Eid al Adha 2024 : जानिए ~ क्यों मनायी जाती है कुर्बानी ईद

Janiye Kyu Manayi jaati hai Qurbani Eid

जानिए ~ क्यों मनायी जाती है कुर्बानी ईद

ईद उल अज़हा को सुन्नते इब्राहीम भी कहते है। इस्लाम के मुताबिक, अल्लाह ने अपने नबी(प्रेषित) हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की परीक्षा लेने के उद्देश्य से अपनी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी देने का हुक्म दिया। – हजरत इब्राहिम को लगा कि उन्हें सबसे प्रिय तो उनका बेटा है इसलिए उन्होंने अपने बेटे की ही बलि देना स्वीकार किया।

– हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी। जब अपना काम पूरा करने के बाद पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिन्‍दा खड़ा हुआ देखा। बेदी पर कटा हुआ दुम्बा (सउदी में पाया जाने वाला भेंड़ जैसा जानवर) पड़ा हुआ था, तभी से इस मौके पर कुर्बानी देने की प्रथा है।

– ईद उल अज़हा हमें कुर्बानी का पैगाम देती है। यह त्योहार सिर्फ जानवर की कुर्बानी देना नहीं सिखाता है। बल्कि धन दौलत और हर वह चीज़ जो हमें दुनियावी लालच में गिरफ्तार करती है, साथ ही हमें बुरे काम करने के लिए बढ़ावा देती है, उसका अल्लाह की राह में त्याग करना सिखाता है।

कुर्बानी का हिस्सा

अल्लाह ने अपने हुक्म से कुर्बानी के लिए दुम्बा भेजा था और अरब में आज भी उसी रिवाज़ को निभाया जाता है। लेकिन भारत में बकरा, ऊंट, और भैंस की भी कुर्बानी होती है। इस्लाम में गरीबों और मजलूमों का खास ध्यान रखने की परंपरा है। इसी वजह से ईद-उल-अजहा पर भी गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है। 

इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं। इन तीनों हिस्सों में से एक हिस्सा खुद के लिए और शेष दो हिस्से समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों का बांट दिया जाता है। ऐसा करके मुस्लिम इस बात का पैगाम देते हैं कि अपने दिल की करीबी चीज़ भी हम दूसरों की बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैं।

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