“अल्लाह तआला ने कुछ बन्दों को लोगों की जरूरत पूरी करने के लिये पैदा किया है,लोग उन के पास अपनी ज़रूरत ले कर जाते हैं,लोगों की जरूरत पूरी करने वाले यह लोग अल्लाह के अज़ाब से महफूज रहेंगे।”
अगर अल्लाह लोगों के साथ बुरा मामला करने में जल्दी करता तो ... आज का सबक ۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞ "अगर कहीं अल्लाह लोगों के साथ बुरा मामला करने में भी उतनी ही जल्दी करता जितनी वे दुनिया की भलाई माँगने में जल्दी करते हैं तो काम करने की उनकी मुहलत कभी की ख़त्म कर दी गई होती। (मगर हमारा यह तरीक़ा नहीं है) इसलिए हम उन लोगों को जो हमसे मिलने की उम्मीद नहीं रखते उनकी सरकशी में भटकने के लिए छूट दे देते हैं।" 📕 क़ुरआन - 10:11 And if Allāh was to hasten for the people the evil [they invoke] as He hastens for them the good, their term would have…
गुनाह से न रोकने का वबाल रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी ऐसे लोगों के दर्मियान रह कर गुनाह के काम करता हो के वह उस को रोकने पर कादिर हों, मगर फिर भी न रोकें तो अल्लाह तआला मरने से पहले उन को भी उस गुनाह के अज़ाब में मुब्तला कर देगा।" 📕 अबू दाऊद: ४३३९-हसन
अस्र की नमाज़ की फज़ीलत एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अस्र की नमाज़ पढ़ाई और फिर लोगों की तरफ मुतवज्जेह हो कर फ़रमाया - "यह नमाज़ तुमसे पहले वाले लोगों पर भी फ़र्ज़ की गई थी, मगर उन्होंने इस को ज़ाय कर दिया, लिहाज़ा सुनो! जो इसको पाबन्दी से पढ़ता रहेगा उसको दोहरा सवाब मिलेगा।" 📕 मुस्लिमः१९२७
कर्जो और ग़मों से नजात की दुआ रसूलल्लाह (ﷺ) ने कर्ज़ों और ग़मों से छुटकारे के लिये सुबह व शाम यह दुआ पढ़ने के लिये फर्माया : "Allahumma inni a’udhu bika minal-hammi wal hazan, wa a’udhu bika minal-‘ajzi wal-kasal wa a’udhu bika minal-jubni wal-bukhul wa a’udhu bika min ghalabatid-dayn wa qahrir-rijal." तर्जुमा: ए अल्लाह मैं पनाह चाहता हु रंज और ग़म से, और पनाह चाहता हूँ आजज़ी और कुसली (सुस्ती) से और पनाह चाहता हूँ बुख़ल और बुज़दिली से और पनाह चाहता हु कसरत ए क़र्ज़ से और लोगों के ग़लबा पाने से। 📕 अबू दाऊद : १५५५
नमाजे अस्र की अहमियत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जिस शख्स ने अस्र की नमाज़ छोड़ दी, तो उस का अमल जाया हो गया।" 📕 बुखारी : ५५३. अन बुरैया (र.अ) वजाहत: दिन और रात में तमाम मुसलमानों पर पाँचों नमाजों को अदा करना तो फर्ज है ही, लेकिन ख़ास तौर से अस्त्र की नमाज़ छोड़ने वालों के हक में रसूलल्लाह (ﷺ) का वईद बयान फर्माना इस की अहमियत को मजीद बढ़ा देता है, चुनान्चे हमारे लिए जरूरी है के हम अस्र की नमाज वक्त पर अदा करें और कजा न करें। अल्लाहतआला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे , अमीन।
ईद के बाद शव्वाल के 6 रोजे की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “जो शख्स रमजान के रोजों को रखने के बाद शव्वाल के छ: (६) रोजे भी रखे, तो वह पूरे साल के रोजे रखने के बराबर है। 📕 मुस्लिम : २७५८ फायदा: जो शख्स शव्वाल के पूरे महीने में कभी भी इन 6 रोजों को रखेगा तो वह इस फजीलत का मुस्तहिक होगा।
मुसलमान को कपड़ा पहनाने की फ़ज़ीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिसने किसी मुसलमान को कपड़ा पहनाया, जब तक उस के बदन में एक धागा भी रहेगा, वह उस वक्त तक अल्लाह की हिफाजत रहेगा।" 📕 मुस्तदरक हाकिम : ७४२२
लोगों से अपनी जरूरत छुपाए रखने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो शख्स भूका हो, या उस को कोई और खास हाजत हो और वह अपनी उस भूक और हाजत को लोगों से छुपाए रखे (यानी उन के सामने जाहिर कर के उनसे सवाल न करे) तो अल्लाह तआला के जिम्मे है के उस को हलाल तरीके से एक साल का रिज्क अता फ़रमाए।" 📕 शोअबुल ईमान लिलबहकी : ९६९८
सलाम करने पर नेकियाँ रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जिस ने अस्सलामु अलैकुम कहा, उस के लिये दस नेकियाँ लिखी जाती हैं और जिस ने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह कहा, उस के लिये बीस नेकियाँ लिखी जाती है, और जिसने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह व बरकातुह कहा, उस के लिये तीस नेकियाँ लिखी जाती हैं।" 📕 तबरानी कबीर : ५४२९
जमात के लिये मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "जो शख्स बाजमात नमाज के लिये मस्जिद में जाए तो आते जाते हर कदम पर एक गुनाह मिटता है (हर कदम पर) और उसके लिये एक नेकी लिखी जाती है।" 📕 मुस्नदे अहमद : ६५६३
इल्म सीखते हुए वफात पा जाने की फ़ज़ीलत रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिस को इल्म सीखते हुए मौत आजाए, वह इस हाल में अल्लाह तआला से मुलाकात करेगा के उसके और नबियों के दर्मियान सिर्फ नुबुब्बत के दर्जे का फर्क होगा।" 📕 तबरानी औसत : ११५११
खाने के बाद शुक्र अदा करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “खाना खा कर जो (अल्लाह का) शुक्र अदा करता है, वह रोजा रख कर सब्र करने वालों के बराबर है।” 📕 मुस्तदरक, हदीस १५३७
मेहर अदा ना करने का गुनाह रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिस आदमी ने किसी औरत से मेहर के बदले निकाह किया और उस का महेर अदा करने का इरादा न हो, तो वह जानी (जीना करने) के हुक्म में है और जिस आदमी ने किसी से क़र्ज़ लिया। फिर उस का क़र्ज़ अदा करने की निय्यत न हो, तो वह चोर के हुक्म में है।" 📕 तरग़ीब २६०२, अन अबी हुरैरह (र.अ)
अगली सफ में नमाज़ अदा करने की फजीलत रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला और उसके फरिश्ते पहली सफ वालों पर रहमत भेजते हैं और मोअज्जिन के बुलंद आवाज़ के बकद्र उस की मगफिरत कर दी जाती है, खुश्की और तरी की हर चीज़ उस की आवाज़ की तसदीक करती है और उस के साथ नमाज़ पढ़ने वालों का सवाब उस को भी मिलेगा।" 📕 निसाई : ६४७
खाना खिलाने की फ़ज़ीलत खाना खिलाने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जिस ने किसी मोमिन को खाना खिलाया और उसको सैराब कर दीया तो अल्लाह तआला एक खास दरवाजे से उस को जन्नत में दाखिल फ़रमाएगा जिस में उस के जैसा अमल करने वाला ही दाखिल होगा।" 📕 तबरानी कबीर : १६५८९
MD. Salim Shaikh
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