“जो शख्स झूटी कसम खाए, ताके उस के ज़रिए किसी मुसलमान का माल हासिल कर ले, तो वह अल्लाह तआला से इस हाल में मुलाकात करेगा के अल्लाह तआला उस पर सख्त नाराज़ होगा।”
बुराई से न रोकने का वबाल कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "जो क़ौमें तुम से पहले हलाक हो चुकी हैं, उन में ऐसे समझदार लोग न हुए, जो लोगों को मुल्क में फसाद फैलाने से मना करते, सिवाए चन्द लोगों के जिन को हमने अज़ाब से बचा लिया।" 📕 सूरह हूद: ११६ खुलासा: मतलब यह है के हर एक के लिये भलाई का हुक्म और बुराई से रोकना ज़रूरी है वरना अज़ाब में मुब्तला कर दिया जाएगा।
सिरका के फवाइद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "सिरका क्या ही बेहतरीन सालन है।" 📕 मुस्लिम: ५३५०, अन आयशा रज़ि० फायदा : मुहद्दिसीन हज़रात कहते हैं के सिरका तिल्ली के बढ़ने को रोकता है, जिस्म में वरम नहीं होने देता, खाने को हज़म करता है, खून को साफ करता है, फोड़े फुन्सियों को दूर करता है। [अलइलाजुन नबी]
खाने के बाद शुक्र अदा करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “खाना खा कर जो (अल्लाह का) शुक्र अदा करता है, वह रोजा रख कर सब्र करने वालों के बराबर है।” 📕 मुस्तदरक, हदीस १५३७
दावत कबूल करे रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब तुम में से किसी को खाने की दावत दी जाए तो उस को कबूल करना चाहिये, फिर अगर वह चाहे तो खाना खाले और न चाहे तो छोड़ दे।" 📕 मुस्लिम : ३५१८
वालिदैन की नाफरमानी और जुल्म करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "तुम जुल्म व सितम करने से बचो ! क्योंकि जुल्म व सितम की सज़ा दूसरी सजाओं के मुकाबले में सबसे जल्दी मिलती है। और वालिदैन की नाफर्मानी से बचो! अल्लाह की कसम वालिदैन का नाफ़र्मान जन्नत की खुश्बू भी नहीं पाएगा। जब के जन्नत की खुश्बू एक हजार साल की दूरी से महसूस होती है।" 📕 तबरानी औसत: ५८२५
खाने के बाद उंगलियां चाटने का फ़ायदा रसूलुल्लाह (ﷺ) जब खाना खा लेते तो अपनी तीनों उंगलियों को चाटते। फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम कहते हैं के खाना खाने के बाद उंगलियां चाटना हाज़मे के लिए इन्तेहाई मुफीद है। तफ्सील में जानकारी के लिए यह भी देखे» उंगलियों के पोरों पर कीटनाशक प्रोटीन 📕 मुस्लिम : ५२९६
आखिरत के मुकाबले में दुनिया से राज़ी होने का वबाल कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "क्या तुम लोग आख़िरत की जिन्दगी के मुकाबले में दुनिया की ज़िन्दगी पर राजी हो गए? दुनिया का माल व मताअ तो आखिरत के मुकाबले में कुछ भी नहीं।" 📕 सूरह तौबा: ३८ यानी मुसलमान के लिये मुनासिब नहीं है के वह दुनिया ही की जिन्दगी पर राजी हो जाए या दुनिया के थोड़ेसे साज़ व सामान की खातिर अपनी आखिरत को बरबाद कर दे।
दुनिया में लगे रहने का वबाल दुनिया में लगे रहने का वबाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो शख्स अल्लाह का हो जाता है तो अल्लाह तआला उस की हर जरूरत पूरी करता हैं और उस को ऐसी जगह से रिज्क देता हैं के उस को गुमान भी नहीं होता। और जो शख्स पूरे तौर पर दुनिया की तरफ लग जाता है, तो अल्लाह तआला उस को दुनिया के हवाले कर देते हैं।" 📕 कन्जुल उम्माल: ६२७०
जहन्नमियों का खाना कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "जहन्नम वालों का आज न कोई दोस्त होगा और न कोई खाने की चीज़ नसीब होगी, सिवाए जख्मों के धोवन के जिस को बड़े गुनहगारों के सिवा कोई न खाएगा। 📕 सूरह हाक्का : ३५ ता ३७ “दोज़खियों को खौलते हुए चश्मे का पानी पिलाया जाएगा, उन को कांटेदार दरख्त के अलावा कोई खाना नसीब न होगा, जो न मोटा करेगा और न भूक को दूर करेगा।” 📕 सूर-ए-गाशीया: ५ ता ७
यतीमों का माल खाने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "यतीमों के माल उन को देते रहा करो और पाक माल को नापाक माल से न बदलो और उन का माल अपने मालों के साथ मिला कर मत खाओ ऐसा करना यकीनन बहुत बड़ा गुनाह है।" 📕 सूरह निसा : २
दुनिया की इमारतें साहिबे इमारत के लिए वबाल होगी रसूलुल्लाह (ﷺ) एक मर्तबा एक गुंबद वाली इमारत के पास से गुज़रे तो फर्माया : "यह किस ने बनाया है? लोगों ने बताया के फलाँ शख्स ने, तो फर्मायाः "क़यामत के दिन मस्जिद के अलावा हर इमारत साहिबे इमारत के लिए वबाल होगी।" 📕 शोअबुल ईमान : १०३०३, अन अनस बिन मालिक (र.अ)
खाने पीने की चीजों में गौर करने की दावत क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है - "इन्सान को अपने खाने में गौर करना चाहिये के हम ने खूब पानी बरसाया, फिर हम ने अजीब तरीके से जमीन को फाड़ा, फिर हम ने उस ज़मीन में से ग़ल्ला, अंगूर, तरकारी, ज़ैतून और खजूर, घने बाग़, मेवे और चारा पैदा किया। यह सब तुम्हारे और तुम्हारे जानवरों के फायदे के लिये हैं।" 📕 सूरह अबस: २४ ता ३२
दुनिया में खुद को मशगूल न करो रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “तुम में से कयामत के दिन मुझ से ज़ियादा करीब वह शख्स होगा, जो दुनिया से उसी तरह निकल आए, जिस तरह मैं छोड़ कर जा रहा हूँ; अल्लाह की कसम! मेरे सिवा तुम में से हर एक दुनिया की किसी न किसी चीज़ में फंसा हुआ है।” 📕 मुस्नदे अहमद ; हदीस २०९४७
नाक - कुदरते इलाही की निशानी Highlights • चेहरे की रौनक: नाक के द्वारा चेहरे की सुंदरता और खुशनुमा रूप में वृद्धि होती है।• महसूस करने की ताकत: नथनों में सूंघने की शक्ति होती है, जिससे हम खाने-पीने की चीजों की गुणवत्ता का तुरंत पता लगा सकते हैं।• ताजा हवा की अहमियत: नाक ताजा हवा को सूंघकर दिल की गिजा और शरीर के अंदरूनी तापमान को बनाए रखती है।• कुदरत का करिश्मा: यह अद्भुत व्यवस्था केवल अल्लाह की कुदरत से संभव है।• आध्यात्मिक सोच: यह सोचने पर मजबूर करता है कि इस नायाब तंत्र को बनाने वाला वही है, जो हर छोटे से छोटे तत्व का…
कसरत से इस्तिग़फार करने की सुन्नत हज़रत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के: "ख़ुदा की कसम ! मैं दिन में सत्तर से जियादा मर्तबा अल्लाह तआला से तौबा व इस्तिगफार करता हूँ।" 📕 बुख़ारी: ६३०७
MD. Salim Shaikh
Assalamu Alaikum – I am Mohammad Salim Shaikh, founder of Ummat-e-Nabi.com, sharing authentic Islamic knowledge since 2010. My mission is to present the beauty of Islam in a simple and clear way through Qur’an and Hadith. Alhamdulillah, our Facebook page fb.com/UENofficial
with 900,000+ followers continues to spread Islamic teachings, building a strong global community of learning and faith.