क़ज़ा नमाजों की अदायगी
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो कोई नमाज पढ़ना भूल गया या नमाज के वक्त सोता रह गया, तो (उसका कफ्फारा यह है के) जब याद आए उसी वक्त पढ़ ले।”
फायदा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए
या सोने की हालत में नमाज़ का वक़्त गुज़र जाए, तो बाद में उसको पढ़ना फर्ज है।