“जब सूरज बेनूर हो जाएगाऔर सितारे टूट कर गिर पड़ेंगेऔर जब पहाड़ चला दिए जाएँगेऔर जब दस माह की गाभिन ऊँटनियाँ (कीमती होने के बावजूद आजाद) छोड़ दी जाएँगीऔर जब जंगली जानवर जमा हो जाएँगेऔर जब दर्या भड़का दिए जाएंगे।”
क़यामत के दिन काफिर की तमन्ना क़ुरआन में अल्लाह तआला ने फ़रमाया है - "हमने तुमको एक करीब आने वाले अज़ाब से डरा दिया है (जो उस दिन आएगा) जिस दिन आदमी अपने उन आमाल को देख लेगा, जो उस ने अपने हाथों से किये होंगे और उस दिन काफिर कहेगा, काश! मैं मिट्टी हो जाता।" 📕 सूर-ए-नबा: ४०
कयामत के दिन के सवालात अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) से रिवायत है के,रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "इन्सान के क़दम कयामत के दिन अल्लाह के सामने से उस वक़्त तक नहीं हटेंगे जब तक उस से पाँच चीज़ो के बारे में सवाल न कर लिया जाए। (1) उसकी उम्र के बारे में कि उसको कहाँ खत्म किया। (2) उसकी जवानी के बारे में के उसको कहाँ ख़र्च किया। (3) माल कहाँ से कमाया (4) कहाँ खर्च किया। (5) इल्म के मुताबिक़ क्या-क्या अमल किया। 📕 तिर्मिजी, हदीस: 2416
कयामत में तीन किस्म के लोग रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "कयामत के दिन जहन्नम से एक गर्दन निकलेगी, जिस की दो देखने वाली औंखें, दो सुनने वाले कान और एक बोलने वाली जुबान होगी, वह कहेगी: तीन किस्म के लोग मेरे सुपुर्द किए गए हैं: (१) हर मगरूर हक जान कर रुगरदानी करने वाला।, (२) अल्लाह के साथ किसी और को खुदा समझ कर पुकारने वाला।, (३) तस्वीर बनाने वाला।" 📕 शोअबुल ईमान: ६०८४, अन अबी हुरैरह (र.अ)
कयामत के दिन पहाड़ों का हाल कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है: "लोग आपसे पहाड़ों के बारे में सवाल करते हैं। तो आप (ﷺ) फ़र्मा दीजिये के मेरा रब उन को बिल्कुल उड़ा देगा, फिर वह जमीन को हमवार मैदान कर देगा, तुम उस में कोई टेढ़ापन और बुलन्दी नहीं देखोगे।" 📕 सूरह ताहा : 105 ता 107
क़यामत के दिन इन्सान के आज़ा की गवाही कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है: "जिस दिन अल्लाह के दुश्मन (यानी कुफ्फार) दोज़ख की तरफ जमा (करने के मौकफ में) लाएंगे,फिर वह रोके जाएँगे (ताके बाकी आजाएँ) यहाँ तक के जब वह उसके करीब आजाएँगे तो उनके कान, उनकी आँखें और उनकी खाल, उनके खिलाफ उन के किये हुए आमाल की गवाही देंगी।” 📕 सूरह फुसिलत: १९ ता २०
कयामत का हौलनाक मंजर ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ क़यामत का मालूम हो जाये तो हसना कम और रोना बहुत बढ़ जाए रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "अगर (आखिरत के हौलनाक अहवाल के मुतअल्लिक) तुम्हें वह सब मालूम हो जाए जो मुझे मालूम है, तो तुम्हारा हँसना बहुत कम हो जाए और रोना बहुत बढ़ जाए।" 📕 बुखारी : ६४८६ कयामत के दिन आँखें पथरा जाएँगी और चाँद बेनूर हो जाएगा कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "(क़यामत का मुन्किर) पूछता है के कयामत का दिन कब आएगा? जिस दिन आँखें पथरा जाएँगी और चाँद बेनूर हो जाएगा और सूरज व चाँद (दोनों बेनूर हो कर) एक…
अहले ईमान और क़यामत का दिन ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) से पचास हज़ार साल के बराबर दिन (यानी क़यामत) के बारे में पूछा गया के वह कितना लम्बा होगा? तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "उस ज़ात की कसम जिस के कब्जे में मेरी जान है ! वह दिन मोमिन के लिये इतना मुख्तसर कर दिया जाएगा, जितनी देर में यह दुनिया में फर्ज़ नमाज अदा त किया करता था।" 📕 मुस्नदे अहमद : ११३२०
क्या वह लोग नहीं देखते कि हर साल मुसीबत में मुबितला किए जाते हैं फिर भी ... हर साल मुसीबत में मुबितला किए जाते हैं - ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ " क्या वह लोग (इतना भी) नहीं देखते कि हर साल एक मरतबा या दो मरतबा बला (मुसीबत) में मुबितला किए जाते हैं फिर भी न तो ये लोग तौबा ही करते हैं और न नसीहत ही मानते हैं" 📕 Surah Taubah 9:126 अल्लाह पर इमांन के बारे में पढ़े अल्लाह कौन है – अल्लाह का परिचय और विशेषताएं इस्लाम क्या है - इस्लाम का सक्षिप्त परिचय इस्लाम से पहले क्या था ? क़यामत क्या है और क्यों आएगी?
अहेद और कस्मों को तोड़ने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "यक़ीनन जो लोग अल्लाह तआला से अहेद कर के उस अहेद को और अपनी क़स्मों को थोड़ी सी कीमत पर फरोख्त कर डालते हैं, तो ऐसे लोगों का आखिरत में कोई हिस्सा नहीं और न अल्लाह तआला उनसे बात करेगा और न कयामत के दिन (रहमत की नज़र से) उनकी तरफ देखेगा और न उन को पाक करेगा और उन के लिये दर्दनाक अजाब होगा।" 📕 सूरह आले इमरान : ७७
क़यामत की रुसवाई से बचने की दुआ कयामत के दिन जिल्लत व रुसवाई से बचने के लिए इस दुआ का एहतमाम करना चाहिए: رَبَّنَا وَآتِنَا مَا وَعَدتَّنَا عَلَىٰ رُسُلِكَ وَلَا تُخْزِنَا يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ إِنَّكَ لَا تُخْلِفُ الْمِيعَادَ तर्जमा : ऐ हमारे परवरदिगार! तूने जो अपने रसूलों से वादा किया है, वह हमें अता फर्माइये और कयामत के दिन हमें रुसवा न कीजिए बेशक तू वादा खिलाफ़ी नहीं करता। 📕 सूर-ए-आले इमरान: १९४
क़यामत से पहले माल का ज़ियादा होना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इरशाद फर्माया : "उस वक़्त तक क़यामत नहीं आएगी जब तक तुम्हारे अन्दर माल की इतनी कसरत न हो जाए के वह बहने लगे, यहाँ तक के माल वाले आदमी को इस बात पर रंज व ग़म होगा के उस से कौन सदक़ा क़बूल करेगा? वह एक आदमी को सद्के के लिये बुलाएगा तो वह कह देगा के मुझे इस की कोई जरूरत नहीं।" 📕 मुस्लिम: २३४०, अन अबी हुरैरह (र.अ)
कयामत के दिन जमीन का लरज़ना कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “जब ज़मीन पूरी हरकत से हिला दी जाएगी और जमीन अपने बोझ (मुर्दे और खज़ाने) बाहर निकाल देगी और इन्सान कहेगा के इस ज़मीन को क्या हो गया है? उस दिन जमीन अपनी बातें बयान कर देगी, इस लिए के आपके रब ने उसको हुक्म दिया होगा।” 📕 सूरह जिलजाल : १ ता ५
इलाज करने वालों के लिये अहम हिदायत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: “अगर किसी ने बगैर इल्म और तजुर्बे के इलाज किया तो कयामत के दिन उस के बारे में पूछा जाएगा।” 📕 अबू दाऊद: ४५८६ फायदा: मतलब यह है के अगर हकीम या डॉक्टर की ना तजरबा कारी और अनाड़ीपन की वजह से मरीज को तकलीफ पहुँचती है या वह मर जाता है तो ऐसे हकीम और डॉक्टर की कयामत के दिन गिरिफ्त होगी।
सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो [कुरआन ३:१०३] सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “तुम सब मिल कर अल्लाह की रस्सी को मजबूत पकड़े रहो (यानी कुरआन करीम के बताए हए तरीके और रास्ते पर चलो) और आपस में नाइत्तेफाक्री मत करो (अगर तुम नाइत्तेफाक्री की वजह से आपस में बिखर गए तो दुश्मन के मुकाबले में तुम नाकाम हो जाआगे और तुम्हारी कुव्वत व ताकत खत्म हो जाएगी)।” 📕 सूरह आले इमरान: १०३
MD. Salim Shaikh
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