माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा बाकी रहने वाले हैं, वह आप के रब के नज़दीक सवाब और बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के एतेबार से भी बेहतर हैं।” 📕 सूरह कहफ: १८:४६ (लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)
क़यामत के दिन इन्सान के आज़ा की गवाही कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है: "जिस दिन अल्लाह के दुश्मन (यानी कुफ्फार) दोज़ख की तरफ जमा (करने के मौकफ में) लाएंगे,फिर वह रोके जाएँगे (ताके बाकी आजाएँ) यहाँ तक के जब वह उसके करीब आजाएँगे तो उनके कान, उनकी आँखें और उनकी खाल, उनके खिलाफ उन के किये हुए आमाल की गवाही देंगी।” 📕 सूरह फुसिलत: १९ ता २०
अहले जन्नत की नेअमत: अहले जन्नत ऐश व राहत में होंगे कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है: “बेशक अहले जन्नत (ऐश व राहत के) मजे ले रहे होंगे, वह और उन की बीवियाँ सायों में मसहेरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे और उन के लिये उस जन्नत में हर किस्म के मेवे होंगे और जो वह तलब करेंगे उनको मिलेगा।” 📕 सूरह यासीन ५५ ता ५७
जन्नत में दाखिल करने वाली चीज़ रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा गया के, "लोगों को सब से ज़ियादा जन्नत में दाखिल करने वाली क्या चीज़ है?" आप (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह से डरना और अच्छे अख्लाक़", और सब से ज़ियादा आग में दाखिल करने वाली चीज़ के बारे में सवाल किया गया। तो आप (ﷺ) ने फर्माया : मुंह और शर्मगाह।" 📕 तिर्मिज़ी : २००४, अन अबी हुरैरा (र.अ)
जन्नत का मुस्तहिक रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी इस हाल में मर जाए के वह तकब्बुर, खयानत और कर्ज से बरी हो, तो जन्नत में दाखिल होगा।" 📕 तिर्मिज़ी : १५७२
जन्नत वालों का इनाम व इकराम कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "(जन्नती लोग) जन्नत में सलाम के अलावा कोई बेकार व बेहूदा बात नहीं सुनेंगे और जन्नत में सुबह व शाम उनको खाना (वगैरह) मिलेगा। यही वह जन्नत है, जिसका मालिक हम अपने बन्दों में से उस शख्स को बनाएँगे, जो अल्लाह से डरने वाला होगा।" 📕 सूरह मरयम : ६२ ता ६३
परहेज़गारों की नेअमत कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "(क़यामत के दिन) परहेज़गार लोग (जन्नत) के सायों में और चशमों में और पसन्दीदा मेवों में होंगे (उन से कहा जाएगा) अपने (नेक) आमाल के बदले में खूब मजे से खाओ पियो, हम नेक लोगों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं। (और) उस दिन झुटलाने वालों के लिये बड़ी ख़राबी होगी।" 📕 सूरह मुरसलात: ४१ ता ४५
जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये दुनिया और आखिरत में भलाई है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "जो लोग परहेजगार हैं, जब उनसे पूछा जाता है के तुम्हारे रब ने क्या चीज़ नाजिल की है? तो जवाब में कहते हैं : बड़ी खैर व बरकत की चीज नाजिल फ़रमाई है। जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये इस दुनिया में भी भलाई है और बिला शुबा आखिरत का घर तो दुनिया के मुकाबले में बहुत ही बेहतर है और वाक़ई वह परहेजगार लोगों का बहुत ही अच्छा घर है।” 📕 सूरह नहल: ३०
हमेशा की जन्नत व जहन्नम रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "अल्लाह तआला जन्नतियों को जन्नत में दाखिल कर देगा और जहन्नमियों को जहन्नम में दाखिल कर देगा, फिर उन के दर्मियान एक एलान करने वाला कहेगा के ऐ जन्नतियों! अब मौत नहीं आएगी, ऐ जहन्नमियों! अब मौत नहीं आएगी (तुम में का जो जहाँ है हमेशा उस में रहेगा)" 📕 मुस्लिम: ७१८३, अन इब्ने उमर (र.अ)
इन्कार करने वालो का अजाब कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "जो लोग हमारी आयतों का इन्कार करते रहे हैं, तो वही बडबख्त हैं, (जिन को बाएँ हाथ में नाम-ए-आमाल दिया जाएगा) उन पर चारों तरफ से बंद की हुई आग को मुसल्लत कर दिया जाएगा।" 📕 सूरह बलद: १९ ता २०
नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "तकलीफ और नागवारी के बावजूद पूरी तरह मुकम्मल वुजू करना, मस्जिदों की तरफ जियादा कदम बढ़ाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करना, यह आमाल गुनाहों से (आदमी को) बिलकुल पाक साफ कर देते हैं।" 📕 मुस्तदरक : ४५६
वालिदैन की नाफरमानी और जुल्म करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "तुम जुल्म व सितम करने से बचो ! क्योंकि जुल्म व सितम की सज़ा दूसरी सजाओं के मुकाबले में सबसे जल्दी मिलती है। और वालिदैन की नाफर्मानी से बचो! अल्लाह की कसम वालिदैन का नाफ़र्मान जन्नत की खुश्बू भी नहीं पाएगा। जब के जन्नत की खुश्बू एक हजार साल की दूरी से महसूस होती है।" 📕 तबरानी औसत: ५८२५
जन्नत में दाखले के लिये ईमान शर्त है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "जिस शख्स की मौत इस हाल में आए, के वह अल्लाह तआला पर और क़यामत के दिन पर ईमान रखता हो, तो उससे कहा जाएगा, के तूम जन्नत के आठों दरवाज़ों में से जिस से चाहो दाखिल हो जाओ।" 📕 मुसनदे अहमद : ९८
इजाजत न मिले तो अंदर दाखिल न हो: हदीस इजाजत न मिले तो अंदर दाखिल न हो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब तुम में से कोई घर में दाखिल होने के लिए तीन मर्तबा इजाजत मांगे और उस को इजाजत न मिले,या कोई जवाब न मिले तो उस को वापस हो जाना चाहिए।" 📕 अबू दाऊद : ५१८१, अन अबी मूसा (र.अ)
MD. Salim Shaikh
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