“कयामत के रोज़ अल्लाह की नज़र में लोगों में सब से बदतरीन वह शख्स होगा, जो अपनी बीवी के पास जाए और उसकी बीवी उसके पास आए; फिर उनमें से एक अपने साथी का राज किसी दूसरे को बताए।”
ज़िक्रे इलाही (अल्लाह के ज़िक्र) की फ़ज़ीलत : हदीस रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: “जो किसी जगह बैठे और उसमें वो अल्लाह का जिक्र ना करे, तो यह बैठक अल्लाह की तरफ से उसके लिए बाइसे हसरत व नुकसान होगी और जो किसी जगह लेटे और उसमें अल्लाह को याद ना करे तो लेटना उसके लिए अल्लाह की तरफ से बाइसे हसरत व नुकसान होगा.” 📕 सुनन अबू दाऊद : 4856
मुनाफ़िक की निशानियाँ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “मुनाफ़िक की तीन निशानियाँ हैं: जब बात करे तो झूट बोले, वादा करे तो पूरा न करे, जब कोई अमानत रखी जाए तो उस में खयानत करे।” 📕 बुखारी : ३३, मुस्लिम: २११
दो आदतें: दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देखे ... रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो शख्स दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देख कर उस की पैरवी करे और दुनियावी मामले में अपने से कमतर को देख कर अल्लाह तआला की अता करदा फजीलत पर उस की तारीफ करे, तो अल्लाह तआला उस को (इन दो आदतों की वजह से) सब्र करने वाला और शुक्र करने वाला लिख देता हैं। और जो शख्स दीनी मामले में अपने से कमतर को देखे और दूनीयावी मामले में अपने से ऊपर वाले को देख कर अफसोस करे, तो अल्लाह तआला उसको साबिर व शाकिर नहीं लिखता।" 📕 तिर्मिज़ी : २५१२
शौहर की विरासत में बीवी का हिस्सा कुरआन में अल्लाह तअला फर्माता है : "उन औरतों के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में चौथाई हिस्सा है, जब के तुम्हारी कोई औलाद न हो अगर तुम्हारी औलाद हो तो उन के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में आठवाँ हिस्सा है (उन को यह हिस्सा) तुम्हारी वसिय्यत और कर्ज को अदा करने के बाद मिलेगा।" 📕 सूरह निसा: १२ फायदा : शौहर के इन्तेकाल के बाद अगर उस की कोई औलाद न हो, तो बीवी को शौहर के माल का चौथाई हिस्सा देना और अगर कोई औलाद हो, तो आठवाँ हिस्सा देना जरूरी है।
जोहर से पहले की चार रकात सुन्नत पढ़ना हज़रत आयशा (र.अ) बयान फरमाती है के: "रसूलुल्लाह (ﷺ) जोहर से पहले चार रकात और फ़र्ज़ से पहले की दो रकात कभी नहीं छोड़ते थे।" 📕 बुखारी : १९८२
दुआए जिब्रईल से इलाज हजरत आयशा (र.अ) बयान करती है के जब रसूलुल्लाह (ﷺ) बीमार हुए, तो जिब्रईल ने इस दुआ को पढ़ कर दम किया: [ " اللہ کے نام سے ، وہ آپ کو بچائے اور ہر بیماری سے شفا دے اور حسد کرنے والے کے شر سے جب وہ حسد کرے اورنظر لگانے والی ہر آنکھ کے شرسے ( آپ کومحفوظ رکھے ۔ ) " ] तर्जुमा: "अल्लाह के नाम पर, वह आपको बचाये और आपको हर बीमारी और हसद की बुराई से, जब वह हसद करता है और हर आंख की बुराई से (जो आपको महफूज़ रखे)।" 📕 मुस्लिम: ५६९९
अल्लाह तआला ने कलम को पैदा किया Highlights • अल्लाह तआला की सृष्टि: अल्लाह ने सबसे पहले क़लम को पैदा किया और उसे पूरी काइनात की तक़दीर लिखने का हुक्म दिया। • तक़दीर की तहरीर: क़लम ने क़यामत तक होने वाली तमाम घटनाओं को अल्लाह के हुक्म से पहले ही लिख दिया। • अल्लाह की अजीम कुदरत: अल्लाह ने मख्लूक़ की तक़दीर को ज़मीन और आसमान की पैदाइश से 50,000 साल पहले तय किया। अल्लाह तआला हमेशा से है और हमेशा रहेगा, हर चीज़ को अल्लाह तआला ही ने पैदा किया और एक दिन उसी के हुक्म से सारी काइनात खतम हो जाएगी। कुरअने पाक में अल्लाह…
माफ़ करने की सुन्नत अल्लाह तआला पूरी कायनात का रब है हज़रत आयशा (र.अ) बयान करती हैं के : “रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अपनी जात के लिए कभी किसी से कोई बदला नहीं लिया।” 📕 मुस्लिम: ६०४५
मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम अबू हुरैरा (रज़ि) से रिवायत है की, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया - 3 तरह के लोग वो होंगे जिनकी तरफ कयामत के दिन अल्लाह तआला नज़र (नज़र-ए-रहमत) भी नहीं उठाएगा और ना उन्हें पाक करेगा, बल्कि उनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा। एक वो शख़्स जिसके पास रास्ते में ज़रूरत से ज़्यादा पानी हो और उसने किसी मुसाफ़िर को उसके इस्तमाल से रोक दिया। दूसरा वो शख्स जो किसी हाकीम से बैत सिर्फ दुनिया के लिए करे, कि अगर वो हाकीम उसे कुछ दे तो वो राजी रहे वरना खफा हो जाए। तीसरा वो…
इशा के बाद दो रकात नमाज पढना हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर (र.अ) बयान फ़र्माते हैं के, “मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ ईशा की फर्ज नमाज़ के बाद दो रकात (सुन्नत) पढ़ी है।” 📕 बुखारी : ११७२ फायदा: इशा की नमाज के बाद वित्र से पहले दो रकात पढ़ना सुन्नते मोअक्कदा है।
अपना तहबंद आधी पिडलियों तक ऊंचा रखा करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “अपना तहबंद आधी पिडलियों तक ऊंचा रखा करो, अगर इतना ऊँचा ना रख सको तो कम अज कम टखनो से ऊपर रखा करो।” 📕 अबु दाऊद:०८,जाबीर बिन सुलैम (र.अ)
पछना के जरिये दर्द का इलाज हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के : “रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एहराम की हालत में दर्द की वजह से सर में पछना लगवाया।” 📕 बुखारी: ५७०१ फायदा: पछना लगाने से बदन से फ़ासिद खून निकल जाता है जिस की वजह से दर्द वगैरह खत्म हो जाता है और आँख की रोशनी तेज़ हो जाती है।
मोहताजगी व जिल्लत से पनाह माँगना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : फक्र व मोहताजगी और जिल्लत से इस तरह पनाह माँगा करो : "हम अल्लाह की पनाह चाहते हैं, फक्र व फाका और जिल्लत से और इससे के हम किसी पर जुल्म करें, या हम पर कोई जुल्म करे।" 📕 इब्ने माजा : ३८४२
हर मर्ज़ का इलाज मौजूद है हज़रत उसामा (र.अ) बयान करते है के, मैं हुज़ूर (ﷺ) की ख़िदमत में मौजूद था के, कुछ देहात के रहने वाले आए और आप (ﷺ) से अर्ज़ किया : या रसूलल्लाह ! क्या हम दवा करें? तो रसूलुल्लाह ने फ़रमाया: ”अल्लाह के बन्दो! ज़रूर दवा किया करो: इसलिये के कोई बीमारी ऐसी नहीं है जिसकी दवा अल्लाह ने न पैदा की हो, सिवाए एक बीमारी के और वह बुढ़ापा है।” 📕 मुस्नदे अहमद: 17986
MD. Salim Shaikh
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