क़ुरआन में माता-पिता और सन्तान से संबंधित शिक्षाएं ♥ क़ुरआन (17:23,24)तुम्हारे रब ने फै़सला कर दिया है कि तुम लोग किसी की बन्दगी न करो मगर सिर्फ़ उस (यानी अल्लाह) की, और माता-पिता के साथ अच्छे से अच्छा व्यवहार करो। अगर उनमें से कोई एक या दोनों तुम्हारे सामने बुढ़ापे को पहुंच जाएं तो उन्हें (गु़स्सा या झुंझलाहट से) ‘ऊंह’ तक भी न कहो, न उन्हें झिड़को, बल्कि उनसे शिष्टतापूर्वक बात करो। और उनके आगे दयालुता व नम्रता की भुजाएं बिछाए रखो, और दुआ किया करो कि ‘‘मेरे रब जिस तरह से उन्होंने मुझे बचपने में (दयालुता व ममता के साथ) पाला-पोसा है, तू भी उन पर दया…
अपनी जानों पर जुल्म ना करो: कुरआन अपनी जानों पर ज़ुल्म न करो: अल्लाह ताला ज़ुल्म से बचने के बारे में इरशाद फरमाता है: और अपने आप को क़त्ल न करो। और जो शख्स जोरो ज़ुल्म से नाहक़ ऐसा करेगा (ख़ुदकुशी करेगा) तो (याद रहे कि) हम बहुत जल्द उसको जहन्नुम की आग में झोंक देंगे यह ख़ुदा के लिये आसान है। सूरह निसा 4:29-30 और अल्लाह की राह में ख़र्च करो और अपने हाथ जान हलाकत मे न डालो और नेकी करो बेशक अल्लाह नेकी करने वालों को दोस्त रखता है। सूरह बकराह 2:195 अल्लाह ने ज़ुल्म को हराम कर दिया: (ऐ रसूल) तुम साफ कह…
इस्लाम की मूल आस्थाये: तौहिद, रिसालत और आखिरत इस्लाम की मुल आस्थाये ३ है , जिन्हें मानना सम्पूर्ण मानवजाति के लिए अनिर्वाय (Compulsory) है | तौहिद – एकेश्वरवाद (एक इश्वर में आस्था रखना) रिसालत – प्रेशित्वाद (इशदुत, नबी, Messengers) आखिरत – परलोकवाद (मृत्यु के बाद का जीवन) पहली अनिर्वाय आस्था – तौहीद इस्लाम की सबसे पहली जो आस्था है तौहिद इसको हम आपके सामने रखते है जो मानवता को बताने के लिए इश्वर (अल्लाह) ने हर समय, हर समुदाय, हर जाती के अंदर प्रेषित (नबी, इश्दुत) भेजे ताकि मानवों को बता दे और उनका रिश्ता श्रुष्टि के रचियेता एक इश्वर से जोड़ दे। तो तौहिद का अर्थ होता…
Shab-e-Barat : शबे बराअत की हकीकत | सुन्नी इस्लाम शबे बराअत / 15 शाबान की इबादतें ? क़ब्रिस्तान में चिरागाह ? रात की नमांजे ? हलवा पकाना ? रूहों की वापसी ? १५ Shaban | Shab e Barat ki hakikat Quran aur sunnat ki roshni mein ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान बहुत रहमवाला है। अल्लाह के नाम से जो सब तअरीफे अल्लाह तअला के लिए हैं हम उसी की तअरीफ करते है और उसी से मदद चाहते हैं। अल्लाह की बेशुमार रहमतें, बरकतें और सलामती नाज़िल हो मुहम्मद सल्लललाहु अलैहि वसल्लम पर और आप की आल व औलाद व असहाब रज़ि. पर। अम्मा बअद! आज…
ईद की नमाज का तरीका: Eid ki Namaz ka tarika | How to Pray Eid Prayer in Hindi दो रकात ईद की नमाज का तरीका तकबीरे ऊला से सलाम तक तफसील के साथ👇 नोट- नमाज का ये तरीका मर्द और औरत दोनों के लिए है क्योंकि एक भी सहीह हदीस से औरतों का तरीका अलग साबित नहीं है बल्कि नबी (ﷺ) का वाजेह हुक्म है- "नमाज़ उस तरह पढ़ो जिस तरह मुझे पढ़ते हुए देखते हो.” [सहीह बुख़ारी हदीस- 631] ईद की नमाज का तरीका:Eid ki Namaz ka tarika in Hindi ईद के नमाज़ की नियत 👉 पहले नियत करें लेकिन याद रहे कि नियत दिल के इरादा को कहते है।जुबान से नियत करना बिद्अत है। नियत के…
तरावीह की नमाज़ के वैज्ञानिक फायदे (Scientific Benefits of Salah) नमाज में हैं तन्दुरुस्ती के राज: मोमिन अल्लाह के हर फरमान को अपनी ड्यूटी समझ उसकी पालना करता है। उसका तो यही भरोसा होता है कि अल्लाह के हर फरमान में ही उसके लिए दुनिया और आखिरत की भलाई छिपी है,चाहे यह भलाई उसके समझ में आए या नहीं। यही सोच एक मोमिन लगा रहता है अल्लाह की हिदायत के मुताबिक जिंदगी गुजारने में। समय-समय पर हुए विभिन्न शोधों और अध्ययनों ने इस्लामिक जिंदगी में छिपे फायदों को उजागर किया है। नमाज को ही लीजिए। साइंसदानों ने साबित कर दिया है कि नमाज में सेहत संबंधी कई फायदे छिपे हुए…
शबे मेराज का वाकिया | Shab e Meraj ka waqia शबे मेराज का वाकिया | Shab e Meraj ka waqia in Hindi मेराज की घटना नबी (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) का एक महान चमत्कार है, और इस में आप (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) को अल्लाह ने विभिन्न निशानियों का जो अनुभव कराया यह भी अति महत्वपूर्ण है। मेराज के दो भाग हैं, प्रथम भाग को इसरा और दूसरे को मेराज कहा जाता है, लेकिन सार्वजनिक प्रयोग में दोनों ही को मेराज के नाम से याद कर लिया जाता है। इसरा क्या है ? इसरा कहते हैं रात के एक भाग में चलना, अभिप्राय यह है कि मुहम्मद (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) का रात…
तवक्कुल का मतलब: अल्लाह पर मुकम्मल भरोसा | Tawakkul meaning in Hindi तवक्कुल का मतलब: अल्लाह पर मुकम्मल भरोसा तवक्कुल (Tawakkul) का इस्लामी अक़ाइद में एक अहम तसव्वुर है, जो अल्लाह पर यकीन और भरोसे की अलामत है। हिंदी में, तवक्कुल का मतलब है "अल्लाह पर पूरा भरोसा और यकीन रखना।" ये यकीन की एक खास किस्म की हालत है, जो हमें हर हालात में पुरसुकून और साबित क़दम रहने की सीख देती है। तवक्कुल का मतलब और अहमियत तवक्कुल की तशरीह अरबी लफ्ज़ "तवक्कुल" का लफ़्ज़ी मतलब है "भरोसा करना" या "निर्भर करना।" इस्लामी अक़ाइद में, ये अल्लाह पर मुकम्मल यकीन और भरोसा रखने का जिक्र करता है, ये जानते हुए…
नया साल खुशियां मनाने का नहीं, पीछले गुजरे वक्त पर गौरो-फिक्र करने का वक्त है Happy New Year in Islam? नया साल खुशियां मनाने का नहीं, पीछले गुजरे वक्त पर गौरो-फिक्र करने का वक्त है अगर हम गौर करें तो हर नया साल हमारे लिए खुशियां नहीं बल्के कुछ पैगामात लेकर आता है हर गुज़रे हुए साल के साथ हम सबके बहुत ही अज़ीज़ इंसान किसी की माँ किसी का बाप किसी का भाई या किसी की बहन या कोई बहुत ही करीबी रिश्तेदार या दोस्त इस दुनिया से हमेशा के लिये रुख़सत हो जाते हैं और जाते जाते हमे ये पैगाम दे जाते है कि हम सबके पास वक़्त बहुत कम है. नये साल…
ईद उल फ़ित्र मुबारक | Eid-Ul-Fitr Mubarak ۞ अस्सलामु अलैकुम ! ..... विश्व में मुस्लिम जगत में ईद का त्यौहार अपनी पूरी रौनक और शबाब के साथ शुरू हो गया हे। रमजान का पवित्र माह ख़त्म होने के बाद शुरू हुए ईद के इस महा पर्व के साथ कुछ जरुरी बाते। ..... रमजान बेशक बन्दे और अल्लाह के बीच का मामला रहा। जिसमे बन्दे ने भूखे प्यासे रह कर रोजे रखे। बदले में अल्लाह ने पूरे रमजान माह में बन्दे के लिए बेहतरीन खाने पीने के सामान मुहैया करे रखे। रमजान के एक माह के मशक्कत भरे दिनों के बाद आने वाली ईद यानि ईदुल फ़ित्र जिसका…
दुनिया के फ़ितनों से बचो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: "सुनो ! दुनिया मीठी और हरी भरी है और अल्लाह तआला जरूर तुम्हें इस की खिलाफत अता फरमाएगा, ताके देखें के तुम कैसे आमाल करते हो, पस तुम दुनिया से और औरतों (के फितने) से बचो।" 📕 मुस्लिम ६९४८
आखिरत - इस्लाम की तीसरी अनिर्वाय आस्था आखिरत का अर्थ होता है – परलोकवाद (अंतिम प्रलय या मृत्यु के पच्छात जीवन पर विश्वास): *जैसे के: हम इस जीवन से पहले मृत्य थे, इश्वर(अल्लाह) ने हमे पृथ्वी पर भेजा (जीवन दिया).. तो एक मृत्यु और उसके बाद ये जीवन एक हुआ ,. इस जीवन के बाद फिर एक मृत्यु है और उस मृत्यु के बाद फिर एक जीवन है यानी फिर दोबारा हम उठाये जाने वाले है ,.. – और उठने के बाद मुझे और आपको हिसाब (अकाउन्ट्स) देना है,.. क्या कर्म कर के आये है? सुकर्म , कुकर्म और उसके हिसाब से हमे जन्नत(स्वर्ग) और जहन्नुम(नर्क) मिलने…
माँ बाप की नाफरमानी से बचो : क़ुरान हदीस की रौशनी में | Maa Baap ki Nafarmani se bachey ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ अपने माँ बाप को उफ्फ तक न कहो: "और तुम्हारे रब ने फ़रमाया है की, उसके सिवा किसी की ईबादत ना करो और अपने माँ बाप के साथ भलाई करते रहो और अगर तुम्हारे सामने उनमें से एक या दोनों बुढ़ापे को पहुँच जाये तो उन्हे उफ़ भी न कहो और ना उन्हें झिड़को और उनसे अदब से बात करो और उनके सामने शफ़कत से आजज़ी के साथ झुके रहो और कहो की एह मेरे रब! जैसे उन्होंने मुझे बचपन से पाला है इसी तरह तू भी उन पर रहम फरमा।" 📕 सुरह बनी इसराईल 17:23-24 बाप…