दावत कबूल करे रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब तुम में से किसी को खाने की दावत दी जाए तो उस को कबूल करना चाहिये, फिर अगर वह चाहे तो खाना खाले और न चाहे तो छोड़ दे।" 📕 मुस्लिम : ३५१८
माँगने वाले को नरमी से जवाब देना कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "माँगने वाले को नरमी से जवाब देना और उस को माफ कर देना उस सदके और ख़ैरात से बेहतर है, जिस के बाद तकलीफ पहुँचाई जाए, (याद रहे) अल्लाह तआला बड़ा बे नियाज और ग़ैरतमन्द है।" 📕 सूरह बकरा : २६३
गुनाह और जुल्म व ज्यादती की बातें न करो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “ऐ ईमान वालो! जब तुम आपस में खुफिया बातें करो, तो गुनाह और जुल्म व ज्यादती और रसुल की नाफ़रमानी की बातें न किया करो, बलके भलाई और परहेजगारी की बातें किया करो और अल्लाह से डरते रहो, जिसके पास तुम सब जमा किये जाओगे।" 📕 सूरह मुजादला : 58:9
दावत देने वाले की दावत कबूल कर लो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "दावत देने वाले की दावत कबूल कर लो और हदिया वापस मत करो और मुसलमानों को मत मारो।" 📕 सही इसने हिब्बान: ५६९४
ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना: हदीस Hadees of the Day ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना: हदीस अबु बक्र सिद्दीक (रजी) से रिवायत है की,रसुलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "अगर लोग जालीम को जुल्म करते हुए देखे और उसे न रोके तो करीब है की अल्लाह तआला उन सबको अजाब मे मुब्तला कर देगा।" 📕 रियाद अस-सलीहिन, हदीस, 197
यतीमों का माल खाने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "यतीमों के माल उन को देते रहा करो और पाक माल को नापाक माल से न बदलो और उन का माल अपने मालों के साथ मिला कर मत खाओ ऐसा करना यकीनन बहुत बड़ा गुनाह है।" 📕 सूरह निसा : २
इंसाफ करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "थोड़ी देर का इन्साफ साठ साल की शब बेदारी और रोजा रखने की इबादत से बेहतर है। ऐ अबू हुरैरा (र.अ) ! किसी मामले में थोड़ी सी देर का जुल्म, अल्लाह के नजदीक साठ साल की नाफ़रमानी से जियादा सख्त और बड़ा गुनाह है।" 📕 तरघिब वा तरहीब: ३१२८
अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "यह ( कुरआन ) एक बाबरकत किताब है, जिस को हम ने आप पर इस लिये नाजिल किया है के लोग उस की आयतों में गौर व फिक्र करें और अक्लमंद लोग उस से नसीहत हासिल करे। 📕 सूरह साद : २९
हर एक को नाम-ए-आमाल के साथ बुलाया जाएगा कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: “वह दिन याद करने के काबिल है, जिस दिन तमाम आदमियों को उनके नाम-ए-आमाल के साथ मैदाने हश्र में बुलाएंगे, फिर जिनका नाम-ए-आमाल उन के दाहिने हाथ में दिया जाएगा, तो वह (खुश हो कर) अपने नाम-ए-आमाल को पढ़ने लगेंगे उन पर एक धागे के बराबर भी जुल्म नहीं किया जाएगा।” 📕 सूर: बनी इसराईल: ७१
सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो [कुरआन ३:१०३] सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “तुम सब मिल कर अल्लाह की रस्सी को मजबूत पकड़े रहो (यानी कुरआन करीम के बताए हए तरीके और रास्ते पर चलो) और आपस में नाइत्तेफाक्री मत करो (अगर तुम नाइत्तेफाक्री की वजह से आपस में बिखर गए तो दुश्मन के मुकाबले में तुम नाकाम हो जाआगे और तुम्हारी कुव्वत व ताकत खत्म हो जाएगी)।” 📕 सूरह आले इमरान: १०३
फसाद फैलाने की सज़ा कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है: "जो लोग अल्लाह और उसके रसूल से लड़ते हैं, जमीन में फसाद करने की कोशिश करते हैं, ऐसे लोगों की बस यही सजा है के वह कत्ल कर दिये जाएं या सूली पर चढ़ा दिये जाएँ या उनके हाथ और पाँव मुखालिफ जानिब से काट दिये जाएं या वह मुल्क से बाहर निकाल दिये जाएँ। यह सजा उन के लिये दुनिया में सख्त रुसवाई (का जरिया) है और आखिरत में उनके लिये बहुत बड़ा अजाब है।" 📕 सूरह मायदा: ३३
ज़िना की कसरत और नाप तौल में कमी करने का वबाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : “जिस कौम में ज़िना आम होता है, उस में ताऊन और ऐसी बीमारियां फ़ैल जाती हैं जो पहले नहीं थीं और जो लोग नाप तौल में कमी करते हैं, तो वह लोग कहत साली, परेशानियों और बादशाह (हुकुमरानों) के जुल्म के शिकार हो जाते हैं।” 📕 इब्ने माजा: ४०१९
खाने पीने की चीजों में गौर करने की दावत क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है - "इन्सान को अपने खाने में गौर करना चाहिये के हम ने खूब पानी बरसाया, फिर हम ने अजीब तरीके से जमीन को फाड़ा, फिर हम ने उस ज़मीन में से ग़ल्ला, अंगूर, तरकारी, ज़ैतून और खजूर, घने बाग़, मेवे और चारा पैदा किया। यह सब तुम्हारे और तुम्हारे जानवरों के फायदे के लिये हैं।" 📕 सूरह अबस: २४ ता ३२
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