दोजख (जहन्नुम) की गहराई
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“एक पत्थर को जहन्नम के किनारे से फेंका गया, वह सत्तर साल तक उस में गिरता रहा मगर उस की गहराई तक नहीं पहुंच सका।”
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“एक पत्थर को जहन्नम के किनारे से फेंका गया, वह सत्तर साल तक उस में गिरता रहा मगर उस की गहराई तक नहीं पहुंच सका।”