रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा से पूछा:
“अगर किसी के दरवाजे पर एक नहर हो और उसमें वह हर रोज़ पाँच बार गुस्ल किया करे, तो क्या उसका कुछ मैल बाकी रह सकता है? सहाबा ने अर्ज किया के कुछ भी मैल न रहेगा।”
आप (ﷺ) ने फर्माया के :
“यही हालत है पाँचों वक्त की नमाज़ों की, के अल्लाह तआला उनके सब बगुनाों को मिटा देता है।”