“जब मोमिन बन्दे को दफन किया जाता है, तो कब्र उस से कहती है: तुम्हारा आना मुबारक हो, मेरी पुश्त पर चलने वालों में तुम मुझे सब से जियादा महबूब थे,जब तुम मेरे हवाले कर दिए गए और मेरे पास आ गए, तो तुम आज मेरा हुस्ने सुलूक देखोगे,तो जहाँ तक नजर जाती है क़ब्र कुशादा हो जाती हैऔर उसके लिये जन्नत का दरवाजा खोल दिया जाता है।”
बीवियों के साथ अच्छा सुलूक करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "ईमान वालों में ज़ियादा मुकम्मल ईमान वाले वह लोग हैं, जो अखलाक में ज्यादा अच्छे हैं और तुम में सबसे अच्छे वह लोग हैं जो अपनी बीवियों के साथ अच्छा बरताव करते हैं।” 📕 तिर्मिज़ी: ११६२
यतीम की परवरिश करना रसुलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “मुसलमानों में बेहतरीन घर वह है, जिसमें कोई यतीम हो और उससे अच्छा सुलूक किया जाए और मुसलमानों में बदतरीन घर वह है जिस में कोई यतीम हो और उस के साथ बुरा सुलूक किया जाए।” 📕 इब्ने माजा: ३६७९
लोगों के लिये वही चीज पसंद करो जो तुम अपने लिये पसंद करते हो रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तक़वा व परहेजगारी इख्तियार करो, सब से बड़े इबादत गुजार बन जाओगे और थोड़ी चीज पर रजामन्द हो जाओ सब से बड़े शुक्रगुज़ार बन जाओगे और लोगों के लिये वही चीज पसंद करो जो तुम अपने लिये पसंद करते हो, तुम (सच्चे) मोमिन बन जाओगे और तुम अपने पड़ोसी के साथ हुस्ने सुलूक करो (पक्के) मुसलमान बन जाओगे और कम हँसा करो, क्योंकि ज्यादा हँसने से दिल मुर्दा हो जाता है।" 📕 इब्ने माजा : ४२१७
कब्र के जियारत की दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) सहाब-ए-किराम को जियारते कुबूर (क़ब्र के जियारत) की यह दुआ सिखाते थे: اَلسَّلَامُ عَلَیْکُمْ اَھْلَ الدِّیَارِ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُسْلِمِیْنَ ،وَاِنَّااِنْ شَآئَ اللّٰہُ بِکُمْ لَلاَحِقُوْنَ أَسْأَلُ اللّٰہَ لَنَا وَلَکُمُ الْعَافِیَةَ۔ Assalamualaikum ya ahlad diyaar minal mu’mineena wal muslemeen.wainna insha allahu bikum lahiqoon.asalullahu lana walakumul aafiya. तर्जमा : सलाम हो तुम पर ऐ इस इस बस्ती के मोमिनो और मुसलमानो ! और हम भी इन्शाअल्लाह तुम्हारे साथ मिलने वाले हैं, हम अपने और तुम्हारे लिये अल्लाह से आफियत चाहते हैं। 📕 मुस्लिम : २२५७, अन बुरैदा (र.अ)
सब से बड़ा तक़वे वाला कौन है एक शख्स ने रसूलल्लाह (ﷺ) की खिदमत में आकर अर्ज़ किया: "ऐ अल्लाह के रसूल लोगों में सब से बड़ा जाहिद कौन है ?" रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "वह आदमी जो कब्र और उस की बोसीदगी को न भूले और दुनिया की जरूरत से ज़ियादा जेब व जीनत को छोड़ दे, बाकी रहने वाली (आखिरत) को फना हो जाने वाली (दनिया) पर तरजीह दे, आने वाले कल को अपनी (जिन्दगी का) दिन शुमार न करे और अपने आप को मुर्दो की फहेरिस्त में शुमार करे (तो यह सबसे बड़ा ज़ाहिद है)" 📕 तरग़ीब व तरहीब : ४५५३
दुनिया आरजी और आखिरत मुस्तकिल है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "दुनिया की ज़िन्दगी महज चंद रोज़ा है और अस्ल ठहरने की जगह तो आखिरत ही है।" 📕 सूरह मोमिन; ३९
मोमिन पर तोहमत लगाने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो शख्स अपने मोमिन भाई को मुनाफिक के शर से बचाए, तो अल्लाह तआला कयामत के दिन ऐसे आदमी के साथ एक फरिश्ते को मुकर्रर कर देगा, जो उसके बदन को जहन्नम से बचाएगा; और जो आदमी भोमिन भाई पर किसी चीज़ की तोहमत लगाए जिस से उस को जलील करना मक्सूद हो, तो अल्लाह तआला उस को जहन्नम के पुल पर रोक देगा, यहाँ तक के वह अपनी कही हुई बात का बदला न दे दे।" 📕 अबू दाऊद : ४८८३, अन मुआन बिन अनस (र.अ)
कब्र में नमाज की तमन्ना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब मय्यित को क़ब्र में रख दिया जाता है, तो उस को सूरज गुरूब होता हुआ दिखाई देता है, तो वह बैठ कर आँखें मलने लगता है और कहता है, मुझे नमाज पढ़ने दो।" 📕 इब्ने माजा : ४२७२, अन जाबिर (र.अ)
तुम्हारे रब ने फरमाया है के मुझ से दुआ माँगो कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "तुम्हारे रब ने फरमाया है के मुझ से दुआ माँगो मैं तुम्हारी दुआ कबूल करूँगा, बिला शुबा जो लोग मेरी इबादत करने से एराज़ करते हैं, वह अन्ज़रीब ज़लील हो कर जहन्नम में दाखिल होंगे।" 📕 सूरह मोमिन ६०
अगली सफ में नमाज़ अदा करने की फजीलत रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला और उसके फरिश्ते पहली सफ वालों पर रहमत भेजते हैं और मोअज्जिन के बुलंद आवाज़ के बकद्र उस की मगफिरत कर दी जाती है, खुश्की और तरी की हर चीज़ उस की आवाज़ की तसदीक करती है और उस के साथ नमाज़ पढ़ने वालों का सवाब उस को भी मिलेगा।" 📕 निसाई : ६४७
अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक न करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक न करो, माँ, बाप के साथ अच्छा सुलूक करो, और तंगदस्ती के खौफ से अपनी औलाद को कत्ल न करो, हम तुम, को भी रिज्क देते हैं और उन को भी; खुले और छुपे बेहयाई के कामों के करीब न जाओ।” 📕 सूरह अन्आम : १५२
अज़ाबे कब्र से बचने की दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ कसरत से फ़रमाते थे: तर्जमा: ऐ अल्लाह ! मैं अज़ाबे कब्र, अज़ाबे दोजख, ज़िंदगी और मौत के फितने और दज्जाल के फितने से तेरी पनाह चाहता हूँ। 📕 बुखारी: १३७७. अन अबी हुरैरह रज़ि०
जो चार बातों पर ईमान न लाए, तो वह मोमिन नहीं रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जब तक कोई बन्दा इन चार बातों पर ईमान न लाए, तो वह मोमिन नहीं हो सकता।" (१) इस बात की गवाही देके अल्लाह के अलावा कोई इबादत के लायक नहीं। (२) (इस की भी गवाही देके) मैं अल्लाह का रसूल हूँ उस ने मुझे हक़ के साथ भेजा है। (३) मरने और फिर दोबारा ज़िन्दा होने का यक़ीन रखे। (४) तक़दीर पर ईमान लाए। 📕 तिर्मिजी : २१४५
कब्र का अज़ाब बरहक है रसूलुल्लाह (ﷺ) दो कब्रों के करीब से गुजरे, आप ने फ़र्माया : “इन दो कब्र वालों को अज़ाब हो रहा है, इन्हें किसी बड़े गुनाह की वजह से अज़ाब नहीं दिया जा रहा है, इन में से एक तो पेशाब (के छींटों) से नहीं बचता था और दूसरा चुगलखोरी किया करता था।” 📕 बुखारी: २१८. अन इब्ने अब्बास (र.अ) वजाहत: इस हदीस से मालूम हुआ के कब्र का अज़ाब बरहक है और इन्सानों को अपने गुनाहों की सजा कब्र से ही मिलनी शुरू हो जाती है।
बेवा और मिस्कीन की मदद करने की फजीलत रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "बेवा और मिस्कीन के कामों में जद्दो जहद करने वाला अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले के बराबर है।" 📕 बुखारी : ५३५३ अन अबी हुरैरह (र.अ)
MD. Salim Shaikh
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