती और अन्य जेवरात प्राप्त होते हैं।• कश्तियाँ और रोज़ी की तलाश: समुंदर में कश्तियाँ चलती हैं और लोग अपने रोज़गार के लिए समुंदर से लाभ उठाते हैं।• शुक्र अदा करना: यह सब अल्लाह की कृपा है, और इंसानों को इसका शुकर अदा करते रहना चाहिए। कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "अल्लाह तआला ही ने समुन्दर को तुम्हारे काम में लगा दिया है, ताके तुम उस में से ताज़ा गोश्त खाओ और उसमें से जेवरात (मोती वगैरह)…
कुरआन मार्गदर्शक है ... कुरआन मार्गदर्शक है “वास्तव में, ये कुरआन वह मार्ग दिखाता है, जो सबसे सीधी है…” 📕 कुरआन 17:9
शहद और कुरआन से शिफा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तुम अपने लिए शिफा की दो चीजों : यानी शहद और कुरआन को लाजिम पकड़लो।" 📕 इब्ने माजा: ३४५२, अन अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ)
विरासत में लड़की का हिस्सा विरासत में लड़की का हिस्सा कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "अल्लाह तआला तुमको तुम्हारी औलाद के हक में हुक्म देता है के 1 लड़के का हिस्सा 2 लड़कियों के हिस्से के बराबर है।” 📕 सूरह निसा: ११ खुलासा: वालिदैन की विरासत में लड़के के 2 हिस्से और लडकी का 1 हिस्सा होता है, जिस का अदा करना फर्ज है।
दाँतों की बनावट में अल्लाह की क़ुदरत दाँतों की बनावट पर गौर कीजिये के अल्लाह तआला ने ३२ टुकड़ों को कैसी हसीन व खूबसूरत लड़ी में पिरोया है और उस की जड़ों को नर्म हड्डी में किस खूबी के साथ पेवस्त किया है, यह दाँत एक तरफ जहाँ चेहरे की हुस्न व जीनत हैं। वहीं उन से हम चबाने, काटने, पीसने और तोड़ने का अहम काम भी कर लेते हैं और अल्लाह की अजीब कुदरत के उन को बत्तीस टुकड़ों में बनाया, एक ही सालिम हड्डी में उन को नहीं ढाला, वरना मुंह में बड़ी तकलीफ होती, इसी तरह अगर एक दाँत में कोई खराबी होती है,…
अल्लाह की चाहत दुनिया नहीं कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "तुम तो दुनिया का माल व असबाब चाहते हो और अल्लाह तआला तुमसे आखिरत को चाहता हैं।" 📕 सूरह अन्फाल: ६७ फायदा: इंसान हर वक़्त दुनियावी फायदे में मुन्हमिक रहता है और उसी को हासिल करने की फिक्र में लगा रहता है, हालांकि अल्लाह तआला चाहते हैं के दुनिया के मुकाबले में आखिरत की फिक्र ज्यादा की जाए, क्योंकि आखिरत में हमेशा रहना है।
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